Powered by

Home प्रेरक किसान किसान का जंगल मॉडल: पौने एकड़ में लगाए 54 निम्बू, 133 अनार, 170 केले और 420 सहजन

किसान का जंगल मॉडल: पौने एकड़ में लगाए 54 निम्बू, 133 अनार, 170 केले और 420 सहजन

फूल कुमार बताते हैं कि जब वह रसायनिक खेती करते थे, तब उनका केमिकल स्प्रे का खर्च उनकी पूरी उपज से ज्यादा आता था!

New Update
किसान का जंगल मॉडल: पौने एकड़ में लगाए 54 निम्बू, 133 अनार, 170 केले और 420 सहजन

अगर कोई आपसे कहे कि आप एक एकड़ ज़मीन से साल में 6 से 12 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं तो क्या आपको यकीन होगा? बिल्कुल भी नहीं, बल्कि हम सोचेंगे कि ऐसा तो संभव ही नहीं है। हरियाणा के किसान फूल कुमार के साथ भी ऐसा ही हुआ था जब उन्होंने इस बात को सुना। लेकिन फिर उन्होंने एक बार खुद ट्राई करने की ठानी और आज उनकी जिंदगी की कहानी बिल्कुल बदल चुकी है।

अब फूल कुमार खुद कहते हैं कि एक एकड़ जमीन से इतनी कमाई संभव है, बस ज़रूरत है तो सही तरीके से खेती करने की और कड़ी मेहनत की। रोहतक के भैणी मातो गाँव के रहने वाले फूल कुमार ने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की। इसके बाद अपनी सवा तीन एकड़ पुश्तैनी ज़मीन पर खेती शुरू कर दी। जिस साल उन्होंने खेती शुरू की वह साल था 1998!

पिछले 22 साल के अपने अनुभव को फूल कुमार ने द बेटर इंडिया के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि उनका किसानी का सफ़र उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। जब उन्होंने खेती शुरू की तब वह भी रासायनिक खेती करते थे। उस समय उनके यहाँ कपास की खेती अधिक होती थी।

publive-image
Phool Kumar, Organic Farmer

वह बताते हैं, "रसायनों का खर्च तो ज्यादा होता ही था लेकिन आमदनी उतनी नहीं हो पाती थी। एक साल तो हमारा सिर्फ स्प्रे का खर्च 1 लाख 25 हज़ार रुपये आया जबकि हमारी कपास मात्र 1 लाख 15 हज़ार रुपये में बिकी। बाकी सब खर्च तो निकला ही नहीं। इस तरह तो काम चल ही नहीं रहा था, घर-परिवार का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया।"

इसके साथ ही, उनके यहाँ बहुत ज्यादा रसायनों का प्रयोग होने से किसानों की मौत भी हुई। वह कहते हैं कि हर साल कीटनाशकों की वजह से उनके गाँव में 3-4 लोगों की मौतें होती थी। खेती में कुछ न बचना और फिर परिवार के सदस्य का यूँ छोड़कर चले जाना, इन सब समस्यायों का समाधान कहीं नज़र नहीं आ रहा था। फूल कुमार कहते हैं कि उन्होंने टीवी पर राजीव दीक्षित का एक प्रोग्राम देखा, जिसमें उन्होंने जैविक खेती के बारे में बताया।

"मैंने पहली बार उनसे सुना कि किसान बिना कोई यूरिया, डीएपी भी खेती कर सकते हैं। उन्होंने जैविक खेती के बारे में बताया। राजीव जी ने समझाया कि कैसे हम सब सिर्फ जहर खा रहे हैं क्योंकि खेती में केवल रसायन का प्रयोग हो रहा है। मुझे याद है कि उस कार्यक्रम में राजीव जी ने अंत में कहा था कि अगर कोई किसान सुन रहा हो तो अपनी ज़मीन पर कम से कम एक एकड़ में ज़रूर जैविक खेती करे और मैंने उसी दिन ठान लिया कि अब रसायन मुक्त खेती ही करनी है," उन्होंने आगे कहा।

publive-image
His Farm

फूल कुमार ने ठान तो लिया लेकिन जैविक खेती की उनके पास कोई ट्रेनिंग नहीं थी। उन्होंने इधर-उधर से थोड़ा-बहुत पता करके शुरुआत की। इसके साथ ही, उन्होंने साल 2010 में दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन में बतौर बस ड्राइवर नौकरी कर ली। इसके साथ-साथ वह खेती भी करते रहे। उनका कहना है कि घर चलाने के लिए उन्हें आमदनी की ज़रूरत थी। खेती में कुछ भी नहीं बच रहा था ऐसे में उन्हें लगा की साथ में कोई नौकरी कर ली जाये। लेकिन फूल कुमार ने जैविक खेती पर होने वाले वर्कशॉप में जाना नहीं छोड़ा।

साल 2014 में उन्होंने अपनी बस ड्राइवर की नौकरी छोड़ दी क्योंकि चार सालों में उन्हें समझ में आया कि नौकरी से वह सिर्फ अपने घर का पालन-पोषण कर पाएंगे। लेकिन ज़मीन पर अगर उन्होंने मेहनत की तो दूसरे घरों को भी स्वस्थ और पोषित खाना देंगे। इस तरह से समाज के लिए और प्रकृति के लिए कुछ कर पाएंगे।

"अपना काम अपना ही होता है, और बस इसी सोच के साथ नौकरी छोड़ने का फैसला किया कि अब जो करना है अपनी ज़मीन पर ही करना है," उन्होंने कहा।

इसके बाद भी फूल कुमार का संघर्ष जारी रहा। कभी नुकसान तो कभी मुनाफा और भी न जाने क्या-क्या उन्होंने झेला। पर बिना रसायन के खेती करने के अपनी निश्चय पर वह दृढ रहे।

publive-image
Phool Kumar and his wife, Santosh

इसी दौरान फूल कुमार की मुलाकात जीरो बजट खेती के जनक सुभाष पालेकर से होती है। मार्च 2017 में पंचकूला में सुभाष पालेकर ने एक वर्कशॉप आयोजित किया था। वहाँ जब उन्होंने पालेकर की खेती पद्धिति के बारे में सुना और उनसे समझा, तब उन्हें लगा कि शायद अब उन्हें सही राह मिलेगी।

"सच कहूँ, जब पालेकर जी ने कहा कि एक एकड़ से 6 से 12 लाख रुपये तक की आमदनी ली जा सकती है तो मैं उनसे बहस करने लगा गया था। क्योंकि मैं पिछले 7 सालों से सिर्फ जैविक खेती करने की कोशिश में जुटा था और कई बार नुकसान उठा चुका था इसलिए विश्वास करना बहुत ही मुश्किल था। पर इसके साथ ही, मैंने पालेकर जी की बात को सुना और फिर समझा कि मैं कहाँ गलती कर रहा था। पालेकर जी ने मुझे 'जंगल पद्धिति' का मैप बनाकर दिया और अच्छे से समझाया," फूल कुमार ने कहा।

फूल कुमार ने ट्रेनिंग के बाद, अगस्त 2017 में अपने खेत पर 'पंचस्तरीय जंगल मॉडल' की शुरुआत की। पहले मॉडल में उन्होंने पौने एकड़ में मार्किंग करके 54 निम्बू, 133 अनार, 170 केले, 420 सहजन के पेड़ लगाए। उन्होंने ये सभी पेड़ बीज से लगाए हैं ना कि कहीं से पौध लाकर। वह आगे कहते हैं कि उनके इस पहले मॉडल में अभी 420 काली मिर्च के पेड़ और 420 अंगूर की बेल भी लगेंगी, जो वह इस साल रोपित करेंगे।

publive-image
1st Model in less than I acre in his farm

"यह जंगल पद्धिति है, इसमें ज़मीन के एक टुकड़े पर सहफसली की जाती है। ज़मीन की मैपिंग करके बीज से पौधे लगाये जाते हैं। इससे खर्च कम होता है क्योंकि सैप्लिंग महंगे पड़ते हैं। इस मॉडल को विकसित होने में दो-तीन साल का समय अवश्य जाता है लेकिन आपको कमाई पहले साल से ही मिलने लग जाती है," उन्होंने आगे कहा।

इन सभी पेड़ों के बीच में फूल कुमार हर मौसम में कुछ सब्जी और मसाले जैसे करेला, लौकी, मिर्च, टमाटर, हल्दी और अदरक आदि भी उगाते हैं। उनका यह मॉडल अब तीन साल पुराना हो गया है।

इसके बाद, उन्होंने दूसरे मॉडल में एक एकड़ ज़मीन पर अमरुद, मौसमी, सीताफल जैसे पेड़ लगाए हैं। उनका दूसरा मॉडल अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है। इस साल वह बाकी एक एकड़ ज़मीन पर अपना तीसरा मॉडल लगाएंगे। इसकी मैपिंग पर वह अभी काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि खेती का यह जंगल मॉडल पहले साल से ही किसान को उतनी कमाई तो दे ही देता है, जितना उसने इन्वेस्ट किया है।

publive-image
2nd Model in one acre in his farm

यह खेती पूरी तरह से गोबर और गौमूत्र पर आधारित है तो बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट भी नहीं है और जितना यह मॉडल पुराना होता है, उतना ही आपकी कमाई बढ़ती है। पहले साल में, फूल कुमार ने मात्र पौने एकड़ से सीजन में एक से डेढ़ लाख रुपये की कमाई ली थी और इस साल, उनकी इससे कमाई ढाई लाख रुपये तक रही।

