भारत में ज्यादातर लोग खाने के शौकीन हैं। हर राज्य में कुछ खास व्यंजन हैं जो दुनिया भर में मशहूर हैं। राज्य कोई भी हो, चावल के बिना भारत में खाने की थाली की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है। सदियों से चावल हमारे खाने का अहम हिस्सा रहा है। देश के किसी भी कोने में चले जाएं, किसी ना किसी रूप में चावल हमारी थाली में आ ही जाता है, चाहे उत्तर में कश्मीरी पुलाव हो या दक्षिण में इडली-डोसा हो। बिरयानी से लेकर खीर तक, चावल हमारे खाने के ज़ायके को कई गुना बढ़ा देता है।
हालांकि, हर चीज़ का एक नकारात्मक पहलू भी होता है। ज्यादा चावल खाना सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। जेएएमए इंटरनल मेडिसिन द्वारा 2010 में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में पाया गया है कि अगर आप एक सप्ताह में पांच या उससे ज्यादा कटोरी चावल खाते हैं तो आप पर टाइप II डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है।
यह एक डराने वाला इशारा है। तो फिर हमारे पास इसका विकल्प क्या है? ज्यादा जानकारी के लिए मैंने कई लेख पढ़े और फिर मैंने ‘काले चावल’ के बारे में पढ़ा, जिसे अंग्रेजी में ‘फॉरबिड्डन राइस’ भी कहा जाता है। कई रिसर्च के अनुसार काले चावल में एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीकैंसर गुण होते हैं, जो हृदय रोग से लड़ने और डायबिटीज को रोकने में मदद करते हैं।
इतिहासकारों के अनुसार, काला चावल अपने पोषक गुणों के लिए जाना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि चीन में, यह विशेष रूप से राजाओं को परोसा जाता था और सम्मान देने के लिए इसे एक भेंट के तौर पर खाने में शामिल किया जाता था।
काले चावल के बारे में ये सब जानने के बाद मेरे मन में चावल को चखने की लालसा जाग उठी। काले चावल की पैदावार व्यापक रूप से मणिपुर में होती है लेकिन मेरी इस लालसा को शांत करने के लिए मैं शुक्रिया करती हूँ दिल्ली की एक उद्यमी मुदिता अकोइजाम सिंह का। मुदिता के जरिए भारत भर में मेरी ही तरह काले चावल खाने की इच्छा रखने वाले लोग इसके स्वाद का मज़ा घर बैठे ले रहे हैं।
31 वर्षिय मुदिता कहती हैं, “यह चावल अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है और देश भर के कई इटालियन रेस्टोरेंट में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन भारत में, काले चावल का आयात दक्षिण-पूर्व एशिया से किया जा रहा था। मुझे ये बात बहुत अजीब लगी, क्योंकि मैंने इसे मणिपुर में अपने पैतृक गाँव थौबल में व्यापक रूप से उपजाते हुए देखा है।”
मुदिता ने यहां मणिपुर के किसानों के लिए अवसर और उन्नति का मौका देखा। मणिपुर में उपजाए जाने वाले चावल को भारत भर में पहुंचाने के लिए उन्होंवे ‘फॉर 8’ नामक संस्था की स्थापना की और काले चावल को दूसरे राज्यों में बेचना शुरू किया। वर्तमान में, फॉर 8 एनजीओ पार्टनर्स, किसान निर्माता संगठनों (एफपीओ) और महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किसानों का समर्थन करता है। फॉर8 करीब 500 से अधिक लोगों की आजीविका में मदद कर रहा है।
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फाइनेंस से लेकर किसान के खेत तक
मुदिता ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह कृषि क्षेत्र से जुड़ेंगी और बिजनेस करेंगी। दिल्ली के जीसस और मैरी कॉलेज से कॉमर्स में ग्रैजुएशन की डिग्री पूरी करने के बाद, वह 2011 में मास्टर डिग्री के लिए लंदन गईं। वह फाइनेंस क्षेत्र में करियर बनाना चाहती थीं।
वह बताती हैं, “मैंने एक्सेटर विश्वविद्यालय से इंटरनैशनल मैनेजमेंट की पढ़ाई की और इससे मुझे फाइनेंस के विषय पर अच्छी पकड़ बनाने में मदद मिली है।” वह पढ़ाई पूरी कर वापस लौटीं और कॉर्पोरेट क्षेत्र में डिप्टी फाइनेंस मैनेजर के पद पर काम करना शुरू किया।

इस बीच, मुदिता ने देखा कि कैसे उनके आस-पास के लोग बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। मुदिता याद करते हुए बताती हैं, “मैंने देखा की मेरे कई रिश्तेदार और दोस्त, बहुत ही कम उम्र में डायबिटीज का शिकार हो गए हैं और एलोपैथी इस समस्या को हल नहीं कर पा रही थी।” मुदिता ने फिर मणिपुर में रहने वाले अपने दादा-दादी के जीवन से यहां की जीवनशैली की तुलना की।
मुदिता बताती हैं, “मेरे पिता मणिपुर से हैं जबकि मेरी माँ यूपी से हैं। अपनी छुट्टियों के दौरान, मैं अक्सर अपने दादा-दादी से मिलने जाती थी, जो थौबल में रहते थे। उनकी जीवन शैली बेहद सरल थी और वे ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करते थे जो स्वदेशी रूप से उपजाए जाते थे, सेहत से भरपूर थे और किसी भी तरह के केमिकल से कोसो दूर थे। यह जीवनशैली ही थी कि मेरी परदादी 100 साल तक जीवित रहीं! ”
मुदिता ने मणिपुर में पाए जाने वाले फसलों के पोषक लाभों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दिया। इसके लिए, वह राज्य में वैज्ञानिकों से भी मिलीं और उनके साथ हुई बातचीत से उनका मन हैरत के साथ-साथ खुशी से भी भर गया।

हमसे बात करते हुए मुदिता बताती हैं, “काले चावल के अलावा, मैंने एक अलग तरह की मिर्च की भी खोज की, जो मणिपुर में पाई जाती थी और जिसे आमतौर पर ‘उमरोक’ के नाम से जाना जाता था। इसमें कैप्साइसिन होता है, जिसमें एंटीकैंसर गुण होते हैं।
मुदिता ने महसूस किया कि वह इन चीज़ों को पूर्वोत्तर से बाहर दूसरे राज्यों के बाजारों में उपलब्ध करा सकती हैं। उन्होंने 2015 में अपने कॉर्पोरेट क्षेत्र की नौकरी छोड़ी और यहीं से बिज़नेस की तरफ अपनी नई पारी की शुरुआत की।
मुदिता के पिता ने भी हर कदम पर उनका साथ दिया। वह कहती हैं, “मुझे वास्तव में अपने पिता का शुक्रिया अदा करने की ज़रूरत है, मुझे नहीं लगता कि उनके बिना अकेली मैं यह सब कर पाती।”
एक नेटवर्क बनाना
अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, मुदिता ने न केवल मणिपुर बल्कि पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों की यात्रा यह समझने के लिए की, कि बाजार कैसे काम करते हैं। उन्होंने किसानों से बात की और उस क्षेत्र के बारे में पूरी समझ विकसित करने की कोशिश की जिसमें वो कदम रखने जा रहीं थीं।
मुदिता बताती है कि, “मैंने साल में करीब छह महीने, इस क्षेत्र में काम करने वाले कई गैर सरकारी संगठनों के साथ वॉलंटियरिंग किया और विभिन्न एफपीओ से बात की। मैंने ‘इमा केइथल ’जैसे स्थानीय बाजारों का दौरा भी किया, जिसे मणिपुर में ‘मदर्स मार्केट’ के रूप में भी जाना जाता है। यह बाजार पूरी तरह से महिलाओं द्वारा चलाया जाता है। मुझे उन महिलाओं से बात करने का भी मौका मिला।”
मुदिता ने महसूस किया कि ये महिलाएं किसान थीं और SHGs(सेल्फ हेल्फ ग्रुप) में संगठित थीं। यहां मुदिता ने अपने बिजनेस वेंचर के लिए एक अवसर देखा। उन्हें लगा कि अपना बिज़नेस शुरू करने पर वह इन महिलाओं से रॉ मटेरियल प्राप्त कर सकतीं हैं। एनजीओ के साथ काम करने के अनुभव ने मुदिता का मार्गदर्शन किया। उन्हें लगा कि वह अपने आइडिया पर काम कर सकतीं हैं और एक ऐसी जगह बना सकतीं हैं, जहाँ ये महिलाएं एक साथ आकर एक दूसरे की मदद कर सकें।
मुदिता बताती हैं, “मैं एक सस्टेनेबल मॉडल के साथ एक सामाजिक उद्यम स्थापित करना चाहती थी, जहां लोग जमीनी स्तर पर कौशल और ज्ञान साझा कर सकें।”
शुरुआत में मुदिता ने कम मात्रा में उमरोक मिर्च और काले चावल जैसी चीजें खरीदना शुरू किया। बिज़नेस पूरी तरह सेट करने से पहले, उन्होंने एक सर्वेक्षण किया ताकि दिल्ली के रेस्टोरेंट में इन उत्पादों की मांग के बारे में पूरी जानकारी मिल सके।
वह बताती हैं, “कई बार ऐसा हुआ कि मैंने फोन उठा कर कई रेस्टोरेंट के नंबर डायल किए और उनसे पूछा कि क्या उन्हें इन राशनों की ज़रूरत है। मेरा ध्यान मुख्य रूप से इटालियन, कॉन्टिनेंनटल और एशियाई रेस्टोरेंट पर था जहां इन राशनों की मांग होने की गुंजाइश थी।”
मुदिता के लिए ये राहत की बात थी कि कई रेस्टोरेंट ने दिलचस्पी दिखाई और दिन-पर-दिन इसकी मांग बढ़ती गई और एक सही बिजनेस प्लान के साथ जनवरी 2018 में मुदिता ने आधिकारिक तौर पर ‘फॉर8’ लॉन्च किया।
उत्सुक रेस्टोरेंट और समृद्ध किसान
शुरुआत में, फॉर8 ने दिल्ली के 10 रेस्टोरेंट और मुंबई में 20 रेस्टोरेंट को अपना प्रोडक्ट सप्लाई करना शुरू किया।
रितेश टूसियन एक शेफ़ है जो एक साल से ज्यादा समय से व्यंजन बनाने के लिए फॉर8 के काले चावल का इस्तेमाल कर रहे हैं। मुंबई के ‘यजु- पैन एशियन सपर क्लब’ में इस शेफ़ और रेस्टोरेंट सलाहकार ने रेसपी तैयार कर अपने ग्राहकों का ज़ायका बढ़ाने की कोशिश की है। 36 साल के शेफ़ रितेश का कहना है, “जब हम मेन्यू बना रहे थे, तो कुछ ऐसा चाहते थे जिससे हम ऐसे ही एशियाई भोजन परोसने वाले अन्य रेस्टोरेंट से अलग हो। बहुत रिसर्च करने के बाद, मैंने काले चावल की खोज की जो असल में एशियाई रसोई का एक अभिन्न अंग है। मैं इसे मेन्यू में शामिल करना चाहता था और मैंने फिर ये देखना शुरू किया कि भारत में मुझे यह कहां से मिल सकता है और तब मुझे मुदिता के ब्रांड के बारे में पता चला।”
रितेश व्यंजनों की खासियत बताते हुए कहते हैं, “काले चावल का इस्तेमाल करते हुए बनने वाले कुछ बेहद लोकप्रिय व्यंजन फ्राइड राइस और सुशी रोल हैं। यह चावल बहुत अच्छा है क्योंकि इसमें प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, आसानी से पच सकते हैं और आपको पेट फूला हुआ महसूस नहीं होता है। ”
रितेश ने मुदिता से संपर्क किया और जल्द ही उनसे काले चावल खरीदना शुरू कर दिया। मुदिता का मणिपुर में थौबल में एक छोटा सा ऑफिस है, जो पूर्वोत्तर में संचालन कॉर्डिनेट करता है। सारा माल दिल्ली भेजने से पहले मणिपुर में उनकी टीम चावल को हाथों से अच्छी तरह से छांटती है और ग्रेडिंग करती है। दिल्ली पहुंचने के बाद, चावल को बिक्री के लिए तौला और पैक किया जाता है। हर महीने फॉर8, मणिपुर से कम से कम 1,000 किलोग्राम चावल मंगवाता है। इसके अलावा, एक तरफ जहां महिलाओं को चावल ग्रेडिंग करने के तरीकों को सिखाया जा रहा है वहीं किसानों को सही कृषि पद्धतियों के बारे में बताया जा रहा है ताकि उनकी उपज में सुधार हो सके, जिससे मेहनत कम लगे और मुनाफा ज्यादा हो।
रेस्टोरेंट में काले चावल की सफलता को देखते हुए, मुदिता ने कुछ अन्य उत्पादों को भी बिक्री के लिए शामिल किया है, जिसे वह ऑफ़लाइन बेचती हैं और कुछ रेस्टोरेंट ये समान उनसे सीधा खरीदते हैं।
वह असम से हिमालयन रेड राइस, नागालैंड से बांस की टहनी के साथ साथ कई तरह की चाय मंगवाती हैं, जिसमें कैमोमाइल, हिबिस्कस, लैवेंडर, जैसमिन और ओलोंग शामिल हैं। ये सभी किसान नेटवर्क से सीधे जुड़े हुए हैं।
चुनौतियों का मुकाबला साहस के साथ
सामान्य तौर पर, मुदिता के दिन की शुरुआत, फॉर 8 के विभिन्न पहलुओं की देखरेख के साथ शुरू होती है। क्योंकि टीम छोटी है, इसलिए उन्हें हर काम बड़े ध्यान के साथ करना पड़ता है, लोगों से बात करने से लेकर स्टॉक भरा होने तक, उन्हें ही सब सुनिश्चित करना पड़ता है।
जमीनी-स्तर पर फॉर8 लोगों के जीवन पर काफी बदलाव ला रहा है। लेकिन यह बदलाव लाना और मुदिता की यात्रा आसान नहीं रही है।
जैसा कि इनमें से कई सारी चीजें खराब हो जाने वाली होती है, भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन जैसी चुनौतियों का सामना करने की संभावना हमेशा रहती है।
मुदिता कहती हैं, “पूर्वोत्तर राज्य पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं इसलिए हमें योजना बनाने के लिए ज्यादा समय की ज़रूरत होती है। हमें यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि हमारी इन्वेंट्री अच्छी तरह से स्टॉक की गई है ताकि सप्लाई में कोई समस्या ना हो।” वह आगे बताती हैं, मानसून के दौरान बाढ़ और भूस्खलन भी माल की आवाजाही के लिए एक बड़ी चुनौती है।
उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में वह कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं को शामिल कर सकेंगी ताकि खराब होने वाली चीजों की कुशलतापूर्वक आवाजाही हो सके।
मुदिता के पास नए उद्यमियों के लिए एक संदेश है।
“आप जो काम कर रहे हैं उसे मन के साथ करना चाहिए। बाजार लगातार विकसित हो रहा है और खुद को प्रेरित रखने से ही आगे रास्ता मिलता है। चुनौतियां हमेशा रहेंगी, लेकिन अपने आइडिया और अपने आप पर विश्वास रखिए और फोकस बनाए रखें।”
भविष्य के लिए क्या प्लान है?
मुदिता ने बताया कि हाल ही में उन्होंने बाथ और बॉडी प्रोडक्ट लॉन्च किया है और इसे लेकर वह काफी उत्साहित हैं। ये प्रोडक्ट प्राकृतिक तेलों और काले चावल के अर्क से बनाए गए हैं और सल्फेट्स और पैराबेंस से पूरी तरह से मुक्त हैं। मुदिता इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि ग्राहकों से इन प्रोडक्ट पर कैसी प्रतिक्रिया मिलती है।
बड़े उत्साह के साथ वह बताती हैं, “अब मैं और ज्यादा सुपरफूड्स शामिल करने की योजना बना रही हूँ और बॉडी प्रोडक्ट्स पर भी खोज कर रही हूँ। मैं समृद्ध जड़ी-बूटियों और स्थानीय चीज़ों की खोज के लिए अन्य राज्यों में और ज्यादा यात्राएं करना चाहती हूँ। मेरा लक्ष्य लुप्त होते और पिछड़े समुदायों को सशक्त बनाने के साथ स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना है।”
रैपिड फायर
* एक उद्यमी जिनकी आप प्रशंसा करती हैं?
उत्तर: एलन मस्क
* नई तकनीक जो छोटे व्यवसायों के भविष्य को बदल सकती है?
उत्तर : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
* एक मूलमंत्र जो छोटे व्यवसायों को बढ़ने में मदद कर सकता है?
उत्तर: प्रेरित रहना
* एक ऐप/सॉफ्टवेयर जो आपके काम को प्रबंधित करने में आपकी मदद करता है?
उत्तर: शिपरॉकेट
* आपकी पसंदीदा किताब
उत्तर : हैरी पॉटर श्रृंखला
*मेरे ख़ाली व़क्त में मैं __
उत्तर: वर्कआउट करती हूं और संगीत सुनती हूँ
* इस साक्षात्कार से पहले मैं ____ कर रही थी
उत्तर: नाश्ता खत्म
* छोटे व्यवसाय को लेकर खुद की पुरानी ज़िंदगी के लिए एक संदेश
उत्तर: मानसिक रूप से मजबूत हों और आशंकित न हों।
* एक चीज जो कॉलेज में नहीं पढ़ाया जाता है लेकिन बिज़नेस चलाने के लिए महत्वपूर्ण है
उत्तर: एक आइडिया ढूंढना और उसपर कुशलतापूर्वक काम करना।
*एक सवाल जो लोगों को काम पर रखने से पहले मैं हमेशा पूछती हूँ ___
उत्तर: वो क्या था जिसने उन्हें हमारे साथ जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
* सबसे अच्छी सलाह जो आपको मिली है वह ___
उत्तर – आगे बढ़ो
मूल लेख- अंगारिका गोगोई
संपादन – अर्चना गुप्ता
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