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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

बाघा जतिन, जिनकी 'जुगांतर पार्टी' से तंग आकर अंग्रेज़ों ने बदल दी अपनी राजधानी!

By निशा डागर

जतिंद्रनाथ मुख़र्जी का जन्म बंगाल के कायाग्राम, कुष्टिया जिला (जो अब बांग्लादेश में है) में 7 दिसंबर 1879 को हुआ था। उन्हें सब 'बाघा जतिन' पुकारते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने ही 'जुगांतर पार्टी' का नेतृत्व किया। अंग्रेज भी बाघा जतिन से खौफ खाते थे।

केवल प्लास्टिक के कचरे का सही प्रबंधन करके इस पंचायत ने कमाए 63 हज़ार रूपये!

By निशा डागर

केरल में इडुक्की जिले के नेदुमग्न्दम पंचायत ने हाल ही में, लगभग 4200 किलोग्राम रीसाइकल्ड प्लास्टिक कचरे को तारकोल बनाने वाली कंपनियों को बेचकर लगभग 63000 रूपये की कमाई की है। इस रीसाइकल्ड प्लास्टिक को तारकोल के साथ मिलाकर सड़क बनाने के लिए 'क्लीन केरल कंपनी' द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।

10 साल की सर्विस में 4 मेडल जीत चुकी पुलिस डॉग स्क्वाड की 'रानी' को मिला नया परिवार!

By निशा डागर

10 साल तक पुलिस फाॅर्स में सेवारत रहने वाली 'रानी' को हाल ही में रिटायरमेंट मिली और साथ ही, पुणे में रहने के लिए एक प्यारा-सा घर और परिवार। रानी, पुणे ग्रामीण पुलिस फाॅर्स के डॉग-स्क्वाड की सदस्य थी। अब वह इसी दल के पुलिस अफसर नायक गणेश फपले के परिवार के साथ उनके घर पर रहेंगी।

इश्वर चंद्र विद्यासागर की देख-रेख में, इस साहसी महिला ने किया था भारत का पहला कानूनन विधवा-पुनर्विवाह!

By निशा डागर

ईश्वर चंद्र विद्यासागर जिन्होंने हिन्दू विधवा-पुनर्विवाह का कानून पारित करवाया था। यह एक्ट जुलाई 1856 में पारित हुआ था। इसके बाद उन्होंने कोलकाता में 7 दिसंबर 1856 को एक विधवा लड़की कालीमती का पुनर्विवाह अपने एक साथी चंद्र विद्यारतना से करवाया था। यह देश में कानूनन पहला विधवा-विवाह था।

भारतीय सैनिकों को दुश्मन की नज़र से बचाएगा आईआईटी कानपूर का यह आविष्कार!

By निशा डागर

आईआईटी कानपूर के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा 'मेटामैटेरियल' बनाया है जिसकी बनी वर्दी पहनने से या फिर जिसके बने कवर्स से अपनी जीप आदि ढकने से कोई भी राडार भारतीय सेना के जवानों को नहीं पकड़ पायेगा। दरअसल, यह मैटेरियल राडार किरणों को अपने में अवशोषित करने की क्षमता रखता है जिससे कोई भी दुश्मन जवानों का पता नहीं लगा पायेगा।

गाँधीनगर में बैठे डॉक्टर ने किया अहमदाबाद में ऑपरेशन; जानिए कैसे!

By निशा डागर

गुजरात के अहमदाबाद में कार्डियक सर्जन डॉ तेजस पटेल ने एक मरीज की टेली-रोबोटिक सर्जरी की। यह पूरे विश्व की सबसे पहली टेली-रोबोटिक सर्जरी थी। टेलीरोबोटिक सर्जरी मरीज से दूर एक जगह से रोबोटिकली उपकरणों को नियंत्रित करके की जाती है। यह कंप्यूटर टेक्नोलॉजी और उन्नत रोबोटिक्स द्वारा सक्षम है।

1971 युद्ध का वह सुरमा जिसे जिवित रहते हुए मिला था परमवीर चक्र!

By निशा डागर

मेजर होशियार सिंह दहिया का जन्म 5 मई, 1936 को सोनीपत, हरियाणा के एक गाँव सिसाना में हुआ था। साल 1957 में उन्होंने जाट रेजिमेंट में प्रवेश लिया और बाद में वे 3-ग्रेनेडियर्स में अफसर बन गए। साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनके अदम्य साहस और बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाज़ा गया।

जब एक यहूदी लाइब्रेरियन ने खिलाया आम्बेडकर को खाना!

By निशा डागर

भीमराव आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत में मध्य भारत प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में स्थित महू नगर सैन्य छावनी में हुआ था। उनके पिता उस समय भारतीय सेना में सेवारत थे। पढ़ाई में रूचि रखने वाले आम्बेडकर ने समाज में फैली कुरुतियाँ जैसे बाल-विवाह, छुआछूत आदि का विरोध किया।

"बड़े 'परफेक्ट' घर को छोटे-से कमरे के लिए छोड़ा... पर अब मैं आज़ाद हूँ!"

By निशा डागर

मुंबई निवासी एक महिला ने ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे को बताया कि कैसे उसने अपने पति की नजरंदाजी के चलते घुटन भरे घर को छोड़ अपनी ज़िन्दगी नए सिरे से शुरू की है। वे अब एक छोटा सा स्टॉल चलाती हैं और एक छोटे से कमरे में किराये पर रहती हैं। पर वे अब खुश हैं।

पिछले 26 सालों से गरीब और बेसहारा मरीजों की देखभाल कर रहे हैं पटना के गुरमीत सिंह!

By निशा डागर

पटना के चिरायतंद इलाके में रेडीमेड कपड़ों की दुकान के मालिक गुरमीत सिंह पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) के गरीब और अपने परिवार द्वारा छोड़े हुए बेसहारा मरीजों के लिए रोज रात को खाना लाते हैं। गुरमीत पिछले तीन दशकों से ऐसा कर रहे हैं।