यह कहानी हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे इंजीनियर की है, जिन्होंने कबाड़ में पड़े एक स्कूटर के इंजन से हैंड ट्रैक्टर बनाया है। मंडी जिले के नगवाई गाँव में रहने वाले जनक भारद्वाज नाम के इस इंजीनियर की हर जगह तारीफ हो रही है।
जनक ने सोलन के बहरा यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान ही जनक और उनके दोस्तों ने किताबी ज्ञान को समझने के लिए अपने इंस्टीट्यूट के पास ही एक वर्कशॉप शुरू की और इसमें वे गाड़ियों और अन्य उपकरणों को ठीक करने का काम कर रहे थे, तभी उनके पास पहले ही महिने में एक दर्जन से भी अधिक पॉवर टिलर को ठीक करवाने के लिए किसान पहुंचने लगे।
किसानों के लिए सस्ते और टिकाऊ हैंड ट्रैक्टर का अविष्कार करने वाले इंजीनियर जनक ने द बेटर इंडिया को बताया, “बचपन से ही मशीनों से मेरा लगाव रहा है। जब मैं खराब पॉवर टिलर को ठीक कर रहा था, तभी मुझे लगा कि बार-बार खराब होने वाले पॉवर टिलर से किसानों के समय के साथ पैसे का भी नुकसान होता है। इसलिए क्यों न कोई ऐसी टिकाऊ मशीन तैयार की जाए जिससे किसानों के समय के साथ पैसे की भी बचत हो।“
जनक बताते हैं कि किसानों के लिए टिकाऊ और सस्ता हैंड ट्रैक्टर बनाने के काम में वह और उनके दो दोस्त विनीत ठाकुर और राकेश शर्मा लगातार एक माह तक काम करते रहे। इसमें उन्होंने पुराने कबाड़ हो चुके बजाज स्कूटर के इंजन का प्रयोग किया है और इसमें कुल लागत 20 हजार रूपये आई। जबकि बाजार में पॉवर टिलर की कीमत 60 से डेढ़ लाख रूपये के बीच में है।
एक लीटर पैट्रोल में एक बीघा की जुताई
जनक बताते हैं कि स्कूटर के इंजन से तैयार हुए इस हैंड ट्रैक्टर की कार्यदक्षता दूसरे पॉवर टिलर से कहीं अधिक है। वहीं इसमें एक लीटर पैट्रोल से एक बीघा भूमि को दूसरे पॉवर टिलर के मुकाबले में जल्दी और आसानी से किया जा सकता है। हैंड ट्रैक्टर की खुबियां बताते हुए जनक बताते हैं कि इसे खेतों तक पहुंचाना बहुत ही आसान है। इसे आसानी से दो हिस्सों में खोलकर कहीं भी खेतों में पहुंचाया जा सकता है।
वह कहते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों के खेत न तो साथ में होते हैं और न ही रास्ते सीधे होते हैं, ऐसे में भारी-भरकम पावर टिलर को दूर-दूर बने खेतों तक पहुंचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा इसमें अपनी सहुलियत के हिसाब से हल भी अडजस्ट किए जा सकते हैं।
जनक बताते हैं, “पावर टिलर के स्पेयर पार्ट बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। लेकिन देश के किसी भी कोने में स्कूटर के स्पेयर पार्ट आसानी से मिल जाते हैं। इसलिए पुराने स्कूटर के इंजन से बने इस हैंड ट्रैक्टर को रिपेयर करने में भी किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता।”
ऐसे काम करता है हैंड ट्रैक्टर
खेतों में अधिकतर हैंड ट्रैक्टर का प्रयोग किया जा रहा है। हैंड ट्रैक्टर में चार ब्लेड लगी होती है। यह इंजन के साथ जुड़ा होता है जिसे स्टार्ट करने के बाद यह जुताई का काम करता है। इसे हाथ से पकड़कर प्रयोग में लाया जाता है। इसका बजट काफी कम है। अकेला व्यक्ति दो हिस्सों में करके इसे खेत तक पहुंचा सकता है। इसके अलावा इसमें छोटा हल प्रयोग करने के साथ, यदि अधिक जगह पर जुताई करनी है तो उसके लिए भी अलग से हल हैं। पहली बार जुताई के लिए अलग हल का प्रयोग किया जा सकता है जबकि दूसरी बार के लिए अधिक स्थान पर जुताई के लिए सक्षम हल का प्रयोग करके पैट्रोल, समय और मेहनत में भी कमी लाई जा सकती है।
इस हैंड ट्रैक्टर के अविष्कार के लिए जनक को 2017 में ‘नेशनल अवॉर्ड फॉर स्कील डेवलपमेंट’ और न्यू इनोवेशन के लिए भी नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश की सरकार भी उन्हें सम्मानित कर चुकी है।
अभी तक 500 छात्रों को निशुल्क दे चुके हैं ट्रेनिंग
जनक हिमाचल के सोलन जिला के क्यारीमोड में रिसर्च और डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट चलाते हैं। उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट में आईटीआई, इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र प्रशिक्षण के लिए आते हैं, ऐसे लोगों से पैसे नहीं लिए जाते हैं। पिछले तीन सालों में वह 500 से अधिक छात्रों को निशुल्क प्रशिक्षण दे चुके हैं।
जनक उन किसानों की मदद करते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। वह कहते हैं, “बहुत से किसानों के कृषि उपकरणों को मैं निशुल्क रिपेयर करता हूं और उनसे मेरा नाता सा जुड़ गया है, इससे मुझे बहुत खुशी महसूस होती है।”
एक्सीडेंट के कारणों का पता लगाने में भी हैं माहिर
जनक हिमाचल पुलिस के एक्सीडेंट सर्वेयर के रूप में भी काम करते हैं और इस दौरान वह एक्सीडेंट के कारणों का पता लगाते हैं। वह बताते हैं कि कई बार लोग उन्हें दुर्घटनाओं की सूचना देते हैं तो वह बिना देरी के मौके पर पहुंचते हैं और लोगों की सहायता करते हैं।
इसके अलावा हाल ही में कोरोना संक्रमण की वजह से हुए लॉकडाउन की वजह से जहां एक तरफ सभी वर्कशॉप बंद पड़ी थी वहीं दूसरी तरफ जनक ने अपनी वर्कशॉप को खुला रखकर अस्पताल, पुलिस और अन्य जीवनरक्षक सेवाओं में लगे वाहनों की मरम्मत का काम कर एक जिम्मेवार नागरिक होने का उदाहरण पेश किया है।
किसानों के लिए कर रहे हैं रिसर्च
जनक कहते हैं, “मुझे लगता है कि कृषि-बागवानी भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है इसलिए इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए आगे भी अन्य रिसर्च के काम में जुटा हूं। हैंड ट्रैक्टर को किसानों तक पहुंचाने के लिए इसके बड़े स्तर पर प्रोडक्शन के लिए तैयारियां शुरू कर दी है।”
जनक अपने अविष्कार के लिए किसानों को प्रेरणा मानते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कार्य में किसी तरह की परेशानी किसानों को नहीं हो, इसके लिए वह नए नए प्रयोगों पर काम कर रहे हैं।
किसानों के लिए लगातार काम कर रहे जनक के इस अविष्कार में यदि आप किसी प्रकार का सहयोग करना चाहते हैं तो उनसे इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं 9857550850
यह भी पढ़ें –असम की बीज लाइब्रेरी, 12 साल में किसान ने सहेजी 270+ चावल की किस्में!
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com(opens in new tab) पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: