आए दिन बढ़ रहे COVID-19 के मामलों की वजह से देश में लॉकडाउन की अवधि बढ़ती जा रही है। हालांकि, सरकार की पुरजोर कोशिश है कि इस दौरान देशवासियों को जितनी राहत मिल सकती है मिले। लेकिन फिर भी समाज के कुछ ऐसे वर्ग हैं, जिन्हें परेशानी हो रही है। लॉकडाउन के शुरू होते ही दिहाड़ी मजदूरों और समाज के अन्य कमजोर तबकों के साथ-साथ किसानों के लिए भी बड़ी समस्याएं खड़ी हो गई है। उनके खेतों में फसल तैयार खड़ी थी और बाज़ार बंद।
हालांकि, सरकार ने कुछ प्रावधान किए हैं जिससे किसानों की फसलों को खरीदा जाए। फिर भी देश के अलग-अलग हिस्सों से खबरें आ रही है कि सब्ज़ी और फल उगाने वाले किसान अपनी उपज को फेंकने या फिर बहुत ही कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर हैं।
कर्नाटक का कोलार जिला, जहां सबसे ज्यादा टमाटर का उत्पादन होता है, वहां किसान टमाटरों को फेंक रहे हैं क्योंकि उन्हें बाज़ार नहीं मिल रहा। एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्किट समिति के अनुसार, कोलार में टमाटर का हर साल लगभग 350 करोड़ रुपये का व्यापार होता था। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से स्थिति बिल्कुल ही बदल गई है।
इस मुश्किल और परेशानी भरे वक़्त में कर्नाटक के मुलबगल तालुका का होन्नासेट्टीहल्ली गाँव एक उदाहरण बनकर सामने उभर रहा है। यहां के 49 परिवार टमाटरों की प्रोसेसिंग करके उनमें वैल्यू एडीशन कर रहे हैं। इस प्रक्रिया से वह आने वाले समय में अपने लिए तो खाना जुटा ही रहे हैं, साथ ही, पड़ोसी गाँव की मदद भी कर रहे हैं।
ग्राम विकास संगठन के सदस्य एम. वी. एन. राव ने बताया, “हमने जब किसानों के हाल के बारे में सुना तो लगा कि हमें कुछ करना चाहिए। लेकिन क्या करें? सवाल यह था। काफी विचार-विमर्श करने के बाद हमने सोचा कि क्यों न ग्रामीणों को फ़ूड प्रोसेसिंग से जोड़ा जाए। हमने होन्नासेट्टीहल्ली के पड़ोस के गाँव के किसानों से 4-5 रुपये प्रति किलो की दर से टमाटर खरीदे ताकि उन्हें अगली फसल लगाने के लिए कुछ मदद मिल सके। इसके बाद, हमने यह टमाटर होन्नासेट्टीहल्ली गाँव के लोगों को प्रोसेस करने के लिए दिए। हमने उन्हें टमाटर के ड्राइड फलैक्स और अचार बनाने की ट्रेनिंग दी है।”
ग्राम विकास संगठन पिछले कई साल से इस गाँव से जुड़ा हुआ है। राव बताते हैं कि इस गाँव के लोगों का मुख्य पेशा वैसे तो कृषि ही है लेकिन यहां पर फल और सब्जियों की खेती कम ही होती है। इसके अलावा ये लोग भेड़ और बकरी पालन करते हैं। राव बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से यह गाँव भी परेशानियां झेल रहा है और अन्य गांवों से भी ऐसी ही खबरें आ रही थीं। इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जो दोनों गांवों के लिए फायदेमंद हो। साथ ही, इस वक़्त दो चीजें हैं जो कि असीमित मात्रा में उपलब्ध हैं- सूरज और समय।
14 वर्षीया गीतांजलि, जो लॉकडाउन की वजह से स्कूल नहीं जा पा रही हैं, ने बताया, “राव सर और उनकी टीम ने हमें टमाटर के सन-ड्राइड यानी कि धूप में सुखाकर कैसे फ्लेक्स बनाएं- यह प्रक्रिया सिखाई और अभी हम अचार बनाना भी सीख रहे हैं। अच्छा है कि हम इस वक़्त में कोई नया हुनर सीख पा रहे हैं और गाँव का हर एक घर इस काम में शामिल है।”
गीताजंलि बताती हैं कि सबसे पहले टमाटरों को नमक और हल्दी के पानी में भिगोया जाता है। यह डिसइंफेक्ट की तरह काम करता है। इसके बाद, टमाटरों को अच्छे से पोंछकर, उन्हें स्लाइसेस में काटा जाता है। इसके बाद, इन पर नमक और हल्दी लगाई जाती है और फिर छत पर एक साफ़ कपड़े पर इन्हें सूखा दिया जाता है। लगभग 3 दिन में यह टमाटर अच्छी तरह सूख जाते हैं और इसके बाद, इन्हें एयरटाइट डिब्बों में भरकर स्टोर किया जाता है। राव के मुताबिक, अगले 6 महीने तक इन ड्राइड फ्लेक्स को उपयोग में ला सकते हैं।
