/hindi-betterindia/media/post_attachments/uploads/2021/08/Sudam-Sahu-.jpg)
बरगढ़ (ओड़िशा) जिले के काटापाली गांव के किसान सुदाम साहू ने, साल 2001 में शौक़ के तौर पर बीज इकट्ठा करने का काम शुरू किया था। लेकिन आज यह काम उनके जीवन का एक मिशन बन चुका है। वह अपने क्षेत्र के किसानों को खेती में स्वदेशी बीजों का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। बीज रक्षक सुदाम ने पिछले 19 सालों में, 1000 से अधिक किस्मों के बीजों का संग्रह और भंडारण किया है। उन्होंने बरगढ़ में अपना खुद का बीज बैंक भी खोला है।
वह हर साल, अपने इस संग्रह को बढ़ाने के अलावा, युवा किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित करने का काम कर रहे हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, "मेरे खेत में तक़रीबन हर दूसरे दिन कोई न कोई, मेरे संग्रह को देखने या मुझसे खेती की जानकारी लेने आता है। मुझे ख़ुशी है कि लोगों के बीच, देसी बीज के इस्तेमाल का प्रचलन बढ़ रहा है, जो कुछ समय पहले बिल्कुल कम हो गया था।"
अपने बीज बैंक के बीजों को सालों-साल सुरक्षित रखने के लिए, वह इनकी खेती भी करते हैं। वह बारी-बारी से हर साल 500-500 किस्में रोपते हैं और उसके बीज तैयार करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने खुद प्रयोग करके, छह नई किस्मों के धान के बीज भी तैयार किए हैं। जिनमें से चार पेटेंट और नाम के साथ तैयार हैं।
नौकरी के बजाय खेती को चुना
खेती के प्रति अपने इस शौक़ के बारे में बात करते हुए 49 वर्षीय सुदाम बताते हैं, "साल 2001 में मुझे सरकारी नौकरी का प्रस्ताव भी आया था। चूँकि मेरे घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए पिता चाहते थे कि मैं नौकरी करूँ। बावजूद इसके, उनकी इच्छा के खिलाफ जाकर मैंने खेती करने का फैसला किया।" हालांकि सुदाम के पिता खेती में केमिकल का प्रयोग किया करते थे। लेकिन बीज इकट्ठा करने और जैविक खेती के प्रति उनके रुझान का श्रेय, वह अपने दादा को देते हैं। वह कहते हैं, "साल 2001 में जब मैंने खेती करने का फैसला किया, तब तक मेरे दादा नहीं रहे थे। इसलिए मैंने वर्धा (महाराष्ट्र) गाँधी आश्रम में जाकर जैविक खेती की ट्रेनिंग ली। उसी दौरान मुझे देसी बीज के फायदों के बारे में जानने का मौका मिला और मैंने अलग-अलग जगहों से इसके संग्रह का काम शुरू किया।"
उन्होंने वापस घर आकर आस-पास के किसानों को जैविक खेती सिखाना शुरू किया। वह अलग-अलग गावों में भी जाया करते थे और जहां से भी देसी बीज मिलते, वह लेकर आते थे। इसके अलावा वह छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बंगाल जैसे राज्यों में भी बीज की तलाश में जाते थे। इस तरह साल 2012 तक उनके पास 900 किस्मों के देसी धान के बीज जमा हो गए थे। जिसके बाद, उन्होंने दालों और सब्जियों के बीज के बारे में भी जानना शुरू किया।
घर पर ही बनाया विशाल बीज बैंक
फिलहाल, सुदाम के बीज भंडार में धान के बीज की 1000 किस्में, सब्जियों की 65 किस्में, 16 किस्मों की दाल और तिलहन के बीज शामिल हैं। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में उन्होंने क्रॉस जर्मिनेशन के माध्यम से, धान के बीज की छह नई किस्में भी बनाई हैं। उनका दावा है कि उनकी बनाई किस्मों में कई औषधीय गुण मौजूद हैं।
उन्होंने अपने घर की पहली मंजिल पर ही, अपना बीज बैंक बनाया है। जहां, लगभग 800 वर्ग फुट के क्षेत्र की दीवारों पर अलग-अलग गमलों में बीजों को लटकाकर रखा गया है।
सुदाम ने बताया, "मैंने 2008 में दूसरे राज्यों के किसानों को भी जैविक खेती का प्रशिक्षण देना शुरू किया। जिससे मुझे बीज संग्रह को बढ़ाने में मदद मिली। जो भी मुझसे सीखने आता था, मैं उन्हें उनके गांव के देसी बीज लाने के लिए कहता था। इस तरह एक्सचेंज के माध्यम से ही मैंने, 40 प्रतिशत बीज जमा किए हैं।"
वह, हर साल लगभग 150 ट्रेनिंग प्रोग्राम्स आयोजित करते हैं। पिछले पांच सालों से वह अपने इलाके में काले चावल की खेती के लिए भी लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। जिसके लिए वह किसानों को बीज भी उपलब्ध कराते हैं। उनका मानना है कि हमारे देसी काले चावल, ज्यादा पौष्टिक होते हैं। उनके संग्रह में भी काले चावल की 14 किस्में शामिल हैं।
सुदाम ने देसी बीजों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए हैं। उनके प्रयासों को देखते हुए, इसी साल उन्हें 'जगजीवन राम इनोवेटिव किसान' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
अंत में सुदाम कहते हैं, "मैं अपने इस ख़जाने को अपने तक सीमित रखने के बजाय और किसानों तक पहुँचाना चाहता हूँ। मैं किसानों को उनका खुद का बीज बैंक तैयार करने में भी मदद कर रहा हूँ। जो भी मुझसे बीज की मांग करता है, मैं उसे बीज उपलब्ध कराता हूँ। ताकि ज्यादा से ज्यादा देसी बीजों का इस्तेमाल हो सके।"
आप सुदाम के बीज बैंक के बारे में ज्यादा जानने के लिए उन्हें 97768 78711 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
संपादन- अर्चना दुबे
यह भी पढ़ेंः कोयले की खान पर थी ज़मीन, मज़दूर ने 15 साल मेहनत कर बनाई उपजाऊ, अब खेती से कमाते हैं लाखों
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें [email protected] पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।
/hindi-betterindia/media/media_files/uploads/2021/08/Sudam-Sahu-2-1024x580.jpg)
/hindi-betterindia/media/media_files/uploads/2021/08/Sudam-Sahu-3-1024x580.jpg)
/hindi-betterindia/media/media_files/uploads/2021/08/Sudam-Sahu-4-1024x580.jpg)