कभी थे ड्रग एडिक्ट, अब हैं पहाड़ों के नशा मुक्ति दूत!

drug addict

पंकी की नशे की लत ने उसके सोचने-समझने की सलाहियत भी ख़त्म कर दी थी। आज उस घड़ी को याद करते हुए पंकी की ऑंखें भर आती हैं।

हिमाचल में बिखरा हिमालय का प्राकृतिक सौन्दर्य दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ कोई शांति की तलाश में आता है, तो कोई कुछ दिनों के लिए यहाँ रह कर नई ऊर्जा पाना चाहता है। लेकिन इनके अलावा पर्यटकों का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा भी है, जो यहाँ आकर हिमालय की सुन्दरता को दूषित कर देता है। हिमालयन नेशनल पार्क के आसपास फैली तीर्थन वैली, पार्वती वैली, कसौल और मलाना  ऐसी हसीन वादियाँ हैं, जहाँ न केवल इज़रायली, बल्कि बहुत सारे युवा ड्रग्स के इस्तेमाल के लिए खिंचे चले आते हैं। धीरे-धीरे यह इलाका ड्रग टूरिज़्म के लिए बदनाम होता जा रहा है।

देवदार के ऊँचे-ऊँचे पेड़ों से घिरे इस क्षेत्र में पूरी दुनिया से लोग घूमने और ट्रेकिंग के लिए आते हैं। लेकिन यहाँ आने वाले कुछ लोग ड्रग्स का इस्तेमाल कर न सिर्फ़ अपनी सेहत से खिलवाड़ करते हैं, बल्कि उनके द्वारा नशे का इस्तेमाल किये जाने का ग़लत प्रभाव हिमाचल के गाँवों में रहने वाले युवाओं पर भी पड़ता है।

तीर्थन वैली में रहने वाले एक युवा पंकी सूद की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। दिल से यायावर पंकी को हिमालय नेशनल पार्क हमेशा से आकर्षित करता था और साथ ही आकर्षित करती थी बैक पैक वाले विदेशी सैलानियों की संगत।

Know How

पंकी 14-15 साल की उम्र से ही इन वादियों में घूमने लगा था। बाहर से आने वाले लोगों से मिलना और उनसे दोस्ती करना पंकी को बहुत अच्छा लगता था। इतनी छोटी-सी उम्र में ही उसने इन वादियों में न जाने कितने ट्रेक ढूँढ निकाले थे। जंगलों में घूमते, पहाड़ों की चोटियों को फ़तह करते कब पंकी नशे के जाल में फंस गया, इसका अंदाज़ा न उसे हुआ और न ही उसके परिवार को। अब उसे बस नए लोग और रोज़-ब-रोज़ नया नशा ही अच्छा लगने लगा था। उसे इसका एहसास नहीं था कि इन सैलानियों की दोस्ती उसे बहुत महंगी पड़ेगी।

यह बात है 1992-93 की। तब भारत में सिंथेटिक ड्रग्स जैसे कोकीन, एलएसडी, किटमिन, हेरोइन, मैथ आदि आये ही थे। पंकी मौज-मस्ती करते-करते कब नशे की गिरफ़्त में आ गया, किसी को पता नहीं चला। पंकी ने अपनी जवानी के स्वर्णिम 8 साल नशे के अंधेरे में गुज़ार दिए। इस बीच, परिवार ने उसकी नशे की लत छुड़वाने की हर संभव कोशिश की, पर वह इस लत को छोड़ नहीं सका। तब किसी ने परिवार वालों को सलाह दी कि इसकी शादी कर दो, ज़िम्मेदारी पड़ेगी तो नशा छूट जाएगा। परिवार ने पंकी की शादी कर दी। एक वर्ष के भीतर बच्चा भी हो गया, लेकिन पंकी की नशे की लत नहीं छूटी। अब तक पंकी की नशे की लत इतनी बढ़ गई थी कि वह इसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता था। नशा हर गुज़रते दिन के साथ उसे ग़लत रास्ते की ओर ले जा रहा था।

एक दिन हद तो तब हो गई, जब पंकी ने नशे की खातिर अपने अबोध बच्चे को ही ढाल बना कर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

Know How

पंकी की नशे की लत ने उसके सोचने-समझने की सलाहियत भी ख़त्म कर दी थी। आज उस घड़ी को याद करते हुए पंकी की ऑंखें भर आती हैं।

