नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) के प्रिसिंपल और कई गैलेंट्री अवार्ड्स के विजेता, कर्नल अजय कोठियाल पर्वतारोहन के अलावा भी देशहित में एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। और ये भूमिका है देश की सीमा पर तैनात सेना और देश के भीतर हमारी रक्षा करने वाले पुलिस सेवा के लिए फौजियों को तैयार करने की।
47 साल की उर्म के मजबूत इरादों वाले कर्नल अजय कोठियाल 1992 में चौथी गढ़वाल राइफल में बतौर सैन्य अधिकारी शामिल हुए। सीमाओं की हिफाजत में कर्नल अजय कोठियाल ने 7 आंतकियों को भी मार गिराया और खुद भी 2 गोलियां सीने में झेलीं। उनके वीरता और साहस के लिए उन्हें कीर्ती चक्र, शौर्य चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल से भी नवाजा जा चुका है।
अब तक वह भारत और नेपाल की 18 चोटियों पर पर्वतारोहण कर चुके हैं और 2001 में भारतीय सेना के पहले दल के सफल एवरेस्ट सबमिट करने का खिताब भी उनके ही नाम है। इतना ही नहीं 2012 में 7 महिला सैन्य अधिकारियों के साथ एवरेस्ट सबमिट करने में भी कर्नल अजय कोठियाल की भूमिका सहारनीय रही है।
उत्तराखंड में पले-बढे कर्नल कोठियाल ने हमेशा से ये महसूस किया था कि उनके आस पास ऐसे कई युवा है, जो सेना में भर्ती तो होना चाहते है पर उचित मार्गदर्शन न मिलने की वजह से हो नहीं पाते। उनके छोटे से गाँव में, सेना में होने की वजह से उन्हें हर कोई जानने लगा और लोग अपने बच्चो को सेना में भर्ती कराने के लिए उनके पास आने लगे। कर्नल कोठियाल ने भी इन लोगो को निराश न करते हुए इनके बच्चो को उचित प्रशिक्षण देने का आश्वासन दिया।
2013 में पहली बार, एक और प्रशिक्षक की मदद से कर्नल कोठियाल ने 30 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जिनमे 28 का भारतीय सेना के सबसे तेज़ माने जाने वाले रेजिमेंट, गढ़वाल राइफल्स में चयन हो गया।
उनके छात्रों के पहले ही दल की इस सफलता ने उनके प्रशिक्षण के स्तर का सबूत दे दिया और धीरे धीरे उनके पास प्रशिक्षण पाने के लिए युवाओं का तांता लग गया।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा –
“मैंने युवाओ में देश की सेवा करने का ज़बरदस्त जज्बा देखा है। पर दुर्भाग्यवश उन्हें सेना या पुलिस में भर्ती होने के तौर तरीके ही नहीं पता होते थे। इसलिए हमने सोचा किक्यूँ न उन्हें एक फौजी की ज़िन्दगी से रु-ब-रु कराया जाएँ।”
अपने इस मुहीम को ज्यादा से ज्यादा युवाओं तक पहुंचाने के लिए कर्नल कोठियाल ने 2015 में एक स्वयं सेवी संस्था, ‘यूथ फाउंडेशन’ का निर्माण किया। यह संस्था अब उत्तराखंड में 6 अलग अलग खेमो से प्रशिक्षण देती है।
कर्नल कोठियाल, जिन्होंने अब तक शादी नहीं की है, ने अपनी सारी पूंजी इस संस्था में लगा दी, हालांकि अब इस संस्था को कुछ जाने माने ट्रस्ट की भी सहायता मिल रही है।
अब तक कर्नल कोठियाल की संस्था से प्रशिक्षित 1800 युवाओं में से 1400 का चयन भारतीय सेना में हो चूका है, जिनमे कई लडकियां भी शामिल है।
चूँकि इन छात्रों में देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी होती है इसलिए जब इन्हें प्राकृतिक आपदाओं के समय देशवासियों की मदद करने को कहा जाता है, तो उसमे भी ये पीछे नहीं हटते। इनके ज़्यादातर प्रशिक्षक सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी है और उनका मानना है कि ऐसा करने से इन युवाओं में फुर्ती के साथ साथ समाजिक दायित्वों की भी भावना जागती है।
हाल ही में बादल फटने से एक वृद्ध महिला का खेत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। यूथ फाउंडेशन ने अपने करीब 100 छात्रों को इस महिला की मदद के लिए भेज दिया। इन युवाओं के काम से ये वृद्धा इतनी भावुक हो गयी कि उन्होंने सभी के लिए गरम गरम चावल पका कर दिए।
चाहे बात देश की सीमाओं की हिफाजत की हो या फिर सामने खड़ी कुदरत की पहाड़ सी चुनौती, कश्मीर से लेकर केदारनाथ जैसे दुर्गम और विषम भौगोलिक परिस्थितियों में कर्नल अजय कोठियाल ने अपनी हिम्मत का लोहां मनवाया है। ऐसे देशभक्त को हमारा सलाम!
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