आज पर्यावरण संबंधित समस्याओं के कारण पूरी दुनिया के सामने संकट के बादल छाए हुए हैं। ऐसी स्थिति में हम सभी का दायित्व बनता है कि जितना संभव हो, हरियाली को बचाकर रखें। आज हम गार्डनगिरी में आपको हरियाली बचाने वाली एक ऐसी महिला से रू-ब-रू करवाने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी छत को पेड़-पौधे से भर दिया है साथ ही इन पौधों के जरिए वह बच्चों को हिन्दी व्याकरण और विज्ञान के जटिल विषयों की जानकारी भी दे रहीं हैं।
यह कहानी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिला के इंदिरापुरम इलाके में रहने वाली संगीता श्रीवास्तव की है। पेशे से एक प्राइवेट स्कूल में टीचर संगीता, पिछले छह वर्षों से न सिर्फ अपने छत पर 100 से अधिक पौधों की बागवानी कर रहीं हैं, बल्कि वह अपने बगीचे में मौजूद पेड़-पौधों के जरिए यूट्यूब वीडियो बना कर बच्चों को प्रकृति से नजदीक रखते हुए हिन्दी व्याकरण और विज्ञान भी पढ़ा रहीं हैं।
संगीता ने द बेटर इंडिया को बताया, “मुझे बचपन से बागवानी का काफी शौक रहा है और एक बार घर की जिम्मेदारियाँ थोड़ी कम होने के बाद, करीब 6 साल पहले मैंने छत पर बागवानी शुरू कर दी। शुरुआत में मेरे पास लगभग 10 पौधे थे, लेकिन आज मेरे पास 100 से अधिक सजावटी, फलदार और औषधीय पौधे होने के साथ-साथ कई सब्जियां भी हैं।”
बता दें संगीता के पास फलदार पौधों में आम, अनार, कीवी, आदि हैं। वहीं, औषधीय पौधों में एलोवेरा, गिलोय, तुलसी से लेकर नीम और अपराजिता भी है। सब्जियों में पालक, भिंडी, बैंगन, लौकी आदि हैं। इस तरह, घर में इतनी सब्जियों की खेती करने के कारण उनकी बाजार में निर्भरता भी काफी कम हो गई है।
संगीता बताती हैं, “मेरे पास पुराने बाल्टी, बर्तन, डिब्बे से लेकर पुराने कपड़े और चावल-आटे के बैग में पौधे हैं। मैं अपने स्कूल के बच्चों को भी इस तरह के वेस्ट मैटेरियल के जरिए बागवानी करने की सीख देती हूँ। यही कारण है कि आज हमारे स्कूल में भी चारों तरफ पौधे ही पौधे लगे हुए हैं।”
कैसे करते हैं बागवानी
संगीता बताती हैं, “मैं अपने पौधों के लिए मिट्टी का निर्माण 50 फीसदी मिट्टी, 25 फीसदी जैविक खाद, 25 फीसदी वर्मी कम्पोस्ट और हल्की मात्रा में एनपीके मिलाकर करती हूँ।”
वह आगे बताती हैं, “मैं गोबर की पूर्ति करने के लिए बाहर से उपले मंगाती हूँ और दो दिनों तक पानी में भिगोने के बाद उसमें थोड़ा एनपीके मिलाकर, उसे खाद के रूप में इस्तेमाल करती हूँ। इसके अलावा, हमारे घर में जितना भी किचन वेस्ट होता है, मैं सबका उपयोग जैविक खाद के रूप में करती हूँ।”
संगीता ने अपने पौधों को जरूरत के हिसाब से धूप लगने देने के लिए अपने छत पर नेट भी लगाया है। इतना ही नहीं, वह अपने पौधों की सिंचाई आर/ओ वाटर फिल्टर के बेकार पानी से करती हैं, ताकि पानी की भी बचत हो। संगीता को इन कार्यों में अपने पति की पूरी मदद मिलती है।
बच्चों को प्रकृति से जोड़ने के लिए अनूठा प्रयास
संगीता ने बच्चों को बागवानी के जरिए शिक्षा देने के लिए 4 साल पहले अपना एक यूट्यूब चैनल भी शुरू किया।
इसे लेकर संगीता कहती हैं, “मैं अपना यूट्यूब चैनल 4 साल पहले शुरू किया, लेकिन व्यस्तताओं के कारण इसमें ज्यादा समय नहीं दे पाती थी। लेकिन, लॉकडाउन के बाद से मैं हर रविवार को एक वीडियो शेयर करती हूँ। जिसे हर महीने 500-1000 बच्चे देखते हैं।”
वह आगे बताती हैं, “इससे जरिए मेरा उद्देश्य बच्चों को प्रकृति से जोड़ना है। इसके तहत मैं बच्चों को पेड़-पौधों के जरिए हिन्दी व्याकरण और विज्ञान से विषय में जानकारी देती हूँ। जैसे – यदि मुझे बच्चों को जातिवाचक संज्ञा के बारे में जानकारी देनी है, तो मैं उनसे कहती हूँ – यह आम का पेड़ है। जबकि यदि मुझे व्यक्तिवाचक संज्ञा के बारे में बताना है, तो मैं उन्हें बताती हूँ कि – यह एक दशहरी आम का पेड़ है।”
संगीता कहती हैं कि आज की तारीख में, पर्यावरण संबंधित चुनौतियों को देखते हुए बच्चों को बागवानी से जोड़ना करना जरूरी है, यदि बच्चे प्रेरित हो गए, तो समाज स्वाभाविक रूप से बदल जाएगा।
इसके अलावा, वह अपील करती हैं, “आज जिंदगी बेहद तनावपूर्ण है, ऐसी स्थिति में जितना संभव हो सके, हर किसी को बागवानी शुरू करनी चाहिए, इससे खुद को तनाव रहित रखने में काफी मदद मिलती है।
संगीता के बागवानी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण टिप्स:
- आसानी से लगने वाले पौधों से शुरुआत करें, जिसे ज्यादा देखभाल की जरूरत न हो।
- हर दिन 1-2 घंटे बागवानी को दें।
- पौधों में सिर्फ नमी बनाकर रखें, सिंचाई जरूरत के अनुसार करें।
- नियमित रूप से कटाई-छटाई करते रहें, इससे पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है।
- जुलाई से नवंबर के बीच बागवानी शुरू करें, इस दौरान पौधे आसानी से लगते हैं।
आप संगीता श्रीवास्तव के यूट्यूब चैनल पर जाने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं।
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