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सड़क पर जन्म लेने वाले और अपनी सारी जिन्दगी इन्ही सडको के किनारे बिता देने वाले अनाथ और बेसहारा बच्चो को कई बार अपने माता पता तक का पता नहीं होता तो अपने जन्मदिन दिन का पता होना तो बहुत दूर की बात है। पर एक शख्स ने, जन्मदिन का पता न होने पर भी इन बच्चो का जन्मदिन मनाने का एक बेहतरीन तरीका ढूंड निकाला है।
दिल्ली में रहने वाले 31 वर्षीय मार्केटिंग प्रोफेशनल अविजित बाजपयी सड़क पर रहने वाले इन बेसहारा बच्चो का जन्मदिन उनके साथ मनाते है और इतना ही नहीं अपने जैसे ही 2000 लोगो को अपनी इस मुहीम में जोडकर ऐसा ही कुछ करने की प्रेरणा भी दे रहे है। ये कहानी है अविजित की जो सड़क पर रहने वाले बेसहारा और अनाथ बच्चो के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान बिखेरने और उनकी जिन्दगी में थोड़ी खुशिया लाने का काम करते है।
अविजित के लिए ये दिन पिछले साल जुलाई में अपनी रोज की भागती दौड़ती जिन्दगी के आम दिनों जैसा ही था जब वो ऑफिस जा रहे थे।
” मै एक ट्रैफिक सिग्नल पर रुका और एक बच्चे ने मेरी गाड़ी के शीशे में कुछ पैसे मांगने के लिए दस्तक दी। उसके साथ पीछे कुछ और बच्चे भी थे जो शायद किसी पिछली रात हुई बर्थडे पार्टी के खाली केक के डिब्बो, टोपी और प्लास्टिक के चाकू से खेल रहे थे। ” अविजित याद करते हुए बताते है।
जैसे ही ट्रैफिक सिग्नल की लाइट हरी हो गयी सभी बच्चे सड़क के किनारे चले गए और सभी लोग अपने अपने काम पर निकल गए। पर अविजित ये द्रश्य अपनी आँखों से भुला नहीं सके। उन बेसहारा बच्चो के बिना केक के खाली डिब्बे से एक नकली बर्थडे पार्टी मनाने का द्रश्य उनकी आँखों के सामने घूमता रहा।
उस दिन वो सारे रास्ते भर कार चलाते हुए इसी बारे में सोचते रहे। और जब तक वो ऑफिस पहुंचे, इन बच्चो के लिए कुछ करने की एक तरकीब उनके दिमाग में आ चुकी थी।
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"ये बहुत सीधी सी बात थी कि मै अपना कुछ समय उन सड़क पर रहने वाले बच्चो के साथ बिताना चाहता था और उन मासूमो के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान देखना चाहता था," अविजित कहते है।
अविजित ने ऑफिस पहूँचकर अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया कि वो दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले इन बेसहारा बच्चे, जिन्हें अपने जन्मदिन का भी पता नहीं होता, उनका जन्मदिन उनके साथ मानना चाहते है। देखते ही देखते उनके इस ट्वीट को लोगो ने खूब सराहा। कई लोगो ने उनसे संपर्क किया और कहा कि वो भी उनकी ही तरह कुछ ऐसा ही करना चाहते है। अविजित ने लोगो की प्रतिक्रिया देखते हुए एक फेसबुक पेज उन लोगो के लिए बनाया जो उनके इस काम में उनके साथ जुड़ना चाहते थे और पेज का नाम रखा” हैप्पी बर्थडे भारत “।
सबसे पहला जन्मदिन समारोह पिछले साल जुलाई में मनाया गया जिसमे अविजित के साथ उस ग्रुप में तब तक 50 लोग जुड़ चुके थे उनमे से 15 लोग रविवार के दिन क्नॉट प्लेस में मिले, जिसमे अविजित भी शामिल थे।
