11 जुलाई 2021 को अंतरिक्ष की यात्रा पर निकलने वाली सिरीशा बांदला (Sirisha Bandla) का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम मुरलीधर बांदला और माँ का नाम अनुराधा बांदला है। सिरीशा के पिता एक कृषि वैज्ञानिक हैं। सिरीशा, कल्पना चावला के बाद, भारत में जन्मी दूसरी ऐसी महिला हैं, जो अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेंगी। उनसे पहले राकेश शर्मा और सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में जाने वाले अन्य भारतीय थे। लेकिन सुनीता का जन्म यूएस में हुआ था।
पेशे से एयरोनॉटिकल इंजीनियर बांदला ने, ट्विटर पर अंतरिक्ष यात्रा में शामिल होने के लिए, खुद को गौरवान्वित महसूस करने की बात लिखी।अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी वर्जिन गैलेक्टिक के ‘Unity 22’ के छह सदस्यों का एक दल अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेगा। 34 वर्षीया सिरीशा इसी दल का हिस्सा हैं।
ट्वीट कर, ज़ाहिर की खुशी
वर्जिन गेलेक्टिक (Washington DC) द्वारा संचालित मिशन का नाम ‘यूनिटी 22’ है। यह वीएसएस यूनिटी स्पेसशिप का 22वां उड़ान परीक्षण और कंपनी का चौथा क्रू स्पेसफ्लाइट है। सिरीशा, वर्जिन गैलेक्टिक में गवर्मेंट अफेयर्स विभाग की वाइस प्रेसिडेंट हैं।
मिशन के बारे में खबर आने के बाद सिरीशा ने ट्वीट किया, “Unity 22 और एक ऐसी कंपनी का हिस्सा बनकर, जिसका मिशन अतंरिक्ष को सभी के लिए उपलब्ध कराना है, मैं खुद को अविश्वसनीय रूप से सम्मानित महसूस कर रही हूं।”
यह न केवल सिरीशा के परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। उनके चाचा, रामाराव कन्नेगती और परिवार के कुछ अन्य सदस्यों ने, उन्हें फेसबुक पर ढेरों बधाइयां दीं। सिरीशा बांदला के 85 वर्षीय दादा, रागैया बांदला ने द बेटर इंडिया को दिए एक विशेष साक्षात्कार में अपनी पोती के बचपन के बारे में बहुत सी बातें बताईं। रागैया बांदला खुद एक सेवानिवृत्त वैज्ञानिक हैं।
सही फैसले लेने की मजबूत क्षमता
सिरीशा का जन्म आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ था। लेकिन वह ह्यूस्टन, टेक्सस में पली-बढ़ीं। उन्होंने 2011 में पर्ड्यू यूनिवर्सिटी (Purdue University) से एयरोस्पेस एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 2015 में, उन्होंने जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स डिग्री हासिल की। पढ़ाई के बाद, उन्हें वाशिंगटन डीसी में रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी वर्जिन गेलेक्टिक में नौकरी मिल गई।

हालांकि, सिरीशा ने अपना अधिकांश समय यूएसए में बिताया है, लेकिन उनके दादा, रागैया ने बताया कि वह बचपन में कई बार भारत आ चुकी हैं। सिरीशा के दादा का कहना है कि वह छुट्टियों के दौरान या फिर किसी पारिवारिक समारोह में हिस्सा लेने के लिए भारत आती रहती थीं। इन यात्राओं के दौरान, उन्होंने महसूस किया कि सिरीशा के पास सही निर्णय लेने की मजबूत क्षमता है।
‘हमेशा अंतरिक्ष के प्रति रहीं फैसिनेटेड’
रागैया ने बताया, “एक बच्चे के रूप में, सिरीशा हमेशा आकाश से फैसिनेट होती थीं और रात में उसे तारों को देखकर अलग ही तरह की खुशी मिलती थी। वह कई सवाल पूछा करती थी कि हवाई जहाज कैसे उड़ रहे हैं, तारे कैसे बनते हैं, वे ऊपर क्यों हैं और बहुत कुछ। मेरा मानना है कि यह उसका जिज्ञासु स्वभाव ही था, जिसने उसे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया और आज उसे अंतरिक्ष की यात्रा करने का मौका मिला।”

जब सिरीशा ने उन्हें इस खबर की जानकारी दी, तो वह खुशी से झूम उठे। उन्हें बेहद प्रसन्नता हुई कि उनकी पोती अंतरिक्ष की यात्रा करने जा रही है। उन्होंने कहा, “मुझे उसकी उपलब्धियों और दृढ़ संकल्प पर बहुत गर्व है। अब, मैं उसके लॉन्च को ऑनलाइन देखने के लिए उत्सुक हूं। एक बार जब वह वापस आ जाएगी, तो मैं उससे मिलना चाहूंगा और उसके अनुभवों को सुनना चाहूंगा।”
आप भी इस लॉन्च को यहां क्लिक करके ऑनलाइन देख सकते हैं।
मूल लेखः रौशनी मुथुकुमार
संपादन- जी एन झा
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