सफलता, मेहनत करनेवालों के पास समान रूप से जाती है। आपकी आर्थिक हालत, बड़े शहर से आते हैं या छोटे गांव से, अंग्रेजी मीडियम से हैं या हिन्दी मीडियम से, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अभाव से आवश्यकताएं जन्म लेती हैं, असफलताएं नहीं। राजस्थान के भैरूसरी की 3 बहनों, ऋतु, अंशु और सुमन सहारण ने आरएएस 2018 (RAS 2018 Ritu, Anshu and Suman) में चयनित हो, इसे सच साबित कर दिखाया है।
हनुमानगढ़ जिले के भैरूसरी गांव (रावतसर तहसील) के रहनेवाले सहदेव सहारण वैसे तो एक किसान हैं। लेकिन उनकी पांच बेटियां किसी बेशकीमती रत्न से कम नहीं हैं। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने RAS-2018 के फाइनल रिजल्ट की घोषणा की, जिसमें इन सभी बहनों का चयन हुआ।
5वीं के बाद नहीं गईं स्कूल
सहदेव सहारण की तीन बेटियों का आरएएस में चयन हुआ है। वहीं दो बेटियां, रोमा और मंजू पहले से ही RAS हैं। मंगलवार को RAS-2018 का जब परिणाम आया, तो बाकी तीन बहनों, ऋतु, अंशु और सुमन का भी एक साथ आरएएस में चयन हुआ।
गांव की 5 बेटियों का राजस्थान ऐडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (Rajasthan Administrative Service) में चयन होने से परिजनों के साथ-साथ गांववाले भी बेहद खुश हैं। सहदेव सहारण की बेटियों के साथ ही, उनके एक दामाद महेश कुमार का भी आरएएस में चयन हुआ। वह राजस्थान के सीकर के रहनेवाले हैं।

कमाल की बात तो यह है कि उनकी पांचों ही बेटियां 5वीं कक्षा के बाद कभी स्कूल नहीं गईं। लेकिन उन्होंने 6वीं से लेकर बारहवीं, फिर ग्रेजुएशन, नेट जेआरएफ व पीएचडी तक की पढ़ाई प्राइवेट ही की और यह मुकाम हासिल किया।
दरअसल, उनके गांव में स्कूल ही नहीं था और न ही किसान पिता सहदेव के पास इतने पैसे थे कि वे तीनों बेटियों को बड़े स्कूल में पढ़ा सकें। उन पर पांच बेटियों और एक बेटे की पढ़ाई का जिम्मा था, इसलिए वह बच्चों को नियमित पढ़ाई नहीं करवा पाए। सभी ने घर पर रहकर ही आपस में नोट्स तैयार कर पढ़ाई की।
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
सहदेव सहारण खुद आठवीं तक पढ़े हैं और उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी सहारण निरक्षर हैं। उनकी एक बेटी रोमा, झुंझुनूं के सूरजगढ़ और दूसरी बेटी मंजू, नोहर के को-ऑपरेटिव बैंक में पोस्टेड हैं।
यह, तीनों बहनों का दूसरा प्रयास था। जिसमें अंशु ने ओबीसी गर्ल्स 31, रीतू 96 व सुमन ने 98वीं रैंक हासिल की है। पांचों बहनों में सबसे बड़ी मंजू सहारण हैं। उनका चयन साल 2012 में सहकारिता विभाग में हुआ था। वहीं, मंजू से पहले, रोमा सहारण आरएएस में चयनित हुईं। वर्तमान में रोमा झुंझुनूं के सूरजगढ़ में बीडीओ के पद पर कार्यरत हैं।
तीनों बहनों ने एक इंटरव्यू में अपनी इस सफलता का श्रेय, अपने माता-पिता को दिया। उनका कहना है कि हम सभी बहनें, यहां की दूसरी बेटियों को भी आगे लाने का काम करेंगी।
यह भी पढ़ेंः K A Ponnanna की रोचक कहानी! नौकरी थी सुरक्षा गार्ड की, बन गए रिसर्च स्टूडेंट्स के सलाहकार
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: