सीवेज पाइप से बनाया सस्ता घर, अब तक मिल चुके हैं 200 ऑर्डर

तेलंगाना की पेराला मानसा रेड्डी, एक सिविल इंजीनियर हैं। हाल ही में उन्होंने बड़ी सीवेज पाइप का इस्तेमाल करके, कम लागत में एक छोटा सा घर तैयार किया है।

2019 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़नेवाले देशों में से एक है। हालांकि, वही स्टडी यह भी कहती है कि देश के छह करोड़ से ज्यादा लोगों के पास सही आवास या घर तक की सुविधा नहीं है। हमारे देश में कई लोग अस्थायी घरों, जैसे- झोंपड़ियों या भूसे से बने घर में रहते हैं, वहीं कुछ लोग बेकार पड़े शिपिंग कंटेनरों में रहने को भी मजबूर हैं, जो गर्मियों में रहने लायक नहीं होते। इस वजह से, इन लोगों को अपना घर बार-बार बदलना या बनाना पड़ता है। इसी परेशानी के निपटने के लिए, तेलंगाना के बोम्मकल गांव की पेराला मानसा रेड्डी (23) ने एक नवाचार किया है। उन्होंने हांगकांग के OPod घरों से प्रेरणा लेकर, एक सस्ता ‘OPod Tube House’ बनाया है। हांगकांग की ‘James Law Cybertecture’ नाम की कंपनी ने सबसे पहले इस तरह के छोटे OPod घर बनाने की शुरुआत की थी।

मानसा ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU), पंजाब से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वह कहती हैं, “इन पाइपों को तेलंगाना के एक मैन्युफैक्चरर से मंगवाया गया था, जो पाइप को हमारी जरूरत के हिसाब से बड़े-छोटे सभी साइज में देने के लिए तैयार थे। हालांकि, ये पाइपें गोल आकार में थीं, फिर भी इनसे बने घर में तीन लोगों का परिवार आराम से रह सकता है। साथ ही, इनसे ग्राहकों की जरूरतों के मुताबिक 1 BHK, 2 BHK और 3 BHK घर भी बनाए जा सकते हैं।” वह कहती हैं कि ऐसे घरों को बनाने में सिर्फ 15 से 20 दिन ही लगते हैं।  

देशभर में ऐसे ही कई, कम लागतवाले घर बनाने की उम्मीद से, मानसा ने ‘Samnavi Constructions’ नामक एक स्टार्टअप भी लॉन्च किया है। द बेटर इंडिया से बात करते हुए, मानसा बताती हैं कि वह ऐसे छोटे और कम लागतवाले घर, क्यों बनाना चाहती हैं और उन्होंने इस घर को कैसे बनाया। 

OPod House
पेराला मानसा रेड्डी का बनाया OPod घर

समझा अस्थायी घरों की परेशानी को 

बोम्मकल के छोटे से गांव में जन्मी और पली-बढ़ी, मानसा ने अपनी स्कूली शिक्षा ‘तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेसिडेंशियल एजुकेशन सोसाइटी’ से पूरी की है। हाई स्कूल पास करने के बाद, वह LPU में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने चली गईं।

मानसा ने बताया कि तेलंगाना के स्लम इलाकों में स्वयंसेविका के रूप में काम करते हुए ही, उन्हें सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का ख्याल आया था। वह बताती हैं, “मैंने वहां देखा कि कई परिवार, जिनमें बच्चे भी थे, वे स्टील की शीट और बड़े प्लास्टिक के कवर से बने अस्थायी घरों में रह रहे थे। वहां कुछ लोग शिपिंग कंटेनरों में, तो कुछ बांस से बने घरों में रहते थे। वहां रह रहे सभी परिवार प्रवासी मजदूर थे, इसलिए वे उन घरों में एक साल से ज्यादा नहीं रहते थे।”

वह कहती हैं कि गर्मी के मौसम में बढ़ते तापमान या मानसून में बाढ़ के पानी के कारण, वे इन घरों को खाली कर देते थे। हालांकि, वह कॉलेज के अपने पहले साल से ही इन परेशानियों को देख रही थीं, लेकिन पढ़ाई के दौरान उन्हें कभी भी इन परेशानियों के समाधान पर काम करने का मौका नहीं मिला। वहीं, पिछले साल मार्च 2020 में, जब वह घर से इंजीनियरिंग के आखिरी साल की पढ़ाई कर रही थीं, तब उन्हें अपने आईडिया पर काम करने और योजना बनाने के लिए काफी समय मिला।

मानसा कहती हैं, “मैंने कई बार देखा कि बेघर लोग, सड़क के किनारे बेकार पड़े सीवेज पाइप में रहने लगते हैं। मुझे तभी यह ख्याल आया कि अगर मैं इन सीवेज पाइपों को थोड़ा और बड़ा और एक परिवार की जरूरतों के मुताबिक, बेसिक सुविधा से लैस बना दूं, तो उन्हें एक स्थायी घर मिल जाएगा।” 

