कोल्हापुर के याल्गुड गाँव के रहने वाले संभाजी बगल के परिवार में ख़ुशी का माहौल था। हर कोई अपने-अपने कामो में व्यस्त था। आखिर घर की बेटी, सयाली की शादी में दिन ही कितने बचे थे। पर अचानक 8 नवम्बर की रात को मानो ये सारा ख़ुशी का माहौल मातम में बदल गया हो।
8 नवम्बर की रात को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के बयान के बाद इस परिवार को समझ ही नहीं आ रहा था कि अब वे शादी की इतनी सारी तैयारियां बिना नगद के कैसे करेंगे।
पिता संभाजी ने सयाली की शादी के लिए जितने भी पैसे बचाए थे, वो सारे बैंक में जमा थे, लेकिन नोटबंदी के बाद रुपयों की सीमित निकासी के फैसले से वे चिंतित हो उठे।
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उन्होंने टाइम्स आॅफ इंडिया को बताया कि, ‘उनकी बेटी की शादी कराड के एक दुकान मालिक से तीन महीने पहले तय हुई थी। नोटबंदी के बाद करेंसी एक्सचेंज और नए नोटों को निकालने के लिए बैंक और एटीएम के बाहर जिस तरह की मारामरी मची थी, उसको देखकर वह सादे ढंग से शादी की रस्में पूरी करने के लिए मजबूर हो गए थे। लेकिन उन्हें इसमें भी संशय था कि सादे ढंग से शादी करने के लिए भी जरूरी रकम जुट पाएगी या नहीं।’
संभाजी को जिस बात का डर था वही हुआ, हल्दी की रस्म से पहले तक भी वे पर्याप्त रकम बैंक से नहीं निकाल पाए थे। ऐसे में पूरा गाँव उनके साथ आकर खड़ा हो गया। दोस्त, रिश्तेदार और यहाँ तक कि सभी गांववाले सयाली की शादी के लिए थोड़ी थोड़ी रकम निकालने के लिए बैंक की कतारों में खड़े हो गए। और ये सभी पैसे उन्होंने संभाजी को लाकर दे दिए।
22 नवम्बर को सयाली की शादी की रस्मे हल्दी की रस्म से शुरू हुई। और सजावट, कपडे, मिठाईयां और बाकी सभी तैयारियों को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि इस शादी में पैसे की कोई भी कमी थी।
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“यह शादी मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगी। इसने हमारे दोस्तों और रिश्तेदारों को और भी करीब ला दिया है। इन लोगों की दुआएं मेरे काम आईं,” उत्साहित होकर सयाली ने कहा!
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