फूल कुमार अपने खेतों पर ही फसल के लिए जीवामृत और घनजीवामृत बनाते हैं। इसके लिए उन्होंने अपने यहाँ 4 गाय और 2 बछिया रखी हुई है। "पशु तो हमारे हरियाणा में वैसे भी रखे जाते हैं क्योंकि घर का दूध-घी खाना हमारे यहाँ का प्रचलन है। उन्हीं से हमारे खेतों के लिए भी खाद आदि की आपूर्ति हो जाती है। इसके अलावा, जितना ज्यादा कार्बन आपकी मिट्टी में होगा उतना अच्छा है। इसके लिए हम अपने खेत से कोई भी कृषि अपशिष्ट बाहर नहीं जाने देते," उन्होंने आगे कहा।

फूल कुमार के मुताबिक इस पंचस्तरीय मॉडल से उनकी पानी की खपत भी कम होती है और इस वजह से बिजली की खपत भी कम हुई है। सही तरीके के साथ-साथ फूल कुमार की कड़ी मेहनत भी उनकी सफलता की एक बड़ी वजह है। वह और उनकी पत्नी, अपना पूरा वक़्त अपने खेत को देते हैं। दिन भर वह कोई न कोई काम करते हैं। उनका कहना है कि कोई दिन ऐसा नहीं होता जिस दिन उनके यहाँ काम न हो और सभी काम बहुत ज़रूरी होते हैं। पहले साल में उनके इस मॉडल को देखने के लिए बहुत से किसान आते थे।

publive-image
They make every manure at home

लेकिन इस वजह से उनका अपने खेती के काम करना मुश्किल हो गया क्योंकि वह सभी काम खुद करते हैं। अब उन्होंने महीने में आखिरी रविवार को लोगों की विजिट के लिए फिक्स किया हुआ है।

अपनी फसल की मार्केटिंग के बारे में फूल कुमार बताते हैं कि उन्हें कभी भी अपनी सब्जियों और फलों को मंडी ले जाने की ज़रूरत नहीं पड़ी। उनके यहाँ से ग्राहक खुद आकर चीजें लेकर जाते हैं। कुछ नियमित ग्राहक तो उन्हें फ़ोन करके पहले ही अपना ऑर्डर दे देते हैं और निश्चित समय आकर ले जाते हैं। बाकी हर महीने और नए लोग उनसे जुड़ते हैं और उनके यहाँ से खरीदने आते हैं। कुछ दूसरे बड़े किसान भी उनसे फल और सब्जियां खरीदते हैं। इस तरह से उनकी उपज सीधा ग्राहकों तक पहुँच रही है।

"इससे ज्यादा एक किसान को और क्या चाहिए। मेरा कहना तो यह है कि अगर कोई किसान दिल से मेहनत करे और सही तरीके से फसल उगाए तो वह 12 लाख से भी ज्यादा कमा सकता है। पर अगर आप बिना मेहनत के सोचो कि आप लाखों में कमाएं तो ऐसा नहीं हो सकता। पिछले तीन सालों से मैं और मेरी पत्नी पूरी तरह से सिर्फ अपने खेत के लिए समर्पित हैं," उन्होंने कहा।

publive-image

उनके एक फार्म से अब हर दिन तीन मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। कभी-कभी सीजन में उन्हें और भी मजदूर बुलाने पड़ते हैं। लेकिन सबसे अच्छा यह है कि फूल कुमार को अब अपने परिवार का भविष्य उज्ज्वल दिखता है। दूसरे किसानों के लिए उनकी बस यही सलाह है कि सबसे पहले तो वह प्राकृतिक खेती का सही तरीका सीखें, समझें और फिर अपने खेतों में अपनाएँ। दूसरा, कड़ी मेहनत से पीछे न हटें, जैसे किसी और जॉब में अपना 100% देते हैं वैसे ही अपनी खेती में 100% दें और फिर आपकी सफलता निश्चित है!

अगर आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है तो आप फूल कुमार से 9992103197 पर रात 9 से 10 बजे के बीच में संपर्क कर सकते हैं!

यह भी पढ़ें: खेती का बिज़नेस मॉडल: खुद उगाकर घर-घर जैविक सब्ज़ी पहुंचाते हैं, खोला ग्रोसरी स्टोर भी


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें [email protected] पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।