Placeholder canvas

जैविक दाल, मसालों से लेकर रागी की आइस-क्रीम तक, स्वदेशी को बढ़ावा दे रहा है यह युवक

भार्गव का कहना है कि अब वक़्त है कि हम भारतीय उत्पादों को सपोर्ट करें। मेड इन इंडिया और लोकल-वोकल सिर्फ शब्द नहीं होने चाहिए। बल्कि अब हर परिवार को अपने किसी एक बच्चे को नौकरी की जगह उद्यमी बनने की सलाह देनी चाहिए!

स्कूल में ठेले वाले से 1-2 रुपये में कुल्फी खरीदकर खाने से लेकर अमूल और नेचुरल्स के पार्लर में अलग-अलग फ्लेवर ट्राई करने के बीच में बहुत कुछ बदला है। मैं गर्मियों में तो क्या सर्दियों में भी कभी आइसक्रीम के लिए मना न करूँ। कभी-कभी तो सर्दी-जुकाम होने पर भी मैं आइसक्रीम खा लेती हूँ। खैर, अब तक दूध, फलों-सब्जियों और चॉकलेट को प्रोसेस करके बनी आइसक्रीम्स के बारे में तो हमने सुना है लेकिन अगर मैं आपको बताऊँ कि सुपरफ़ूड के नाम से जाने जाने वाले रागी, ज्वार जैसे अनाजों से भी आइसक्रीम बन रही है तो आपको हैरानी ज़रूर होगी।

जी हाँ, यह कमाल किया है कोयम्बटूर के एक ब्रांड, आद्यम ने। जेएसएस नेचर फूड्स स्टार्टअप की ब्रांड आद्यम ग्राहकों को पौष्टिक अनाजों से बनी आइसक्रीम भी खिला रहा है। आइसक्रीम के साथ-साथ आद्यम पारंपरिक तरीकों से बने मसाले और रागी जैसे मिलेट्स से बनी सेवैयाँ और नूडल्स भी बना कर बेच रहा है।

32 वर्षीय भार्गव आर. ने पिछले साल आद्यम की नींव रखी और आज वह कोयम्बटूर से बाहर भी एक अच्छी पहचान बना चुके हैं। एक साधारण से परिवार से आने वाले भार्गव के घर में कभी किसी ने व्यवसाय के बारे में नहीं सोचा। लेकिन भार्गव हमेशा से कुछ अलग करना चाहते थे। उन्होंने स्कूल के बाद ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई डिस्टेंस से की। वह बताते हैं कि उन्होंने बैंक में छोटी-मोटी नौकरी से अपनी शुरुआत की। इसके बाद, वह एक शोरूम में काम करने लगे और फिर मोबाइल की एक्सेसरीज का अपना काम शुरू किया।

R. Bhargav

वह बताते हैं कि फ़ूड बिज़नेस में आने से पहले वह कंस्ट्रक्शन के बिज़नेस से जुड़े हुए थे। उन्होंने कहा, “मुझे अलग-अलग सेक्टर में काम करने का लगभग 17 साल का अनुभव है। फ़ूड बिज़नेस के आने के पीछे की कहानी काफी लंबी है। लगभग 9 साल तक की रिसर्च के बाद मैंने अपने ब्रांड शुरू किया। इसके ज़रिए मेरा उद्देश्य ग्राहकों से सीधा जुड़कर उन्हें पारंपरिक-प्राकृतिक रूप से बने खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराना है।”

भार्गव को हमेशा से ही किसी भी उत्पाद के बनने का तरीका और उसके पीछे की कहानी जानने की दिलचस्पी रही है। वह कहते हैं कि अगर वह एक बिस्किट भी खाएं तो उसके इंग्रेडीएंट्स देखना उनके लिए ज़रूरी है। इसी सबके दौरान उन्होंने अपने आस-पास दैनिक रूप से खाने में आने वाले खाद्य पदार्थों पर रिसर्च करना शुरू किया। उन्हें महसूस हुआ कि कैसे हम अपनी लाइफस्टाइल में खाने के प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता पर ध्यान देना भूल गए हैं। उन्होंने एक बार फिर पारंपरिक तमिल खाद्य पदार्थों को लोगों तक पहुंचाने का फैसला किया।

“मैंने अपने काम के साथ-साथ इस पर रिसर्च करना भी शुरू कर दिया। सबसे पहला काम था फ़ूड मार्केट को समझना, फिर ग्राहकों को और फिर कहाँ से कैसे पारंपरिक रॉ मटेरियल लिया जा सकता है, इस सब पर काम किया। मार्केट रिसर्च के साथ-साथ मैंने किसानों से भी संपर्क किया। ऐसे किसान जो प्राकृतिक और पारंपरिक तरीकों से खेती कर रहे हैं। इस सबमें मेरे कुछ दोस्तों ने भी मेरी काफी मदद की,” उन्होंने बताया।

उन्होंने अलग-अलग किसानों से अलग-अलग अनाज और मसाले खरीदकर, उनके खेतों के पास ही प्रोसेसिंग यूनिट्स में इन्हें बनवाना शुरू किया। मसालों के बाद, अन्य प्रोडक्ट्स जैसे वेर्मेसिली और नूडल्स पर काम किया गया। प्रोडक्ट्स को बनाने में उन्होंने फ़ूड एक्सपर्ट्स के साथ अपने परिवार और दोस्तों से भी मदद ली। लगभग 35 लोगों ने उनके प्रोडक्ट्स की टेस्टिंग में भाग लिया। भार्गव के मुताबिक, जिन लोगों ने उनके प्रोडक्ट्स की टेस्टिंग में उनकी मदद की वही उनके पहले ग्राहक भी बने।

Food Processing Business
Some of His Products

“इन 30-35 लोगों ने ही आगे हमारे प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग की। इस तरह से करते-करते आज सैकड़ों परिवार आद्यम ब्रांड के प्रोडक्ट्स इस्तेमाल कर रहे हैं। जिन ग्राहकों की शुरूआत 50 रुपये के ऑर्डर से हुई थी, आज वह महीने में 1500-2000 रुपये तक का ऑर्डर देते हैं,” उन्होंने बताया।

आद्यम ब्रांड के अंतर्गत, आज वह सभी तरह के मसाले, 9 तरह के अनाजों की सेवैयां (बिना किसी मैदे के इस्तेमाल से बनी), नूडल्स, शुद्ध जंगली शहद, और मिलेट्स से बनी आइसक्रीम बेच रहे हैं। भार्गव के मुताबिक, उनके ग्रोसरी प्रोडक्ट्स के लगभग 5000 ऑर्डर्स उन्हें प्रति माह मिलते हैं। इसके अलावा, उनके आइसक्रीम पार्लर में हर दिन 50 से 60 ऑर्डस आते हैं। रागी से बनी उनकी आइसक्रीम बड़ों से लेकर बच्चों तक, सभी के मन भायी हुई है। फ़िलहाल, कोविड-19 के चलते वह सरकार द्वारा निर्देशित सभी सुरक्षा नियमों का पालन भी कर रहे हैं।

उनके सभी उत्पाद स्वाद और सेहत, दोनों ही तौर पर ग्राहकों की नज़रों में खरे उतर रहे हैं। उनके एक ग्राहक, कुमारवेल राजा का कहना है कि उनके नूडल्स में जीरो मैदा का उनका वादा बिल्कुल सच है। उन्होंने उनके सभी नूडल्स ट्राई किए हैं और उन्हें सभी बहुत पसंद आए। आद्यम के सभी प्रोडक्ट्स स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी पौष्टिक हैं।

Food Processing Business
Ice-creams

वहीं नंदिनी जनार्दन उनके प्रयासों को सराहते हुए इनकी आइसक्रीम ट्राई करने की सलाह देती हैं। वह कहतीं हैं कि उनकी आइसक्रीम में कोई आर्टिफीसियल तत्व नहीं होता, सभी कुछ प्राकृतिक चीजों से बनाया जाता है।

फ़िलहाल, भार्गव और उनकी टीम 50 से ज्यादा तरह के प्रोडक्ट्स बेच रही है। हालांकि, आने वाले समय में उनकी यह लिस्ट और लंबी जाएगी। वह कहते हैं, “आने वाले दो-तीन साल में हम अपने बिज़नेस का स्केल बढ़ाएंगे और कोशिश करेंगे कि हमारे सभी प्रोडक्ट्स एक ही जगह बनाकर तैयार हों।”

