हाल ही में, आईआईटी कानपूर के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा ‘मेटामटेरियल’ बनाया है, जिसकी बनी वर्दी पहनने से या फिर जिसके बने कवर्स से अपनी जीप आदि ढकने से सेना के जवानों को कोई भी रडार या फिर सेंसर नहीं पकड़ पायेगा। दरअसल, यह मटेरियल रडार किरणों को अपने में अवशोषित करने की क्षमता रखता है, जिससे कोई भी दुश्मन जवानों का पता नहीं लगा सकता।
इस आविष्कार का प्रयोग करके किसी भी रडार, मोशन-डिटेक्टिंग ग्राउंड सेंसर और थर्मल इमेजिंग सिस्टम से बचा जा सकता है।
इस आविष्कार को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने मंजूरी दी व फंड किया है। आईआईटी कानपूर के दो प्रोफेसरों ने मिलकर इसे बनाया है – इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग से प्रो.कुमार वैभव श्रीवास्तव और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के जे रामकुमार।
साल 2010 से इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा था। इस मटेरियल की लैब-टेस्टिंग की जा चुकी है और अब यह फ़ील्ड टेस्टिंग के लिए तैयार है।
Researchers at IITK have developed textile-based metamaterials for radar absorption that can be used as uniforms for personnel & skirtings or coverings for ground vehicles.Transparent metamaterial absorbers have been developed for vehicular windshields or canopy of slow aircraft. pic.twitter.com/DXt7VXBbjB
— IIT Kanpur (@IITKanpur) December 3, 2018
सबसे अच्छी बात यह है कि यह तकनीक स्वदेशी है और अब इसके चलते भारत को किसी और देश से तकनीक के आयात-निर्यात पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। सैनिकों की वर्दी और जीप आदि के लिए कवर के अलावा अब ये रिसर्चर और भी ऊँचे दर्ज़े का मटेरियल बनाने पर काम कर रहे हैं, ताकि इसे एयरक्राफ्ट में भी इस्तेमाल किया जा सके।
साथ ही, यह मटेरियल काफ़ी लचीला है और किसी भी तरह की मौसमी परिस्थितियों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: