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"साल 2014 में दीपावली के बाद एक कुन्नूर निवासी ने फेसबुक पर पोस्ट किया कि हमें शहर को स्वच्छ करने के लिए अभियान शुरू करना चाहिए। इस पोस्ट पर काफी लोगों ने सहमति जताई और स्वच्छता अभियान शुरू हो गया। वहीं से हमारे 'क्लीन कुन्नूर ग्रुप' की नींव रखी गई। धीरे-धीरे कुछ स्थानीय लोगों ने मिलकर शहर की स्वच्छता के लिए अलग-अलग अभियानों पर काम शुरू कर दिया और यह सिलसिला अब तक जारी है। बस फर्क इतना है कि पिछले साल हमने 'क्लीन कुन्नूर' को बतौर एक ट्रस्ट रजिस्टर करा लिया है," यह कहना है कुन्नूर ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी समंतना अयंना का।
तमिलनाडु के मशहूर नीलगिरी हिल्स के पास बसा कुन्नूर छोटा-सा और खूबसूरत शहर है। टूरिस्ट प्लेस होने के कारण कूड़े-कचरे के मामले में शहर की स्थिति काफी खराब थी। साथ ही, यहाँ के कई नाले और कुन्नूर नदी भी कूड़े से लबालब भरी पड़ी थी। इन सभी पर शहर के प्रशासन के साथ मिलकर क्लीन कुन्नूर की टीम ने काम किया और आज तस्वीर एकदम बदल गई है।
समंतना बतातीं हैं कि जो पहल वीकेंड पर एक छोटी-सी क्लीन-अप ड्राइव से शुरू हुई थी, उसने आज एक बड़ा रूप ले लिया है। यह उनकी टीम के ही प्रयास का नतीजा है कि सालों से कूड़े से भर रहे डंपयार्ड की जगह, आज वहां एक वेस्ट-मैनेजमेंट पार्क है और साथ ही, रंग-बिरंगे फूलों के पेड़ों से भरा हुआ है। 8 एकड़ में फैले इस डंपयार्ड की जगह आज एक खूबसूरत गार्डन है। अगर कोई पहली बार इस जगह पर जाए तो कह ही नहीं पाएगा कि यहाँ कभी कोई लैंडफिल हुआ करता था।
हालांकि, इसके पीछे क्लीन कुन्नूर की टीम और जिला प्रशासन की मेहनत है। समंतना बताती हैं कि उन्होंने शुरुआत सड़कों को साफ़ करने, बस स्टैंड से कूड़ा-कचरा उठा उन्हें पेंट करने से की थी। इसके बाद, उन लोगों का ध्यान शहर में गंदे पड़े नलों और कुन्नूर नदी की तरफ गया। पिछले साल उन्होंने कुनूर नदी को साफ़ करने के लिए अभियान चलाया।
"यह नदी पहाड़ियों से आती है लेकिन शहर में पहुँचने के बाद यह गंदे नाले से ज्यादा कुछ भी नहीं रह जाती। वॉलंटियर्स ने पहले इसका जायजा लिया और फिर इसकी साफ़-सफाई शुरू की। लगातार 42 दिनों की मेहनत के बाद हम इस नदी को बचाने में कामयाब हुए," उन्होंने आगे बताया।
नदी को हाथों से साफ़ करना बहुत मुश्किल था। ऐसे में, उन्हें मशीनों द्वारा काम करना पड़ा। इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें हैदराबाद के राजश्री पिन्नामनेनी से मदद मिली, जिन्होंने इस काम को स्पॉन्सर किया। उन्होंने 2 किलोमीटर की इस नदी से 12000 टन कूड़ा-कचरा निकाला।
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इस कूड़े को जब उन्होंने ओट्टुपट्टारई में स्थित शहर के डंपयार्ड पहुँचाना शुरू किया तो उन्हें लगा कि यहाँ भी एक क्लीन अप की ज़रूरत है। क्योंकि वहां पर बस वेस्ट जमा होता जा रहा था। कोई वेस्ट-मैनेजमेंट नहीं था। क्लीन कुनूर टीम ने जिला प्रशासन की मदद से इस डंपयार्ड साईट को वेस्ट-मैनेजमेंट पार्क में बदला।
"वहां पर कचरे को अलग-अलग करने के लिए कुछ लोगों को काम पर रखा गया है। इसके अलावा, एक-दो मशीन भी सेट-अप की गई। यहाँ पर सूखे कचरे जैसे कागज, प्लास्टिक, ग्लास आदि को अलग किया जाता है। प्लास्टिक को मशीन की मदद से बड़े-बड़े ब्लॉक्स में बदलकर हैदराबाद भेजा जाता है ताकि वहां उसे प्रोसेस करके पेट्रोल बनाया जा सके। बाकी कचरा जिसे रीसायकल या अपसाइकिल किया जा सकता है, उसे वैसे ही हैंडल किया जाता है," उन्होंने कहा।
गीले कचरे को माइक्रो-कम्पोस्टिंग सेंटर पर खाद बनाने के लिए भेजा जाता है। साथ ही, डंपयार्ड साईट को थोड़ा और आकर्षक बनाने के लिए यहाँ एक एकड़ में पेड़-पौधे लगाए गए हैं और बाकी दो एकड़ में घास लगाकर उसे लॉन में तब्दील किया गया है। क्लीन कन्नूर की टीम का मानना है कि लोगों को इस जगह को देखकर ख़ुशी होनी चाहिए। न कि यह महसूस हो कि कभी यहाँ कचरे का पहाड़ हुआ करता था।
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ओट्टुपट्टारई साल 1930 से शहर का डंपयार्ड रहा है और इतने सालों बाद यहाँ पर यह हरित बदलाव आया है। हालांकि, यह सब करना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा। समंतना बताती हैं कि उनकी टीम में सभी लोग अलग-अलग बेकग्राउंड से आते हैं। कोई नौकरी करता है तो कोई रिटायर है। किसी का अपना बिज़नेस है जैसे कि समंतना खुद ट्रेवल बिज़नेस संभालती हैं। इस वजह से लोग आते-जाते रहते हैं और चंद ही लोग ऐसे हैं जो शुरू से लेकर अब तक समूह का हिस्सा हैं और लगातार सभी कामों में भाग लेते हैं।
इसलिए उन्हें अपने इस वॉलंटियर ग्रुप को ट्रस्ट बनाना पड़ा ताकि उनके लिए फंड्स मैनेज करना आसान रहे और साथ ही, अगर टीम में किसी के पास वक़्त नहीं है तो ट्रस्ट होने के नाते वो कामगरों से भी काम करवा सकते हैं। इससे उनके लिए प्रशासन के साथ काम करना भी आसान हो गया है। वेस्ट-मैनेजमेंट पार्क में उन्होंने लगभग 15 लोगों को रोज़गार दिया हुआ है।
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आज इस जगह पर आपको हर तरफ हरियाली ही दिखेगी और कन्नूर नदी पहले से ज्यादा साफ़ और स्वच्छ है। समंतना कहती हैं कि आपके छोटे-छोटे कदम बड़ा बदलाव ला सकते हैं। इसलिए भले ही थोड़ा-सा करें लेकिन अपने समाज के लिए कुछ न कुछ करने की कोशिश ज़रूर करनी चाहिए।
द बेटर इंडिया, 'क्लीन कुन्नूर' टीम की सराहना करता है और उम्मीद है कि वो आगे इसी तरह काम करते रहेंगे!
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