एक ओर जहां कोंकण क्षेत्र का अल्फांसो आम दुनियाभर में प्रसिद्ध है, वहीं हाल ही में लोकप्रिय हुआ मध्य प्रदेश का 3.5-किलो वज़न वाला नूरजहां आम भी सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। इसके साथ ही, इन दिनों एक और आम की बात हर जगह हो रही है, जिसका नाम है मियाज़ाकी। इसे दुनिया का सबसे महंगा आम (Most Expensive Mango) कहा जा रहा है।
राजस्थान के कोटा से लगभग 15 किमी दूर स्थित गिरधापुरा में रहनेवाले किसान, श्री किशन सुमन ‘मियाज़ाकी आम’ उगाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके खेत में मियाज़ाकी आम के तीन पौधे हैं, जिसने इस बार फल दिया है।
मियाज़ाकी, आम की एक विशेष किस्म है, जिसे दुनिया के सबसे महंगे आम के रूप में जाना जाता है। यह 2.7 लाख रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं।
YouTube से मिली प्रेरणा
श्री किशन के पास 2 एकड़ ज़मीन है। वह कहते हैं कि मियाज़ाकी आम का छिल्का लाल होता है और इसके गूदे का रंग चमकीला नारंगी रंग का होता है। जो कुछ हद तक जेली की तरह होता है। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “यह आम काफी मीठे होते हैं और अन्य किस्मों के आकार के ही होते हैं। यह उनकी दुर्लभता है, जो उन्हें इतना महंगा बनाती है।”
दिलचस्प बात तो यह है कि जापान के क्यूशू द्वीप पर उगाया जाने वाला मियाज़ाकी आम, अमेरिका के फ्लोरिडा में उगाए जाने वाले इरविन आम से आता है। 80 के दशक के बीच, गर्म जलवायु में उगाने के लिए इसे जापान लाया गया था। इस आम में, दूसरे आम की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक शुगर होता है। अगर इन्हें अनुकूल मौसम में उगाया जाए, तो प्रत्येक मियाज़ाकी आम का वजन लगभग 350 ग्राम हो सकता है और यह एक अलग लाल रंग का हो जाता है।
श्री किशन कहते हैं कि उन्होंने यूट्यूब पर आम की इस किस्म के बारे में पता चला और वह काफी प्रभावित हुए। उन्होंने फल के व्यावसायिक मूल्य के साथ-साथ, भारतीय मौसम की स्थिति के बारे में अपनी समझ बढ़ाने के लिए, अपने दोस्तों के साथ चर्चा की। उन्होंने बताया, “मैंने पौधे लेने और विदेशी किस्म के फलों से पैसा कमाने के बारे में सोचा। साल 2018 में, मेरे दोस्त ने मुझे इस आम के तीन पौधे दिए जो उसने थाईलैंड से मंगवाए थे।”
‘जोखिम और प्रयोग से मिली सफलता’
तब से, किशन इन पौधों की देखभाल कर रहे हैं और उन्हें स्वस्थ रख रहे हैं। एक बार जब पौधे 4 फीट लंबे हो गए और फल लगने लगे, तो श्री किशन ने उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की, जिसने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। वह कहते हैं, “अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस फल की कीमत 21,000 रुपये से 2 लाख रुपये प्रति किलो के बीच हो सकती है। मेरे पौधे अब फल देने लगे हैं, और मैंने अभी तक उन्हें बेचना शुरू नहीं किया है।” फिलहाल श्री किशन व्यावसायिक रूप से इस आम को बेचने नहीं जा रहे हैं। वह इस अनोखे आम को परिवार और दोस्तों के बीच बांटना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट पढ़ने के बाद, लोग उन्हें कॉल कर रहे हैं। कई लोग पौधे का सैंपल खरीदने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “खरीदार एक पौधे के लिए 25,000 रुपये से 50,000 रुपये तक देने को तैयार हैं।” श्री किशन का मानना है कि फिलहाल आम के पौधों की रक्षा के लिए सुरक्षा कर्मियों को लगाने की जरूरत नहीं है, लेकिन भविष्य में उनकी आवश्यकता हो सकती है।
मियाज़ाकी आम उगाने वाले एक अन्य किसान, संकल्प सिंह परिहार मध्य प्रदेश के जबलपुर के रहने वाले हैं। वह भी मियाज़ाकी किस्म के आम उगाते हैं। उनका कहना हैं, “मैंने इन आमों को साल 2016 में उगाना शुरू किया और अब तो वे फल भी देना शुरू कर चुके हैं। मुझे जो अब तक का सबसे बड़ा ऑफर मिला है, वह एक किलो के लिए 21,000 रुपये का है। लेकिन मैंने अभी तक उन्हें व्यावसायिक रूप से नहीं बेचा है।” संकल्प को इस अनोखे आम का पौधा एक यात्रा के दौरान मिला था।
खेती में हो रहे बदलाव
श्री किशन और परिहार जैसे किसानों द्वारा इस तरह के प्रयोग बताते हैं कि खेती में ढेर सारे बदलाव हो रहे हैं और इससे किसानों को फायदा पहुंच रहा है। इसके बारे में श्री किशन कहते हैं कि किसानों को नवाचार कर बागवानी में खुद को शामिल करना चाहिए। उनका कहना है, “कई किसानों को डर है कि बाजार अस्थिर हैं और इसलिए उन्हें अच्छी आय नहीं मिल सकती। लेकिन इसका एक समाधान फलों को प्रॉसेस करना और उन्हें बेहतर मूल्य पर बेचना है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ सकती है।”
वह कहते हैं कि किसान नुकसान के डर से जोखिम लेने से बचते हैं। लेकिन चिंता नहीं करनी चाहिए। सही तरीके से फसल की देख-रेख और सही समय व जगह पर उन्हें बेचने से नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा, “ जोखिम तो पारंपरिक फसलों की खेती में भी है। लेकिन आम की यह किस्म, काफी मुनाफा देती है। इसलिए, किसानों को प्रयोग करने में संकोच नहीं करना चाहिए।”
अपने देश में आम की ढेर सारी किस्में पाई जाती है। इसके बारे में आप यहाँ देख सकते हैं।
मूल लेखः हिमांशु नित्नावरे
संपादन- जी एन झा
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