इन्वेस्टमेंट के बारे में बात करते हुए भार्गव कहते हैं कि उन्होंने एकदम से इस बिज़नेस को शुरू नहीं किया। बल्कि अपने पहले काम को जारी रखते हुए वह कुछ न कुछ नया करते रहे। लगभग 9 सालों तक उन्होंने इसकी तैयारी की और फिर अपना ब्रांड बाज़ार में उतारा। इसलिए उन्होंने एकदम से कुछ बड़ा इन्वेस्ट भी नहीं किया। उन्होंने समय ज्यादा लिया और इन्वेस्टमेंट धीरे-धीरे और कम की। इसके अलावा, उन्होंने खुद अपने प्रोडक्ट्स को ग्राहकों तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी ली। वह कहते हैं, “डीलर्स और सुपरमार्केट्स को अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए देने की बजाय उन्होंने खुद ग्राहकों से जुड़ने का फैसला किया। बड़े-बड़े डीलर्स की बजाय उन्होंने गृहणियों को आगे आने के लिए कहा। इससे गृहणियों को भी कुछ करने का मौका मिला और उन्हें भी मार्केटिंग में बड़ा इन्वेस्टमेंट नहीं करना पड़ा।”

लोगों से मिल रही प्रतिक्रिया के आधार पर भार्गव और उनकी टीम आने वाले समय में अपने बिज़नेस के लिए प्लानिंग में जुटी है। वह कहते हैं कि टर्नओवर के बारे में बात करना शायद अभी बहुत जल्दी होगा लेकिन वह इतना यकीन से कह सकते हैं कि एक दिन उनके प्रोडक्ट्स ‘मेड इन इंडिया’ की पहचान होंगे।

लॉकडाउन के बारे में बात करते हुए वह कहते हैं कि बेशक, यह समय मुश्किल था। लेकिन अगर यह मेरे स्टार्टअप के लिए मुश्किल समय था तो बड़े से बड़े बिज़नेस के लिए भी मुश्किल था। स्टार्टअप को तो फिर भी कम नुकसान हुआ लेकिन बड़े-बड़े व्यवसायों का क्या? इसलिए उन्होंने खुद को बिल्कुल भी हताश नहीं होने दिया।

Natural Honey

वह बताते हैं, “यही एक व्यवसायी होने की खूबी है कि आप अपने विपरीत परिस्थितयों को कैसे संभालते हो। इसलिए मैं हमेशा लोगों को सलाह देता हूँ कि किसी एक चीज़ पर ही अटक कर मत रहो। अपने बिज़नेस के साथ हर दिन नया सीखो। हर दिन कुछ नया करने की कोशिश करो ताकि समय कैसा भी लेकिन तुम सर्वाइव कर पाओ।”

भार्गव सभी उद्यमियों को हर दिन अपनी स्किल्स और अपने प्रोडक्ट्स पर काम करते रहने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही, वह लोगों के लिए एक मैसेज देते हुए कहते हैं कि अब वक़्त है कि हम भारतीय उत्पादों को सपोर्ट करें। मेड इन इंडिया और लोकल-वोकल सिर्फ शब्द नहीं होने चाहिए। बल्कि अब हर परिवार को अपने किसी एक बच्चे को नौकरी की जगह उद्यमी बनने की सलाह देनी चाहिए।

“हमारे यहाँ नौकरी को सुरक्षित समझा जाता है लेकिन इससे आप अपने देश की अर्थव्यवस्था के लिए क्या कर पा रहे हो। इस बात पर फोकस करना ज़रूरी है। हमारी अर्थव्यवस्था तब सही होगी जब भारतीय उद्यम बाज़ार में होंगे। इसलिए मैं सबको यही कहूँगा कि अगर आपका कोई बच्चा अपना कुछ शुरू करना चाहता है तो उसका हौसला बढ़ाएं और उसे ईमानदारी से इस रह पर आगे बढ़ने के लिए कहें। इसके साथ ही, ज़रूरी है कि भारतीय ग्राहक अच्छे और गुणवत्ता वाले भारतीय उत्पादों को सपोर्ट करें,” उन्होंने अंत में कहा।

अगर आप भार्गव आर से संपर्क करना चाहते हैं तो उनके फेसबुक पेज पर क्लिक कर सकते हैं!


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X