जैसा कि हम सभी जानते हैं कि फलों और सब्ज़ियों को ताज़ा बनाये रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की ज़रूरत होती है। लेकिन, हर किसान के पास न तो यह सुविधा होती है और न ही सभी किसान इसका किराया दे सकते हैं। इस वजह से बहुत से किसानों को हर साल नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों की इसी समस्या का समाधान निकाला है बिहार के एक भाई-बहन की जोड़ी ने।
बिहार के भागलपुर जिले में नया टोला दुधैला गाँव के निक्की कुमार झा ने अपनी बहन, रश्मि झा के साथ मिलकर एक खास तरह का स्टोरेज सिस्टम तैयार किया, जिसका नाम है- ‘सब्जीकोठी’। ‘सब्जीकोठी’ एक खास तरह का ‘स्टोरेज’ सिस्टम है, जिसे आसानी से कहीं भी, खेतों, घर के आंगन या मार्किट में लगाया जा सकता है। बाहर से देखने में यह टेंट जैसा लगता है, लेकिन इसे इस तरह से बनाया गया है कि इसके अंदर ‘माइक्रोक्लाइमेट’ (सूक्ष्मजलवायु) बना रहे।
साथ ही, इसमें फल और सब्जियों पर किसी भी तरह के हानिकारक सूक्ष्मजीव (पैथोजन) नहीं लगते हैं। इसे आप फल-सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन (परिवहन) के दौरान भी उपयोग में ले सकते हैं। सब्जीकोठी को आसानी से किसी भी ठेले (कार्ट), ई-रिक्शा या ट्रक पर भी लगाया जा सकता है। इसके अंदर फल और सब्जियां 3 से 30 दिन तक ताज़ी रहती हैं।
25 वर्षीय निक्की ने द बेटर इंडिया को बताया, “सब्जीकोठी किसानों से लेकर छोटे-बड़े कृषि उद्यमियों के लिए कारगर है। सबसे अच्छी बात यह है कि इस सिस्टम को काम करने के लिए दिन में सिर्फ 20 वाट बिजली और एक लीटर पानी की जरूरत होती है। इसमें एक बैटरी लगाई गयी है, जो सौर ऊर्जा से चार्ज होती है।”
बहन से मिला आईडिया:
निक्की झा ने नालंदा यूनिवर्सिटी से, इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट स्टडीज में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है और उनकी बहन, रश्मि झा एक बायोटेक्नोलॉजिस्ट हैं। अपने मास्टर्स के रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए, निक्की ने किसानों की समस्या को हल करने की सोची और एक कोल्ड स्टोरेज सिस्टम तैयार किया। उनका यह सिस्टम सौर संचालित था। लेकिन उनका यह प्रयोग विफल रहा, क्योंकि बारिश के मौसम में यह कामयाब नहीं हुआ।
वह बताते हैं, “मैं एक बार घर पर इस प्रोजेक्ट के बारे में चर्चा कर रहा था। इस पर मेरी बहन ने कहा कि आपने अपने प्रोजेक्ट में अलग क्या किया था? सभी लोग कोल्ड स्टोरेज बना रहे हैं। उसकी यह बात मेरे मन में घर कर गयी कि क्या कोल्ड स्टोरेज के अलावा और कोई विकल्प नहीं, जिससे हम फल और सब्जियों की को ज़्यादा समय तक ताज़ा रखने का कोई उपाय ढूंढ सके।”
इसके बाद, निक्की ने ऐसे स्टोरेज सिस्टम के बारे में रिसर्च किया, जिसमें रेफ्रिजरेशन की जरूरत न हो। जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, उन्होंने ‘सब्जीकोठी’ को तैयार किया। अपने इस इनोवेशन को लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने रश्मि के साथ मिलकर, 2019 में अपना स्टार्टअप, सप्तकृषि शुरू किया।
उनके इस स्टार्टअप को पहले आईआईटी पटना से इन्क्यूबेशन मिला था और अब आईआईटी कानपुर द्वारा उन्हें डिज़ाइन और फण्डरेजिंग में मदद मिल रही है। सप्तकृषि को RKVY-RAAFTAR मिशन द्वारा SKUAST-Jammu से भी सपोर्ट मिल रहा है। साथ ही, उन्हें AGNIi मिशन, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के तहत एक प्रमुख पहल, और प्रधान मंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PM-STIAC) के तहत नौ प्रौद्योगिकी मिशनों में से एक के सहयोग से समर्थन मिला। उन्हें IIT- कानपुर द्वारा समर्थित विल्ग्रो के इनोवेशन प्रोग्राम से भी मदद मिली है।
