यह बात 1991 की है। मेरे पिता जी और चाची जी, दोनों की मौत कैंसर से हो गई थी। उस वक्त मुझे विचार आया कि आधुनिक कृषि तकनीकों की वजह से कई जहरीले रसायन हमारे खान-पान के जरिए शरीर को नुकसान पहुँचा रहे हैं। इसी जद्दोजहद में मैंने शिक्षक की नौकरी को छोड़ प्राकृतिक खेती शुरू कर दी।” - श्याम सिंह