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अब तक 472 बेटियों को गोद ले चुके है गुजरात के महेश सावनी !

गुजरात मे भावनगर के हीरा कारोबारी महेश सावनी अपनी अनोखी पहल के लिए सैकड़ों परिवारो के मुखिया बने हैं। गुजरात में जिन लड़कियों के पिता नहीं हैं महेश सावनी उनके पिता बनकर बेटियों का कन्यादान कर रहे हैं। इस पहल मे उन्होंने पिछले छह साल में 472 लड़कियों के पिता की भूमिका निभाई है।

हते हैं दौलत के साथ शोहरत भी मिल ही जाती है। लोगो के बीच में अाप की चर्चा होती है लेकिन दौलत से लोगो की मोहब्बत तभी मिलती है जब उस दौलत का हिस्सा जरूरतमंदों के हित में लगाया जाता है।

गुजरात में हीरे के व्यापारी करोड़पति हैं। उन करोड़पतियों की सूची में एक ऐसा करोड़पति भी है जो अपने सामाजिक काम की वजह से हज़ारों में अनोखा नजर अाता है। उनकी पहचान कारोबारी से बढ़कर सैकड़ों लड़कियों के पिता के रूप में ज्यादा है।
गुजरात मे भावनगर के हीरा कारोबारी महेश सावनी अपनी अनोखी पहल के लिए सैकड़ों परिवारो के मुखिया बने हैं। गुजरात में जिन लड़कियों के पिता नहीं हैं महेश सावनी उनके पिता बनकर बेटियों का कन्यादान कर रहे हैं। इस पहल मे उन्होंने पिछले छह साल में 472 लड़कियों के पिता की भूमिका निभाई है।
महेश सावनी के बड़े भाई वक़्त से पहले ही गुजर गये तो उनकी बेटियों की जिम्मेदारी उनकी पत्नी के कंधों पर अा गयी। उन्होंने अपनी भाभी को बेटियों की शादी के लिए संघर्ष करते देखा, इसी दौरान महेश को एहसास हुअा कि बिना पिता के बेटियों की शादी करने में एक माँ को कितना संघर्ष करना पड़ता है।  महेश ने अपनी भतीजियों की शादी करवाई और तब से निश्चय लिया कि जिस बेटी के ऊपर से पिता का साया उठ गया होगा, उनका कन्यादान वो खुद करेंगे।
“एक माँ के लिए अपनी बेटी की शादी कराना अासान नहीं होता क्योंकि उसे अकेले सबकुछ करना पड़ता है। एक औरत के लिए ये संघर्ष से बढ़कर होता है,” सावनी टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताते है।

 2008 से महेश, पिता की भूमिका मेे गुजरात की बेटियों का कन्यादान कर रहे हैं। अाज उनकी बेटियों की संख्या 472 तक पहुंच गयी है। और अभी भी वे रुके नहीं है।

Mahesh Savani

Image Source: Facebook, Wikipedia
इन बेटियों की शादी मेे महेश उनके घर पर मौजूद रहते हैं। अपने हाथों से विदा करते हुए घर के जरूरी सामान से लेकर इलेक्ट्रॉनिक गिफ्ट और सोने चांदी के गहने तक सबकुछ देते हैं। महेश अपनी गोद ली हुई हर बेटी की शादी मे 4 लाख से ज्यादा धन खर्च करते हैं। पर सबसे बड़ी बात यह है कि महेश के रहते इन बच्चियों को विदाई के वक़्त अपने पिता की कमी नहीं खलती।
उनका संबंध शादी कराने पर ही ख़त्म नहीं हो जाता बल्कि वहां से शुरू होता है।
ऐसी ही गोद ली हुई बेटी, हिना कठिरिया कहती हैं, “महेश पापा की जब भी जरूरत होती है तो उन्हें बस एक मैसेज करने की देर होती है और पापा हमारे साथ होते हैं।”
बचपन मेे ही अपने पिता को खो चुकी नहीदा बानो कहती हैं,”महेश पापा मेरे लिए एक पिता से बढ़कर हैं, भगवान दुनियाँ की हर लड़की को ऐसे पिता दे।”
सैकड़ों लड़कियों के पिता होने का गर्व महेश के चेहरे से झलकता है। उनका परिवार लगभग पूरे गुजरात में फैला हुआ है।

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