निक्की बताते हैं, “हमने अलग-अलग क्षमता वाले ‘सब्जीकोठी’ तैयार किये हैं। इसकी शुरुआत 250 किलोग्राम की क्षमता से होती है और अन्य दो मॉडल, 500 किलोग्राम और 1000 किलोग्राम के हैं। एक सामान्य रेफ्रीजिरेटर की तुलना में सब्जीकोठी 10 गुना अधिक फल-सब्जियां रख सकती है और वह भी बहुत ही कम बिजली का इस्तेमाल करके। इसकी लागत अन्य कोल्ड स्टोरेज से बहुत ही कम है। सब्जीकोठी की कीमत 10 हजार रुपए से शुरू होती है।”
उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आईआईटी कानपुर के कैंटीन में एक मॉडल लगाया है। साथ ही, भागलपुर में एक छोटे कृषि-उद्यमी, सौरभ तिवारी के साथ वह काम कर रहे हैं।
सौरभ भागलपुर में अपने ब्रांड ‘सब्जीवाला’ के माध्यम से फल-सब्जियों की होम-डिलीवरी करते हैं। सौरभ कहते हैं कि पहले वह हर सुबह मंडी से फल-सब्जियां खरीदकर होम-डिलीवर करते थे। “लेकिन पिछले साल लॉकडाउन के दौरान, मुझे निक्की के सब्जीकोठी के बारे में पता चला। उन्होंने मुझे इसके फायदे समझाए और मैंने इसका एक ट्रायल करने के बारे में सोचा। यह वाकई फायदेमंद है, क्योंकि अब फल और सब्जियों को मैं ज्यादा दिन तक रख सकता हूँ। इसलिए मैं किसानों से सीधे ताजा फल और सब्जियां खरीदकर लोगों तक पहुंचा रहा हूँ। इससे न सिर्फ मेरी कमाई बढ़ी है, बल्कि मेरा काम भी काफी बढ़ा है और अब मैं 10 लोगों को रोजगार भी दे पा रहा हूँ,” उन्होंने बताया।
किसानों की बढ़ सकती है आय:
निक्की ने आगे बताया कि उन्होंने किसानों की दिक्कतों को करीब से जाना, तो उन्हें पता चला कि किसानों का काफी नुकसान तो सिर्फ फल और सब्जियों को बाजार तक ले जाने में ही हो जाता है। वह कहते हैं, “किसान फल और सब्जियों को खेत से मंडी तक किसी गाड़ी में लेकर जाते हैं और इस दौरान, कोई स्टोरेज न होने के कारण फल और सब्जियों का पानी सूख जाता है। साथ ही, इनमें से एथिलीन (Ethylene) गैस निकलती है, जो फल और सब्जियों के जल्दी पकने का कारण होती है। खेत में फल-सब्जियों का जो वजन होता है, वह मंडी पहुँचने तक दो-तीन किलो कम हो जाता है। इस वजह से हर महीने किसानों की आय में कम से कम दो-तीन हजार रुपये का फर्क पड़ता है, लेकिन इस तरफ कोई गौर नहीं करता है।”
जबकि, सब्जीकोठी को किसान ट्रांसपोर्टेशन में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें फल-सब्जियों को ले जाने से उनका पानी नहीं सूखता। इसके अंदर जो वातावरण होता है, उसमें एथिलीन गैस को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ दिया जाता है, जिससे वह फल और सब्जियों को नुकसान नही पहुंचा पाता। इस स्टोरेज में स्टेरलाइजेशन की सुविधा भी है, जिससे फल और सब्जियां किसी भी तरह के हानिकारक जीवाणुओं से बचते हैं।
फिलहाल, निक्की 4i Lab-IIT कानपूर और SIIC- IIT कानपूर की मदद से एक खास तरह का ‘कार्ट मॉडल’ तैयार कर रहे हैं। इस कार्ट मॉडल में फल-सब्जियों को स्टोर करने की और सीधा ग्राहकों को बेचने की सुविधा होगी। साथ ही, अभी उनकी योजना दस-दस के समूहों में किसानों के लिए सब्जीकोठी लगाने की है, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच पाएं। उनके इस आविष्कार के लिए उन्हें 3M CII Young Innovators Challenge Award, 2020 में भी अवॉर्ड मिला है और छठे इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल, 2020 में भी सम्मान मिला है। यक़ीनन, निक्की झा का यह आविष्कार किसानों के लिए कारगर साबित हो सकता है।
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संपादन- जी एन झा
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