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“ हम सब सी.पी गए और सोचने लगे कि क्या करना है और कैसे करना है। हमारे सामने सबसे बढ़ा प्रश्न यह था कि इस बर्थडे पार्टी के लिए पैसे कहाँ से लाये। हमने निश्चय किया कि हम में से हर कोई बराबर पैसे देगा और जो रकम इकट्ठी होगी उससे ही ये पार्टी मनाई जाएगी। सबने 600 रुपये दिए और बाद में पर्याप्त रकम इकट्ठी हो गई जिससे 15- 20 बच्चो के साथ बर्थडे पार्टी आराम से मनाई जा सकती थी।
हमेशा की तरह सीपी की सड़क पर बहुत से बच्चे थे, उनमे से कुछ राह चलते राहगीरों से भीख मांग रहे थे और कुछ छोटा मोटा सामान जैसे किताबे और खिलोने बेच रहे थे। सबसे पहले अविजित और उनके साथियो ने उन बच्चो का वो सारा सामान खरीद लिया, ताकि उन्हें दिन भर के अपने सामान बेचने के काम से फुरसत मिल जाये। फिर उन बच्चो को एक जगह इकट्ठा किया गया। उनमे से अब तक किसी ने अपनी जिन्दगी में कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया था। सब जिज्ञासा से एक दुसरे की और देख रहे थे। इन बच्चो को अपने जन्मदिन के बारे में भी कुछ पता नहीं था इसलिए उन 20 बच्चो में से सबसे कम उम्र के एक बच्चे और एक बच्ची को आगे बुलाया गया और उनका जन्मदिन मनाया गया।
एक पार्क में इन सभी बच्चो का स्वागत केक, रंग बिरंगी टोपीयो, रंग भरने वाली किताबो और गानों के साथ किया गया।
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ये अविजित के प्रयासो का ही नतीजा है कि आज 'Happy Birthday Bharat' के फेसबुक पेज पर सदस्यों की संख्या 2,200 तक पहुच चुकी है और 10 से भी ज्यादा शहरो में 200 से भी ज्यादा बच्चो का जन्मदिन मनाया जा चुका है जिसमे मुंबई, बंगलुरु और पुणे शामिल है।
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बहुत सारे लोग, जो इस ग्रुप के सदस्य भी नहीं है , इस पहल को पसंद कर रहे है और इन मासूम बच्चो के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने के लिए आगे आ रहे है। अकेले दिल्ली शहर में 10 से भी ज्यादा इस तरह की बर्थडे पार्टी अलग अलग इलाको जैसे गुडगाँव सेक्टर 14 मार्केट , क्नॉट प्लेस , नोयडा सेक्टर 18 मार्केट तथा कमला नगर में ‘Can Kids…Kids Can' संस्था द्वारा चलाये जा रहे हॉस्टल में आयोजित की जा चुकी है। ये संस्था कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ रहे है बेसहारा बच्चो की मदद करती है।
इस तरह की बर्थडे पार्टी का आयोजन महज केक काटने तक सिमित नहीं होता। ये पार्टी असल बर्थडे पार्टियों की तरह ही मनाई जाती है जैसा बच्चे टीवी या उन घरो में मनाये जाते हुए देखते है जहाँ वह काम करने जाते है।
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हर बुधवार को अलग अलग शहरो के लोग 'Happy Birthday Bharat' के फेसबुक पेज से पता कर लेते है कि कौन किस इलाके में है और कितने लोग एक साथ इकट्ठे हो सकते है।और फिर मिलकर किसी बेसहारा बच्चे के चेहरे पर मासूम मुस्कान बिखेरने के लिए फिर एक बर्थडे पार्टी आयोजित करते है।
