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कुमार देवांशु देव

Video: विदेशों की नौकरी छोड़, बुंदेलखंड में किसानों को नई राह दिखा रहे यह वैज्ञानिक

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के रहने वाले रविकांत पाठक हॉंगकॉंग, अमेरिका और स्वीडन जैसे देशों में काम कर चुके हैं, लेकिन कुछ अलग करने की चाहत में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। वह 2007 से अपने “भारत उदय” प्रयास के तहत किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में संघर्षरत हैं।

मिट्टी से घर बनाना, पिछड़ेपन का प्रतीक है?” ऐसे कई मुद्दों को सुलझा रहे यह आर्किटेक्ट

बेंगलुरु के रहने वाले सत्य प्रकाश वाराणशी अपनी फर्म सत्य कंसल्टेंट्स के तहत, पिछले करीब 28 वर्षों से आर्किटेक्चर के क्षेत्र में इको-फ्रेंडली संरचनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौरान उन्होंने 500 से अधिक परियोजनाओं को अंजाम दिया है।

तीन दोस्तों ने “वर्क फ्रॉम साइकिल” का निकाला नया जुगाड़, घूमते रहे देश, करते रहे काम

कोरोनो महामारी के कारण आज वर्क फ्रॉम होम एक न्यू नॉर्मल बन गया है। कई लोगों को घर से काम करने में काफी आनंद आ रहा है तो कई लोगों को यह ऊबाऊ लग रहा है। ऐसे में, महाराष्ट्र के तीन दोस्तों ने Work From Cycle का ट्रेंड शुरू कर, कुछ अलग करने का प्रयास किया है।

Army Hero: 27 साल पहले आतंकवादी मुठभेड़ में खाई सीने पर गोलियाँ, आज बदल दी गाँव की तस्वीर

1994 में, मणिपुर के सुदूरवर्ती गाँव लांगदाईपबरम में एक आतंकवादी मुठभेड़ में कप्तान डीपीके पिल्लई ने जांबाजी और नेकदिली का परिचय दिया, जब वह मौत के बिल्कुल करीब थे। उनकी वजह से दो मासूम बच्चों की जान बची। आज 27 वर्षों के बाद, वह उस गाँव के लोगों को एक नया जीवन देने में सफल हो रहे हैं।

लॉन्च के दिन हुई फाउंडर की मृत्यु, पाँच दोस्तों ने संभाली कमान, आज है लाखों का बिजनेस

दिल्ली में पाँच महिलाओं ने मिलकर ‘काकुल’ नाम से एक ऐसे मंच को शुरू किया, जहाँ न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल और हाथों से बने सौ से अधिक उत्पादों को बेचा जाता है, बल्कि इससे दूसरी महिला उद्यमियों को भी बढ़ावा मिल रहा है। पढ़िये एक प्रेरक कहानी।

पुणे की इस कंपनी ने बनाई देश की पहली डुअल सस्पेंशन साइकिल, जानिये क्या है खास!

आज ई-व्हिकल खरीददारों के मन में सबसे बड़ा सवाल होता है - क्या होगा यदि वाहन की बैटरी आधे रास्ते में ही डिस्चार्ज हो जाए? इसी को देखते हुए, पुणे स्थित E Motorad कंपनी ने एक ऐसी ई-साइकिल को विकसित किया है, जिसे ई-बाइक के रूप में चलाने के साथ ही, आम साइकिल के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

धूप, पानी और हवा का अध्ययन कर, बनातीं हैं सस्टेनेबल भवन, जानिए कैसे

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, आर्किटेक्ट अनघा जोशी और मधुरा जोशी ने आम लोगों की आर्किटेक्चर से संबंधित परेशानियों को हल करने के लिए, अपनी कंपनी Lab A+U की शुरुआत की। जिसके तहत वे अभी तक करीब 60 परियोजनाओं पर काम कर चुके हैं।

पश्चिम को भारतीय शौचालयों की सीख देकर, अमेरिकी कंपनी ने खड़ा किया 175 मिलियन डॉलर बिज़नेस

अमेरिका स्थित ‘स्क्वैटी पॉटी’ का आज 175 मिलियन डॉलर का बिजनेस है। क्या आप जानते हैं कि यह भारत की ही हजारों साल पुरानी तकनीक है? पढ़िए भारतीय शैली के शौचालयों का एक रोचक इतिहास!