इनका पाउडर बनाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है और यदि आप रेफ्रीजिरेटर में रखना चाहें तब भी कोई समस्या नहीं।
आने वाले समय में सब्ज़ियों के दाम वैसे भी आसमान छुएंगे और टमाटर तो हर भारतीय घर में रोज़मर्रा के तौर पर इस्तेमाल होते हैं। ऐसे में, इनकी प्रोसेसिंग करके इन्हें स्टोर करना सबसे बेहतर विकल्प है। टमाटरों के फ्लैक्स के बाद, ग्राम विकास की टीम ने टमाटर का अचार बनाने की ट्रेनिंग भी दी है।
1. सबसे पहले टमाटर के स्लाइस काटकर, इन पर नमक और हल्दी लगाई जाती है। फिर इन्हें एक दिन के लिए रखा जाता है।
2. एक दिन के बाद आप देखेंगे कि इन टमाटरों से नमक की वजह से जूस निकलता है। आप टमाटर के स्लाइस को अलग कर लें और इसके बाद बर्तन में जो जूस बचा है, उसमें इमली मिला दें।
3. टमाटर के स्लाइस और इस इमली को तीन-चार दिन धूप में सूखने के लिए रखें। ध्यान रहे कि आप इनको एक सूती कपड़े से ढक दें।
4. इसके बाद, इमली को जूस में से निकलकर सिलवट्टे पर पीस लें।
5. जूस में आप लाल मिर्च पाउडर, मेथी पाउडर मिलाएं और फिर इसमें इमली के पेस्ट को डालें। अच्छे से मिक्स करने के बाद इसमें सूखे हुए टमाटर के स्लाइसेस को मिला दें।
6. अब एक बर्तन में तेल डालकर गर्म करें और इसमें राई के दाने, उड़द की डाल, चना दाल और साबुत लाल मिर्च डालें। अगर आप लहसुन डालना चाहें तो वह भी डाल सकते हैं। और फिर इस तड़के को टमाटर और इमली के पेस्ट में डालें।
7. आपका अचार तैयार है। कुछ देर बाद आप इसे एयरटाइट डिब्बे में स्टोर कर सकते हैं।
होन्नासेट्टीहल्ली गाँव ने अब तक लगभग 100 किलो टमाटरों की प्रोसेसिंग की है। आगे वह इसी तरह से प्याज की प्रोसेसिंग पर भी काम कर रहे हैं।
उन की यह पहल, देश के अन्य किसानों के लिए भी एक प्रेरणा है। क्योंकि आने वाले समय में कृषि तभी कामयाब है जब किसान खुद अपनी उपज की प्रोसेसिंग करके उसकी मार्केटिंग करे। राव के मुताबिक, फ़िलहाल तो ग्रामीणों को घरेलु इस्तेमाल के लिए यह किया जा रहा है। लेकिन उनकी एक कोशिश यही भी रहेगी कि वह इन प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करें ताकि इन गांवों में आय के नए साधन बन सकें। लेकिन इसके लिए उन्हें FSSAI से फ़ूड सर्टिफिकेट लेना होगा। इस गाँव की सफलता के बाद, दूसरे कुछ पड़ोसियों गांवों ने भी इस प्रक्रिया में दिलचस्पी दिखाई है।
ग्राम विकास की एक कोशिश अब इस गाँव में सामुदायिक किसानी शुरू करने की भी है। गाँव की कुछ ज़मीन पर वे गाँव की महिलाओं को जैविक सब्ज़ी और फल उगाने के लिए ट्रेन कर रहे हैं। इस उपज का इस्तेमाल गाँव की दैनिक ज़रूरतें पूरी करने के लिए किया जाएगा। अब तक किसान बाज़ार के लिए उगाता आया है लेकिन अब वक़्त है कि वह पहले अपने घर और गाँव के बारे में सोचें। उसके बाद जो कुछ बचे, उसे बाज़ार में बेचें। राव कहते हैं कि वह देश में अन्य किसानों से यही कहेंगे कि जितना हो सके खुद अपनी उपज की प्रोसेसिंग पर विचार करें।
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राव कहते हैं कि इस इस मुश्किल समय में किसानों से लोगों को सीधा जुड़ना चाहिए ताकि उन्हें उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके। उन्होंने कहा कि यदि आपके आस-पास भी कोई किसान हैं तो उनकी मदद करने की कोशिश करें।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप राव से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क करने के लिए यहाँ पर क्लिक करें!
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