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Home खेती लोगों ने कहा डॉक्टर बनकर खाद बेचोगे? आज महीने के 30 टन वर्मीकम्पोस्ट बनाकर कमाते हैं लाखों

लोगों ने कहा डॉक्टर बनकर खाद बेचोगे? आज महीने के 30 टन वर्मीकम्पोस्ट बनाकर कमाते हैं लाखों

जयपुर के डॉ. श्रवण यादव ने MNC में काम करने और Ph.d. की पढ़ाई करने के बाद वर्मीकम्पोस्ट बनाने का काम शुरू किया, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को जैविक खेती करने में मदद कर सकें। आज वह इससे महीने के तक़रीबन दो लाख रुपये कमा रहे हैं।

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dr organic vermicompost (1)

31 वर्षीय डॉ. श्रवण यादव, जयपुर (राजस्थान) के सुंदरपुरा गांव में 'डॉ. ऑर्गेनिक वर्मीकम्पोस्ट' नाम से जैविक खाद का बिज़नेस (Vermicompost Business) चलाते हैं। वह जैविक खेती में इतनी रुचि रखते हैं कि बड़ी-बड़ी डिग्री हासिल करने के बाद भी उन्होंने नौकरी करने के बजाय खाद बेचने का काम शुरू किया। 

किसान परिवार से ताल्लुक रखने के कारण, उन्हें हमेशा से खेती में रुचि थी। इसलिए उन्होंने खेती की बारीकियों को जानने के लिए इसी से जुड़े विषयों की पढ़ाई भी की है। साल 2020 से वह Vermicompost का बेहतरीन बिज़नेस चला रहे हैं और देशभर के किसानों को खाद बेच रहे हैं।  

साल 2012 में उन्होंने JRF की स्कॉलरशिप के साथ, कर्नाटक से ऑर्गेनिक फार्मिंग विषय में एमएससी की पढ़ाई की और कर्नाटक की ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम भी करने लगे। यहाँ उन्हें कीटनाशक दवाइयों का प्रमोशन करना पड़ता था। जैविक खेती से लगाव होने कारण, उन्हें इस नौकरी में बिल्कुल मज़ा नहीं आ रहा था और केवल छह महीने में ही उन्होंने MNC की नौकरी छोड़ दी।   

Dr. Shravan Yadav doing vermicomposting business
Dr. Shravan Yadav

पिता के कैंसर ने बढ़ाया जैविक खेती से लगाव 

नौकरी छोड़ने के बाद, वह ‘उदयपुर महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी’ से जैविक खेती की पढ़ाई के साथ ही पीएचडी भी करने लगे।  

 इसी दौरान उनके पिता कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के शिकार हो गए। श्रवण कहते हैं, "मेरे पिता एक किसान हैं, उन्हें कोई बुरी आदत भी नहीं थी। इसके बावजूद, उन्हें कैंसर की बीमारी हुई, जिसके बाद हमें लगा कि ये सब कुछ केमिकल वाला खाना खाने से हुआ है। साल 2016 में मेरे पिता ने भी केमिकल वाली खेती छोड़कर, जैविक खेती से जुड़ने का फैसला किया।"

आज श्रवण के पिता सीता राम यादव, जैविक खेती के लिए काफी महशूर हो गए हैं। हाल ही में, उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों ‘बेस्ट जैविक किसान’ का अवॉर्ड भी मिल चुका है। जैविक खेती और सात्विक भोजन से ही उनका स्वास्थ्य अच्छा हुआ है और यही वजह है कि श्रवण का लगाव जैविक खेती में और बढ़ गया।  

पीएचडी पूरी करने के बाद, श्रवण को साल 2018 में सीनियर रिसर्च फ़ेलोशिप का काम उसी यूनिवर्सिटी में मिल गया। साल 2018 से 2020 तक वह इसी यूनिवर्सिटी में काम कर रहे थे। 

नौकरी छोड़कर शुरू किया Vermicompost Business

vermicomposting unit of shravan where he is giving training also
Vermicomposting Unit

नौकरी में रहते हुए वह खेती नहीं कर पा रहे थे न ही दूसरे किसानों को  जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर पा रहे थे।

लेकिन लॉकडाउन के समय जब श्रवण घर पर थे, तब उन्होंने मात्र 17 बेड के साथ Vermicompost का एक छोटा सा यूनिट डाला और नए काम की शुरुआत की। 

श्रवण ने बताया, "जब मैंने इस काम की शुरुआत की थी, तब लोग मेरा मजाक उड़ाते थे कि इतनी पढ़ाई की,  डॉक्टर भी बना और अब खाद बना रहा है। लेकिन मेरा लक्ष्य देशभर के किसानों को अच्छी ऑर्गेनिक खाद देना था, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जैविक खेती से जुड़ें।"

उन्होंने गुणवत्ता पर ध्यान देते हुए बढ़िया क्वालिटी का खाद बनाना शुरू किया। हालांकि, शुरुआत में उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा। उन्होंने बताया कि पहले अच्छी खाद नहीं बनती थी।

इससे वह काफी परेशान हुए कि अगर इतनी पढ़ाई करने के बाद भी, मैं अच्छी खाद नहीं बना पा रहा, तो सामान्य किसान कैसे बनाएगा? समस्या की जड़ तक जाने पर  पता चला कि दिक्क्त मिट्टी में है, पहले वह जिस गौशला से गोबर लाते थे, वहां कच्ची मिट्टी की फर्श थी, जिसमे केचुएं अच्छे से विकसित नहीं हो रहे थे। फिर उन्होंने दूसरी गौशाला से पक्के फर्श से गोबर लाना शुरू किया।

दूसरी दिक्कत मार्केटिंग की थी, जिसके समाधान के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का उपयोग करना शुरू किया। वह यूट्यूब पर वर्मीकम्पोस्ट की जानकारी वाले वीडियोज़ बनाकर डालने लगे। डॉ. ऑर्गनिक वर्मीकम्पोस्ट नाम से उनका एक  चैनल भी है, जिसे हजारों लोग देखते हैं। इस चैनल के बाद, उनके Vermicompost बिज़नेस में भी काफी फायदा होने लगा। 

मार्केटिंग के काम में उनका छोटा भाई सुरेश भी उनका साथ देता है। धीरे-धीरे, उन्होंने बेड की संख्या भी बढ़ा दी। फिलहाल उनके पास करीब 700 बेड हैं, जिनमें वह हर महीने 30 टन तक प्रोडक्शन करते हैं। 

उन्होंने बताया कि वह भारत में प्रति किलो सबसे ज्यादा केंचुए देने वाली यूनिट हैं। वह एक किलो में 2000 केंचुए देते हैं, जबकि बाकि जगह लोग  400 से 500 केंचुएं ही देते हैं। इसके अलावा, वह किसानों को Vermicompost Unit डालने की फ्री में ट्रेनिंग भी देते हैं।  

श्रवण कहते हैं कि आज तक उनसे जुड़कर देशभर के 20 हजार लोग वर्मीकम्पोस्ट की यूनिट लगा चुके हैं।  

इसके अलावा, वह नींबू और एप्पल बेर की खेती भी करते हैं। सिर्फ Vermicompost से वह महीने के दो लाख का मुनाफा कमा रहे हैं।  
आप भी वर्मीकपोस्ट खरीदने या उनसे ट्रेनिंग लेने के लिए उनसे 79769 96775 पर संपर्क कर सकते हैं।

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