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पियूष रंजन परमार

पीयूष रंजन परमार ने भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता की पढाई की है। वर्त्तमान में वे सोनी पिक्चर्स नेटवर्क में कार्यरत है तथा बनारस की साहित्यिक संस्था ‘मधुबन गोष्ठी’ के संस्थापक सदस्य है। पियूष, ‘विहंग दृष्टि’ (vihangdrishti.blogspot.com) और ‘जिंदगी@75’ (zindagi75.blogspot.com) पर ब्लॉग भी लिखते है।

‘दुनिया को हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए’ केदारनाथ सिंह की उम्मीद की कवितायेँ

'उम्मीद की कविता' श्रृंखला में आज प्रस्तुत है केदारनाथ सिंह की कवितायेँ..

स्त्री की स्वतंत्रता की नई आवाज है अनुराधा बेनीवाल की ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’!

अनुराधा बेनीवाल के यूरोप घुमने के अनुभवों पर आधारित किताब 'आज़ादी मेरा ब्रांड' की पुस्तक समीक्षा. यह किताब स्त्री जाती को खुलकर जीने की राह दिखाती है.

पुस्तक समीक्षा : केदारनाथ सिंह की कविता संग्रह ‘अकाल में सारस’!

केदार जी के लिए दुःख शिकायत की बजाय जागृति पैदा करता है। इस जागृति में स्वप्न की बजाय यथार्थ उनका अधिक साथ देता है। 'अकाल में सारस' उम्मीद की कविताएँ हैं।