Powered by

Latest Stories

HomeAuthorsकुमार देवांशु देव
author image

कुमार देवांशु देव

नागालैंड: छात्रों ने मिनी-हाइड्रो पावर प्लांट लगा, गाँव को बनाया आत्मनिर्भर!

नागालैंड के खुजमा गाँव में रहने वाले केसेतो ठाकरो NIT Nagaland में एक टेक्नीशियन के रूप में काम करते हैं। उन्होंने अपने गाँव में एक मिनी-हाइड्रो पावर प्लांट को लगाया है, जिससे आज पूरा गाँव रोशन हो रहा है।

चावल की बेकार भूसी को बना दिया ‘काला सोना’, एक साल में कमाए 20 लाख रूपये, जानिए कैसे!

ओडिशा के कालाहांडी में रहने वाले बिभू साहू राइस मिल के मालिक हैं। यहाँ धान की भूसी को जलाने के बाद लोगों को साँस लेने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसी को देखते हुए, उन्होंने कुछ अभिनव करने का प्रयास किया।

मिलिए एक ऐसी जोड़ी से, जिनके घर में न पंखा है और न ही बल्ब!

बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक के घर को माहिजा डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म द्वारा बनाया गया है। इसकी पेरेंट कंपनी, मृणमयी है। इस कंपनी को 1988 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के छात्र रह चुके डॉ. योगानंद द्वारा शुरू किया गया था।

आँखें जाने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, 46 वर्षों से बिना किसी मदद चला रहे हैं अपनी दुकान

केरल के पथानमथिट्टा जिले के रहने सुधाकर कुरुप के आँखों की रोशनी 21 वर्ष के उम्र में ही चली गई।

इस खत को पढ़कर आप भावुक हो जाएंगे, जिसे एक IAS बेटी ने अपनी माँ के नाम लिखा है!

IAS अधिकारी सरयू मोहनचंद्रन मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं। वह फिलहाल, तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में तैनात हैं। कुछ महीने पहले, उन्होंने अपने फेसबुक पर अपनी माँ, खादिजा के लिए एक काफी भावनात्मक पोस्ट साझा किया।

किसान ने बनाई अनोखी मशीन, एक घंटे में निकलता है 10 क्विंटल टमाटर का बीज

ओडिशा के रेसिंगा गाँव के रहने वाले दिलीप बरल 1997 से फसलों से बीज तैयार करने के बिजनेस में हैं। इस दौरान उन्हें हाथों से बीज निकालने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने कुछ अलग करने का प्रयास किया, ताकि कम समय में अधिक से अधिक बीज निकाला जा सके।

चार दोस्तों का कमाल, 5 लाख बेकार प्लास्टिक की बोतलों से अंडमान में बनाया रिसॉर्ट!

अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5 लाख बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।

पापा वेकफील्ड: वह पूर्व ब्रिटिश सैनिक, जिन्हें भारत में इको-टूरिज्म का पितामह माना जाता है!

कर्नल जॉन फेलिक्स वेकफील्ड को लोग प्यार से “पापा” बुलाते थे। उन्होंने भारत के पहले इको-टूरिज्म वेंचर को अंजाम दिया था। वह कई वर्षों तक इसके निदेशक भी बने रहे।