वह कहते हैं- “सर्दियों के दिन थे, शाम का समय था। बर्फ़ पड़ने लगी थी। परिवार मुझे नशे से दूर रखने की पूरी कोशिश कर रहा था। मेरे अकेले आने-जाने पर भी कड़ा पहरा था। उस समय मेरा बच्चा कुछ दिन का ही था। मैंने चुपके से अपने बच्चे को उठाया और उसे लेकर बाहर आ गया। परिवार को लगा कि बच्चे के साथ है, कहीं नहीं जाएगा। पर मैं अपने बच्चे को दरवाज़े के बाहर बर्फ़बारी में छोड़ कर नशे की तलाश में निकल गया। मेरे बड़े भाई ने जब बच्चे को ठंड में पड़ा पाया तो तय कर लिया कि अब कुछ भी कर के पंकी को इस लत से मुक्त करवाना है।”

इसके बाद पंकी को दिल्ली स्थित नशा मुक्ति केंद्र में लाया गया। उन्होंने 6 माह उस केंद्र में गुज़ारे, जहाँ उनके काउंसलर ने उन्हें बहुत समझाया।

पंकी अब स्वयं इस जंजाल से निकलना चाहते थे। इसलिए उन्होंने दृढ़ इच्छाशक्ति से अपनी इस कमज़ोरी पर काबू पाया।

“यह सब बहुत मुश्किल था, लेकिन नामुमकिन नहीं। जब मैं नशा मुक्ति केंद्र से वापस आया तो सोचने लगा कि जो लोग भी नशे की गिरफ़्त में आ जाते हैं, उनसे नफ़रत कर उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना बहुत आसान काम है, लेकिन इससे समस्या तो हल नहीं हो सकती। पहाड़ों में बसे छोटे-छोटे गाँवों के नौजवान ग़लत रास्ता इसलिए चुन लेते हैं, क्योंकि पैसा कमाने का सही ज़रिया उनके सामने नहीं होता और धीरे-धीरे वे नशे का कारोबार करने लगते हैं। इसके साथ ही ख़ुद भी वे इसकी चपेट में आ जाते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि उनके लिए रोज़गार के सही साधन उपलब्ध हों,” पंकी कहते हैं।

उन्होंने वापस आकर सस्टेनेबल टूरिज़्म की शुरुआत की। उन्होंने सोचा कि हिमालयन नेशनल पार्क और आसपास की सुन्दर वादियाँ देखने वर्ष भर सैलानी यहाँ आते हैं। उन्हें नशा न बेच कर अगर हम अपनी हिमाचली संस्कृति से रू-ब-रू करवाएं तो इससे सब का भला होगा। इससे गाँवों से लोग शहरों की तरफ पलायन नहीं करेंगे। साथ ही, बरसों पुरानी लोक संस्कृति को भी बचाया जा सकेगा।

Know How

पंकी बताते हैं, “नशे की जड़ें हमारे समाज में बहुत गहराई तक फैल चुकी हैं। हमारे बच्चे स्कूल जाने की उम्र में ही इस बुराई के शिकार हो रहे हैं। इसलिए ज़रूरत थी कि उन्हें इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाए। मैंने सोचा कि क्यों न हम स्कूलों में जाकर बच्चों के बीच एक अवेयरनेस प्रोग्राम चला कर इस काम की शुरुआत करें। अब मैं और मेरी पत्नी, दोनों मिल कर कुल्लू और आसपास के इलाकों के स्कूलों में जाकर बच्चों से बातचीत करने की कोशिश करते हैं।“

बच्चों और युवाओं के बीच इस विषय को लेकर संवादहीनता की जो स्थिति थी, उसे पंकी और उनकी पत्नी दूर करने की कोशिश करने लगे। अब लोग खुल कर इस विषय पर बात करने लगे और ज़रूरत पड़ने पर मदद मांगने  के लिए आगे भी आने लगे।

अभी तक सूद दम्पति लगभग 250 परिवारों की मदद कर चुके हैं। इसमें नशे की गिरफ़्त में आए बच्चों की काउंसलिंग से लेकर उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाने तक कई बातें  शामिल हैं।

