“लेट्स एजुकेट चिल्ड्रन इन नीड (लेसिन),” एनजीओ का उद्देश्य दिल्ली के स्लम इलाकों के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान कर, न केवल उनकी औपचारिक शिक्षा बल्कि उनके समग्र विकास पर ध्यान दे, समाज के उत्थान में योगदान करना है। लेसिन की स्थापना अब से तीन साल पहले, साल 2015 में नूपुर भारद्वाज और उनके दोस्त रोहित कुमार ने की थी। दिल्ली से ही ताल्लुक रखने वाली 22 साल की नूपुर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामानुजन कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बी.टेक किया है।
नूपुर बताती हैं कि अपनी ग्रेजुएशन के दौरान ही एक इनोवेशन प्रोजेक्ट पर काम के चलते वे और उनके कुछ साथी दिल्ली के संजय विहार स्लम इलाके में गए। वहां जाने के बाद एक भयावह हक़ीकत नुपुर के सामने आई। उन्हें पता चला कि कैसे पलायन के चलते लोग अपना मूल स्थान छोड़ आजीविका के लिए दिल्ली की तंग और गन्दगी भरे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं।
इन लोगों को और करीब से जानने के बाद जिस बात ने नुपुर पर सबसे गहरा प्रभाव छोड़ा वह था इन झुग्गियों में रहने वाले बच्चों का बचपन। वहां के बच्चे स्कूल तक नहीं जाते थे और यदि कोई जाता भी था तो वह भी बस नाम के लिए। ऐसे में अपनी नुपुर ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ इन बच्चों को पढ़ाने की ठानी!
उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही, साल 2014 में ‘यंग एसोसिएशन’ नामक एक एनजीओ के साथ स्लम-टीचिंग विभाग में काम किया। जिसमें वे हर शनिवार और रविवार इन झुग्गियों में बच्चों को पढ़ाने जाती थी।
द बेटर इंडिया से बातचीत के दौरान नुपुर ने बताया, “इस संस्था के साथ काम करके मुझे समझ आया कि इन बच्चों के लिए हमें पारम्परिक पढ़ाई के तरीकों को छोड़ नए तरीके अपनाने होंगे। पर यंग एसोसिएशन के साथ रहते हुए ऐसा करना मुश्किल लग रहा था तो हमने अपने स्तर पर पहल करने की सोची।”
साल 2015 में नूपुर और उनके दोस्त रोहित कुमार ने लेसिन/LECIN की शुरुआत की। शुरू में उन्होंने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिल कर दिल्ली के इंद्रप्रस्थ में स्लम के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। जो सिलसिला इंद्रप्रस्थ से शुरू हुआ वह आज भी बरक़रार है।
धीरे-धीरे नूपुर के साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के और भी छात्र जुड़ गए। जैसे-जैसे लोग बढ़े, लेसिन भी दिल्ली के और भी स्लम क्षेत्रों में फ़ैल गया। आज लेसिन के तहत इंद्रप्रस्थ, ओखला, और कालकाजी क्षेत्रों में गरीब व पिछड़े परिवारों के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।
नूपुर ने बताया, “आज हम 990 बच्चों के साथ काम कर रहे हैं। लगभग 63 स्वयं-सेवी संगठनों के साथ हमने काम किया है। हमारे साथ 20 टीचर और लगभग 250 स्वयंसेवक व इंटर्न काम कर रहे हैं।”
नूपुर ने बताया कि उनकी पहल को उड़ान तब मिली जब उन्हें और रोहित को लेसिन के तहत काम के लिए दिल्ली के प्रवाह संस्था से चेंजलूमर्स प्रोग्राम की फ़ेलोशिप मिली। इस फ़ेलोशिप में उन्होंने अपने टेक्निकल पृष्ठभूमि से अलग भी बहुत कुछ सीखा। जिसकी वजह से उन्होंने कालकाजी स्लम में प्रोजेक्ट सक्षम के अंतर्गत बच्चों के लिए कंप्यूटर क्लासेज शुरू करवाई।
लेसिन का उद्देश्य इन बच्चों के भीतर छुपे कौशल और प्रतिभा को पहचान उन्हें एक नयी दिशा व आयाम देना है। नूपुर ने बताया,
“हमने इन बच्चों की औपचारिक शिक्षा को वैसे ही चलते रहने दिया और उसमे कोई दखल अंदाजी नहीं की। हम केवल इन बच्चों को औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ इनकी अन्य योग्यता व प्रतिभा से इनकी पहचान करना चाहते है। ताकि ये बच्चे भी समाज में अपनी प्रतिभा के दम पर अपना स्थान बना पायें।”
इसी सोच पर काम करते हुए लेसिन में बच्चों की कम्युनिकेशन स्किल, क्रिटिकल थिंकिंग, कला प्रतिभा इत्यादि पर ध्यान दिया जा रहा है।
समय-समय पर लेसिन बहुत से संगठन और संस्थाओं के साथ मिलकर इन स्लम क्षेत्रों में बदलाव मुहिम भी आयोजित करता है।
हाल ही में ओखला स्लम में लेसिन द्वारा स्वच्छता ड्राइव का आयोजन किया गया, जिसमे अन्य एनजीओ सहयोगियों के साथ मिल उन्होंने स्लम की तस्वीर बदल दी। InTuition AcadeMe के साथ मिल कर उन्होंने बच्चों को अपनी प्रतिभाओं से रू-ब-रू कराने के लिए “खुद से मुलाकात” इवेंट का आयोजन किया। इसके अलावा प्रोजेक्ट स्वच्छता के ही तहत “पेंटिंग द ओखला स्लम” का आयोजन किया गया, जिसमे कई संगठनों ने लेसिन का सहयोग किया।
“हम बच्चों को स्लम के खुले क्षेत्र में ही पढ़ाते हैं और उनकी सभी एक्टिविटी वहीं होती हैं। पर गंदगी के चलते बहुत दिक्क्त होती थी। साथ ही हम बच्चों को उनका अपना स्पेस देना चाहते थे जिसे वे अपना कह सकें। इसलिए हमने ओखला स्लम में सभी दीवारों को नई तस्वीर दी ताकि बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव पडे, ” यह कहना है नूपुर का।
लेसिन के सहयोगकर्ताओं की लिस्ट में प्रवाह, साईं संस्कार फाउंडेशन, ऑल राइट सोल्यूशन, रामानुजन कॉलेज, सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया, अदाकार थिएटर सोसाइटी आदि शामिल हैं।
पिछले तीन सालों से अपने अन्य पहलों के साथ-साथ लेसिन का एनुअल फेस्टिवल “उन्नति” मनाया जाता है। जिसमे स्लम के बच्चे अपना अनुभव साँझा करते हैं साथ ही बहुत सी परफॉरमेंस भी इन बच्चों द्वारा की जाती हैं। इस साल भी उन्नति 2018 की तैयारियां जोरों पर हैं।
नूपुर ने बताया, “इस साल ‘उन्नति’ की थीम ड्रीम्स यानी कि सपने है। और इस बार ख़ास बात यह है कि पुरे कार्यक्रम का जिम्मा इन्हीं बच्चों ने उठाया है। वे खुद लोगों को इसके लिए फ़ोन करके आमंत्रित कर रहे हैं। एंकरिंग, डांस, बैकस्टेज, रेफ्रेशमेंट्स आदि सभी विभागों को बच्चे ही संभाल रहे हैं।”
इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एसिड अटैक सरवाइवर मिस लक्ष्मी अग्रवाल हैं।
बच्चों के विकास पर बात करते हुए नूपुर ने बताया कि बच्चों में पिछले तीन सालों में बहुत बदलाव आया है। फीडबैक सत्रों में बच्चों ने साँझा किया है कि उनमें व्यक्तिगत रूप से सुधार आया है। किसी की कम्युनिकेशन स्किल बेहतर हुई तो किसी में आत्म-विश्वास बढ़ा है।
“जैसे-जैसे बच्चे लेसिन के साथ जुड़ रहें हैं तो अब हमें महसूस होने लगा है कि हमें एक निजी स्थान की जरूरत है जहां पर हम बच्चों को अनुकूल वातावरण दे पाए। स्लम क्षेत्रों में बढ़ते शोर और प्रदूषण के चलते वहां बच्चों को पढ़ने व एक्टिविटी करवाने में समस्याएं आ रही हैं। तो अभी हमारी जरूरत एक ऐसा स्पेस है जो केवल इन्हीं बच्चों का हो,” नूपुर ने बताया।
लेसिन के बारे में और अधिक जानने के लिए फेसबुक पेज पर जाएँ।
नूपुर भरद्वाज से सम्पर्क करने के लिए आप उन्हें nupur.lecin@gmail.com पर ईमेल या फिर 8826578917 पर कॉल कर सकते हैं।
लेसिन के इस सफर में इन बच्चों का भविष्य सवांरने के लिए आप नूपुर के अकाउंट में अपना योगदान दे सकते हैं या फिर उन्हें paytm द्वारा मदद कर सकते हैं।
Paytm no. – 8826578917
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: