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भारत की पहली महिला सिविल इंजीनियर, किया था कश्मीर से अरुणाचल तक 69 पुलों का निर्माण

By पूजा दास

कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक 69 पुल बनाने वाली, भारत की प्रथम महिला सिविल इंजीनियर शकुंतला ए भगत ने पुल निर्माण के अनुसंधान और विकास में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने पति अनिरुद्ध एस भगत के साथ मिलकर इस क्षेत्र में पहली बार ‘टोटल सिस्टम’ पद्धति विकसित की।

अहमदाबाद की कंपनी ने बनाया सूखे और गीले कचरे को अलग करने वाला रोबोटिक मशीन!

रीसाइक्लिंग की समस्याओं को कम करने और कूड़ा बीनने वालों की सेहत के जोखिम को कम करने के लिए अहमदाबाद स्थित स्टार्टअप ने एक नई टेक्नोलॉजी विकसित की है।

कचरा उठाने वालों के 500 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाता है दिहाड़ी मजदूर का इंजीनियर बेटा

इरप्पा नाइक ने 20 सालों तक पैसे जमा किए ताकि वह गरीब बच्चों के लिए निशुल्क स्कूल खोल सकें।

IIT इंदौर के दो छात्रों का आइडिया, 'ऑन द स्पॉट' कचरा निपटाने की अनोखी तकनीक!

'स्वाहा' की इस 'मोबाइल वेस्ट प्रोसेसिंग वैन’ सुविधा से शहर में जो छोटे होटल या रेस्टोरेंट हैं उन सबका कचरा उसी स्थान पर ही प्रोसेस हो सकता है।

इंजीनियरिंग छात्रों ने पास बह रहे गटर से बनायी गैस, चाय वाले की आमदनी की चौगुनी!

जून 2014 में इन दोनों ने पहली बार शिव प्रसाद की 'रामू टी-स्टॉल पर अपने इस आविष्कार का प्रदर्शन किया। स्थानीय मीडिया ने इसे ‘गटर गैस’ का नाम देकर इस प्रणाली की काफ़ी प्रशंसा की। इसने एलपीजी पर निर्भरता हटाकर रामू के चाय के ठेले की आय पहले की आय से चार गुना अधिक बढ़ा दी।

कानून और समाज से लड़कर बनी देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर!

By निशा डागर

डॉ. चंद्राणी प्रसाद वर्मा साल 1999 में अपनी इच्छाशक्ति के दम पर देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर बनीं थीं। आज वे सीएसआईआर- केंद्रीय खनन और ईंधन अनुसंधान संस्थान [सीएसआईआर-सीआईएमएफआर] में सीनियर वैज्ञानिक हैं।

कभी 40 कम्पनियों से नकारे गए थे ये इंजिनियर; आज हैं एक सफल स्टार्ट अप के मालिक!

By विनय कुमार

'पढ़ेगा इंडिया' साउथ दिल्ली में सेकेण्ड हैण्ड किताबें ऐसे लोगों तक पहुंचा रहा है जिनके पास महँगी किताबें खरीदने की क्षमता और दुर्लभ किताबों तक पहुँच नहीं है.

देशप्रेम के चलते आँगनबाड़ी में काम करने वाली माँ के इस लाल ने छोड़ी TCS कि मोटी तनख्वाह वाली नौकरी, सेना में हुआ भर्ती।

बढ़िया वेतन और सुख सुविधाओं से युक्त जीवन जी रहे भारत दरबार सिंह जाधव टीसीएस में सिस्टम इंजीनियर के रूप मे कार्यरत थे। पर वे नौकरी छोड़ फ़ौज में शामिल हो गए

पूरे गाँव की मदद से एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे ने IIT में पढ़ाई की और आज है गूगल में इंजीनियर!

राजस्थान के छोटे से कस्बे से गूगल अमेरिका मे इंजीनीयर बनने तक, रामचंद्र के संघर्ष व इस गाँव के लोगों में बसी एक दूसरे की मदद की भावना की कहानी।