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इस पार्टी में बच्चो को मन बहलाने की वो तमाम चीजे दिलाई जाती है, जिन्हें छूने तक को अब तक इन बच्चो का दिल तरसता था। बच्चो को कई तरह के खिलौने, रंगीन टोपियां और किताबे दी जाती है। इसके बाद सभी एक साथ नाचते थिरकते है, जैसा असली पार्टियों में होता है। बच्चे शुरुआत में थोडा हिचकिचाते है पर थोड़ी देर में खुल जाने पर दिल खोल के नाचते है और अपनी ख़ुशी का इजहार करते है। यहाँ काटे जानेवाले केक पर हमेशा 'भारत' लिखा होता है और पार्टी आयोजित करने का स्थान पहले से कभी निश्चित नहीं होता। ये लोग कभी किसी पार्क, मॉल या फिर सड़क के किनारे किसी खाली जगह पर इस पार्टी का आयोजन करते है। इस पार्टी में शामिल हर एक बच्चे को तोहफा दिया जाता है, और यही नहीं गिफ्ट का चुनाव भी बच्चे खुद ही करते है।
उन्हें तोहफे में किताबे, घड़ियाँ, कपडे, खिलौने, जूते जैसे और भी बहुत सारे उपहार दिए जाते है।
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“कई बार पार्टी के दौरान बच्चो के माता पिता भी शामिल हो जाते है। ऐसे ही एक अभिभावक से जब पुछा गया कि उन्हें उपहार में क्या चाहिए तो उन्होंने एक हफ्ते के राशन देने की बात की। हमने ख़ुशी ख़ुशी उन्हें ये भेंट दी, ” अविजीत कहते है।
जिन बेसहारा बच्चो को अक्सर अपनी दो वक़्त की रोटी का तक पता नहीं होता, उनके लिए अपना जन्मदिन मनाना एक सपने की तरह ही है। पर क्या इस तरह की बर्थडे पार्टी उनके भविष्य के लिए पर्याप्त है ? इस तरह की पहल का क्या औचित्य है ?
अविजित कहते है “मेरा शुरुआती विचार बहुत साधारण था। मैं बस इतना चाहता हूँ कि कुछ लोग बाज़ार या किसी ट्रैफिक सिग्नल के किनारे रहने वाले इन बच्चो से मिले, उनके साथ कुछ वक़्त गुजारे। पर अब मुझे इन बच्चो को देखकर, उनकी कुछ दर्दनाक कहानियाँ सुनकर कुछ खिचाव महसूस होता है, अब मैं अपनी इस पहल का विस्तार कर इन बच्चो की कुछ मदद करना चाहता हूँ। “
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सी.पी में आयोजित किये गए पहले जन्मदिन समारोह में जब अविजित ने एक छोटी बच्ची अशिला की माँ से पूछा कि वो अपनी बच्ची को स्कूल क्यों नहीं भेजती तो उस बच्ची की माँ ने कहा कि भीख मांगना उनके यहाँ पारिवारिक काम है , उसके पिता ने यह काम किया, उसने यह काम किया और अब उसकी बच्ची यह काम करेगी।
अविजित एक बार गुडगाँव के एक बच्चे से मिले जो जूते पॉलिश करने का काम करता था। वह अपने लिए जन्मदिन के तोहफे के रूप में अपनी छोटी बहन का दाखिला किसी स्कूल में कराना चाहता था।
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पर दुर्भाग्य से अगली बार जब अविजित और उनके टीम के साथियों ने उससे ढूंडने और संपर्क करने की कोशिश की तो उसका पता नहीं लगाया जा सका। इस तरह की कई कहानियाँ अविजित अपने दिल में समेटे हुए है।
वे ये जानते है कि अपने काम की वजह से वे ज्यादा समय इस काम में नहीं दे सकते इसीलिए अविजित इसमे किसी NGO की मदद लेने की सोच रहे है जो एन बच्चो की देखरेख के साथ ही इनकी ज़िन्दगी बेहतर करने में मदद कर सके।
भले ही 'Happy Birthday Bharat' के बारे में सबसे पहले अविजित ने सोचा पर वे यह मानते है कि ये पहल हर उस इन्सान की है जो इसमें शामिल है - मुंबई से कुनाल बाऊवा, हार्दिक जोशी , दिल्ली से प्रेमलता राइ , अरुण खोत, गुलशन परेरा , निखिल और 2000 से भी ज्यादा लोगो की एक बेहद मजबूत टीम।
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मूल लेख तान्या सिंह द्वारा लिखित।