इस तरह के पॉड-स्टाइल यानी गोल आकार के छोटे घर बनाने का ख्याल, उन्हें जापान और हांगकांग के कम लागतवाले घरों के बारे में, महीनों तक रिसर्च करने के बाद आया। इसके अलावा, उन्होंने ऑनलाइन कई रिसर्च पेपर भी पढ़ें, जिससे उन्हें कम जगह में, कम लागत के घर बनाने के तरीकों को जानने में काफी मदद मिली। 

Perala Manasa Reddy
पेराला मानसा रेड्डी

प्रोटोटाइप डिजाइन 

2020 के अंत में, जब लॉकडाउन में ढील दी गई थी, तभी मानसा ने तेलंगाना के सिद्दीपेट के एक सीवेज पाइप मैन्युफैक्चरर से संपर्क किया। उन्होंने वहां से एक लंबी सीवेज पाइप मंगवाई। मानसा कहती हैं, “इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में, एक कंपनी ने मेरी काफी मदद की। मैं उस कंपनी का नाम नहीं बताना चाहती, लेकिन उन्होंने मुझे दो सीवेज पाइप को जोड़कर, एक बड़ी पाइप बनाकर दी। इससे मेरे बनाए पॉड-स्टाइल के घर में अच्छी-खासी जगह बन गयी।” वह आगे कहती हैं कि उन्होंने उस पाइप की ऊंचाई का भी खास ध्यान रखा था, ताकि किसी आदमी को अंदर खड़े होने के लिए ठीक से जगह मिल पाए। उन्होंने घर को गर्मी से बचाने तथा ठंडा रखने के लिए, घर के बहार की सतह पर सफेद पेंट का इस्तेमाल किया। 

मानसा ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए, अपनी माँ से पांच लाख रुपये उधार लिए थे। इन पैसों से उन्होंने पाइप, घर के दरवाजे, खिड़की के फ्रेम, बाथरूम और बिजली की फिटिंग तथा बाकी जरूरत का सामान भी खरीदा।

मानसा कहती हैं, “जब मैं तीसरी क्लास में थी, तब मेरे पिता का निधन हो गया था। तब से मेरी माँ ही मेरी और छोटी बहन की जिम्मेदारी उठा रही हैं। मेरे पिता के निधन के बाद से ही, घर का खर्च चलाने के लिए उन्होंने धान की खेती शुरू की, जिसे वह आज तक करती आ रही हैं। उन्होंने मेरे इस प्रोजेक्ट में पूरे दिल से मेरा साथ दिया और इसके लिए उन्होंने लोन भी लिया।”

मानसा ने 2 मार्च, 2021 से घर बनाने का काम शुरू किया था। इसके लिए उन्होंने अपने रिश्तेदार से मिली जमीन का इस्तेमाल किया। उन्होंने 28 मार्च तक एक छोटासा 1 BHK घर बनाकर तैयार कर दिया। 

Sewage pipe house

उन्होंने बताया, “यह घर 16 फुट लंबा और 7 फुट ऊंचा है। इसमें एक छोटा सा लिविंग रूम, एक बाथरूम, किचन और सिंक के साथ एक बेडरूम भी है, जिसमें एक क्वीन साइज बेड आराम से रखा जा सकता है। 

मिले 200 ऑर्डर्स 

यह जानने के लिए कि इस घर में रहा जा सकता है या नहीं, उन्होंने एक प्रवासी मजदूर को वहां सात दिनों तक रहने के लिए मनाया। वह मानसा की कंस्ट्रक्शन टीम में काम करते थे। 

वह बताती हैं, “हमने उन्हें बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ, खाना भी दिया। वह उस घर में आराम से सात दिनों तक रहे और हमें कुछ फीडबैक भी दिए, जैसे- उन्होंने बाथरूम कहां होना चाहिए, घर में वेंटिलेशन के लिए ज्यादा खिड़कियां होने के साथ और भी दूसरी बातें बताईं, जिन्हें मैं अपने अगले प्रोजेक्ट को तैयार करते वक़्त जरूर ध्यान में रखूंगी।”

मानसा ने अपने OPod घर के लॉन्च वाले दिन ही, अपनी कंपनी ‘Samnavi Constructions’ को भी लॉन्च किया था। इस कंपनी को उन्होंने LPU के ही बिजनेस मैनेजमेंट के एक छात्र, नवीन रेड्डी के साथ मिलकर शुरू किया है। मानसा, इन दिनों 2, 3 और 4 BHK Opod घर के डिजाइन पर भी काम कर रही हैं।

उन्हें अब तक केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा सहित, कई अन्य राज्यों से OPod घर बनाने के लिए 200 से ज्यादा ऑर्डर मिल चुके हैं। लेकिन, लॉकडाउन और कोरोना की पाबंदियों के कारण, उन्होंने अभी तक इन प्रोजेक्ट्स पर काम करना शुरू नहीं किया है।

अगर आप मानसा से संपर्क करना चाहते हैं, तो आप Samnavi Constructions की वेबसाइट पर जा सकते हैं।

मूल लेख : रोशनी मुथुकुमार

संपादन – प्रीति महावर

यह भी पढ़ें: टूटे हुए पेड़ों और बेकार लकड़ी के टुकड़ों से बनाते हैं Sustainable Furniture

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X