पंकी की इस कोशिश को सफल बनाने में सहयोग करने कई लोग आगे आए, जिनमें कुल्लू जिले की एसपी शालिनी अग्निहोत्री का योगदान सराहनीय है। कुल्लू की युवा एसपी शालिनी अग्निहोत्री नशा माफ़िया के लिए आतंक का पर्याय मानी जाती हैं। वहींआम जनता के बीच आईपीएस शालिनी का नाम सौहार्द का प्रतीक बन गया है। उन्होंने ड्रग माफ़िया के सफाये के लिए बहुत सारे प्रशासनिक क़दम उठाए हैं और कुल्लू वैली को ड्रग फ्री बनाने में लगी हुई हैं।

मंगलोर की राजकीय वरिष्ठ पाठशाला की प्राचार्य नीलम सूद का कहना है कि पंकी सूद बहुत ही रोचक ढंग से बच्चों के साथ इंटरेक्ट करते हैं। वह बच्चों को अपनी आपबीती किसी रोचक कहानी की तरह सुनाते हैं और अंत में बच्चों को बताते हैं कि यह कहानी मेरी अपनी है। इसका बच्चों के मन पर बहुत गहरा असर पड़ता है।

पंकी कई बड़े मंचों जैसे टेड टॉक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर जाकर भी युवाओं से संवाद करते हैं। पंकी की कोशिश है कि जो नासमझी में उनके साथ हुआ, वह किसी और युवा के साथ न हो।

Know How

पंकी अपनी नशे की गिरफ़्त से मुक्ति की इस यात्रा के सफल होने में कई लोगों को श्रेय देते हैं। पंकी कहते हैं कि उनकी यह जंग कुछ लोगों की मदद के बिना अधूरी ही रह जाती, जैसे योगेन्द्र चौधरी जो वर्तमान में मुंबई में प्रिंसिपल कमिश्नर, इनकम टैक्स  के रूप में कार्यरत हैं।

उस समय योगेन्द्र चौधरी नेहरू युवा केंद्र के मुख्य अधिकारी थे। पंकी की उनसे मुलाक़ात तीर्थन वैली में हुई। उनके द्वारा दिए गए प्रोत्साहन से उन्हें फिर से नया जीवन शुरू करने की हिम्मत मिली। उन्हीं की प्रेरणा से पंकी ने एडवेंचर टूरिज़्म, सस्टेनेबल टूरिज़्म और इको टूरिज़्म की शुरुआत की।

आज पंकी तीर्थन नदी के किनारे एक स्टे होम चलाते हैं। वह एक कॉटेज भी चलाते हैं, जिसे खास तौर पर हिमाचल के आर्किटेक्चर के अनुसार बनाया गया है। यहाँ रह कर सैलानियों को हिमाचल की संस्कृति से रू-ब-रू होने का मौक़ा मिलता है। वह एडवेंचर ट्रेकिंग में माहिर हैं। वह हिमालय की दुर्गम चोटियों पर ट्रेकिंग और कैम्पिंग भी करवाते हैं।

Know How

पंकी कहते हैं, “हम दिल खोल कर सैलानियों का स्वागत करते हैं। उन्हें प्रकृति के ऐसे अद्भुत नज़ारों और अनुभवों से रू-ब-रू करवाते हैं, जो उनकी स्मृति में सदा के लिए बस जाएं, लेकिन हम ऐसे लोगों का बिल्कुल स्वागत नहीं करते जो हिमाचल की वादियों में नशा करने आते हैं।“

यह पंकी और उनके साथियों की कोशिश का ही नतीजा है कि जहाँ हिमाचल की अनेक नदियाँ पॉवर प्रोजेक्ट बनने से सूख गई हैं, वहीं तीर्थन नदी अभी तक सलामत है और पूरे वेग से बह रही है। इन्हीं लोगों द्वारा हाईकोर्ट में डाली गई पीआईएल से ही तीर्थन पर पॉवर प्रोजेक्ट को रोका गया है।

Know How

पंकी सूद से संपर्क करने के लिए आप नीचे दिए पते पर जा सकते हैं :

Panki Sood

Managing Host
at Sunshine Adventures  

 +91-9418-102-083 

http://www.tirthanvalley.com 

यह भी पढ़ें – मेजर डी. पी सिंह : वह कारगिल हीरो, जो मौत और विकलांगता को हराकर बना भारत का प्रथम ब्लेड रनर!

संपादन – मनोज झा


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X