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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

गूगल मैप पर भी नहीं है जिन गांवों का निशान, वहां बिजली पहुंचा रहा है यह इंजीनियर!

By निशा डागर

लद्दाख के सुमदा चेंमो गाँव में जब पारस लूम्बा और उनकी टीम ने बिजली लगाई तो जलते हुए बल्ब को देखकर एक बुजुर्ग की आँखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा, "मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा घर रात में भी रौशन हो सकता है।"

मंगल पांडेय से 33 साल पहले इस सेनानी ने शुरू की थी अज़ादी की जंग!

By निशा डागर

बिंदी तिवारी की शहादत के बाद अंग्रेजी हुकूमत की न सिर्फ भारत में बल्कि इंग्लैंड में भी निंदा हुई, और तो और बहुत से भारतीय अफसरों और सैनिकों ने ब्रिटिश सेना छोड़ दी!

केले के पत्ते से बनाइए 30 तरह के इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स, अब होगी प्लास्टिक और पेपर की छुट्टी!

By निशा डागर

केले के पत्तों से आप प्लेट, कटोरी, स्ट्रॉ, गिलास, आदि बनाने के साथ-साथ गिफ्ट रैपर, लिफाफे, आइसक्रीम कोन आदि बना सकते हैं।

फेसबुक, व्हाट्सअप के ज़रिए खड़ा किया बिज़नेस, हर महीने कमाती हैं 4 लाख रुपये!

By निशा डागर

साल 2014 में अभिलाषा ने एक फेसबुक ग्रुप में दाल-बाटी की पोस्ट डाली थी और इस एक पोस्ट से उन्हें 40 ऑर्डर मिले। वह कहती हैं कि आज भी उन्हें 90% ऑर्डर्स फेसबुक और व्हाट्सअप के ज़रिए मिलते हैं!

कंक्रीट जंगल के बीच हरियाली, 19 वर्षीय छात्र ने बदल दी भोपाल की काया!

By निशा डागर

ज़ुबेर ने 36 स्क्वायर फीट की छोटी-सी जगह में भी लोगों के लिए गार्डन तैयार किए हैं। उनका उद्देश्य लोगों को अर्बन गार्डनिंग की सुविधाएं देना है!

कोरोनावायरस अलर्ट: क्या है तथ्य और क्या है मिथक, जानिए डॉक्टर से!

By निशा डागर

फ़िलहाल, सबसे ज्यादा ज़रूरी यह है कि हम न तो खुद डरें और न ही गलत मैसेज फॉरवर्ड करके लोगों को डराएं।

पबजी के जमाने में लोगों को सांप-सीढ़ी और पचीसी की तरफ लौटा रही है यह महिला उद्यमी!

By निशा डागर

"हमारे पूर्वज अपने मनोरंजन के लिए बोर्ड गेम्स खेलते थे और यह सिर्फ खेल नहीं होता था। इनसे उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती थी। मैंने सोचा कि क्यों न हमारी आने वाली पीढ़ी को इनसे रू- ब- रू कराया जाए ताकि उनमें बचपन से ही अच्छे गुरों का विकास हो।"

इस महिला ने छोड़ दी अपनी नौकरी ताकि हज़ारों बच्चों को न छोड़नी पड़े पढ़ाई!

By निशा डागर

ड्रीम स्कूल फाउंडेशन की मदद से आज बहुत से सरकारी स्कूलों के बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे कोर्स की पढ़ाई कर रहे हैं।