Placeholder canvas

ज़िद्द के दम पर बदली अपनी किस्मत! कभी सड़क पर झाड़ू लगाने वाली आशा कंडारा बनीं RAS अधिकारी

ras asha kandara

अगर आपके पास हिम्मत, धैर्य व लगन, और अपनी मेहनत पर विश्वास हो, तो किस्मत भी आपके इशारों पर चलने लगती है। इसे साबित कर दिखाया है, जोधपुर की आशा कंडारा ने। राजस्थान लोक सेवा आयोग की परिक्षा में सफलता हासिल कर, आशा कंडारा बनीं RAS अधिकारी।

अगर आपके पास हिम्मत, धैर्य व लगन, और अपनी मेहनत पर विश्वास हो, तो किस्मत भी आपके इशारों पर चलने लगती है। इसे साबित कर दिखाया है, जोधपुर की आशा कंडारा ने। राजस्थान लोक सेवा आयोग की परिक्षा में सफलता हासिल कर, RAS बनीं आशा (RAS Asha Kandara) ने ये बता दिया है कि हमारी कोशिशें ही तय करती हैं, हमारा मुकद्दर।

RAS के पद पर चयनित होनेवाली आशा की कहानी, उनका जीवन, संघर्षों से भरा हुआ रहा। पति या परिवार पर पूरी तरह से निर्भर रहनेवाली महिलाओं के लिए, वह एक बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि एक स्त्री के लिए उसके आत्मसम्मान से बड़ा कुछ नहीं होता। आपकी आत्मनिर्भरता ही आपकी आजादी और आत्मबल की कुंजी होती है।

सफाईकर्मी से RAS अधिकारी तक का सफर

एक आम लड़की की तरह ही, साल 1997 में आशा की भी शादी हुई, जिसके बाद उनके दो बच्चे हुए। लेकिन शादी के पांच साल बाद, घरेलू झगड़ों के चलते, दोनों अलग हो गए। इसके बाद, आशा ने अपने दोनों बच्चों की परवरिश के साथ-साथ, अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। साल 2016 में, उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की और इसी वर्ष उन्होंने अपने पति से कानूनी तौर पर तलाक़ ले लिया।

अब उन्हें अपनी और बच्चों की ज़िम्मेदारी खुद निभानी थी। उन्हें बच्चों की माँ और पिता दोनों ही बनकर रहना था। बस फिर आशा ने ठान लिया कि अब कुछ तो करना ही पड़ेगा। साल 2018 में उन्होंने RAS और फिर सफाई कर्मचारी भर्ती की परीक्षा दी। उस समय आरएएस का रिज़ल्ट नहीं आया था। एग्जाम के 12 दिन बाद ही, आशा को सफाई कर्मचारी पद पर नियुक्त कर दिया गया।  लेकिन RAS के रिज़ल्ट के लिए उन्हें इंतजार करना पड़ा। इस दौरान जोधपुर के उत्तर न​गर निगम में वह बतौर सफाईकर्मी दो सालों तक सड़कों पर झाड़ू लगाती रहीं।

Asha Kandara was a sweeper in Jodhpur   Uttar Nagar Nigam, Rajsthan

मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और संघर्ष जारी रखा। फिर क्या था, कुछ समय बाद उनकी मेहनत रंग लाई और आरएएस परीक्षा पास कर, उन्होंने सफलता का परचम लहरा दिया। वह, RAS प्रीलिम्स की परीक्षा के लिए दिन-रात तैयारी करती थीं। उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ, कोचिंग क्लास भी जॉइन की। अगस्त में प्रीलिम्स की परीक्षा दी और अक्टूबर में रिज़ल्ट आए। पास होते ही, वह RAS मेन्स की तैयारियों में जुट गईं।

यह भी पढ़ें – किसान पिता नहीं भेज पाए थे 5वीं के बाद स्कूल, फिर भी पाँचों बहनें बनीं RAS अधिकारी

लोगों के तानों से मिली प्रेरणा

आशा ने एक इंटरव्यू में कहा, “परीक्षा देने के बाद, मुझे भरोसा था कि मेरा चयन ज़रूर होगा।”

जब परीक्षा के परिणाम आए तो हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही। आशा कंडारा ने RAS-2018 में अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत 728वीं रैंक हासिल की।

आशा हमेशा से ही सिविल सर्विसेस में जाना चाहती थीं। उन्हें इसकी प्रेरणा, लोगों के तानों से मिली। लोग अक्सर कहते थे कि कहीं की कलेक्टर हो या तुम्हारे मां-बाप कलेक्टर हैं? उन्होंने सोचा कि लोग इतना बोलते हैं, तो क्यों न बन ही जाया जाए! उनकी कोशिश तो IAS अधिकारी बनने की थी, लेकिन फिलहाल RAS में चयन हुआ।’

आशा की यह कहानी, उन तमाम महिलाओं की कहानी है, जो इस समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहती हैं और अपनी मेहनत व लगन से ऐसा करती भी हैं। शायद इसलिए कहते हैं, ज़िन्दगी जीने के लिए बस एक ‘आशा’ ही काफी है।

यह भी पढ़ेंः 20+ सालों से कर रहे हैं लगातार ट्रिप्स, घूम लिए देश के लगभग 250 शहर और कस्बे

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X