दिल्ली में कड़कड़डूमा कोर्ट के समीप ही एक झुग्गी बस्ती है- जगतपुरी। इस इलाके में रहने वाले बच्चों का चेहरा कर्मवीर सिंह को देखते ही खिल उठता है। वह समझ जाते हैं कि अब उन्हें भोजन मिलेगा। कर्मवीर बच्चों के लिए न केवल भोजन की व्यवस्था करते हैं, बल्कि उनके लिए शिक्षा का भी इंतजाम कर रहे हैं। वह यहां के 80 परिवारों का सहारा बने हैं। लॉकडाउन को देखते हुए उन्होंने इंदिरा कैंप समेत अन्य इलाकों में जरूरतमंद लोगों को राशन किट भी मुहैया करा रहे हैं।
दिल्ली में बिजली विभाग के लिए काम करने वाली कंपनी रिलायंस इलेक्ट्रिसिटी में एकाउंटेंट के रूप में कार्यरत कर्मवीर बताते हैं कि करीब तीन साल पहले मंडावली में तीन बच्चियों की डायरिया से मौत की खबर आई थी। बाद में पता लगा कि बच्चियों की मौत डायरिया से नहीं, बल्कि भूख से हुई थी। इस खबर ने उनके अंदर की संवेदना को जगा दिया। ऐसे में उसी वक्त उन्होंने सोच लिया कि बच्चों को भूख की तड़प से दूर रखने की जितनी कोशिश की जा सकती है, वह करेंगे। नौकरी में होने की वजह से कार्य क्षेत्र के आस पास के इलाकों में ही सेवा करने का निश्चय किया।

लंच टाइम में शुरू किया बच्चों को खाना बांटने का काम
40 वर्षीय कर्मवीर ने सबसे पहले 50 बच्चों के लिए रोज खिचड़ी तैयार कर बांटने का काम शुरू किया। कर्मवीर बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने अपने कार्यालय की कैंटीन का भी सहारा लिया। कैंटीन में वह सूखा राशन मुहैया कराते हैं और फिर जब खाना तैयार हो जाता है तो एक घंटे के लंच टाइम में उसे स्लम में बांटने के लिए निकल पड़ते हैं।
उन्होंने बताया, “जगजीतपुरा के पास मेरा कार्यालय था, ऐसे में वहां पड़ने वाले स्लम में ही भोजन बांटने की शुरुआत की। कंपनी प्रशासन को पता चला तो उन्होंने भी इस कार्य की सराहना की और कैंटीन वाले को सहायता के लिए बोल दिया। इसके साथ ही कंपनी ने दस किलोग्राम का राशन किट भी मुहैया कराया।“
कर्मवीर ने बताया कि जिन बच्चों को वह खाना खिलाते थे, उनमें से कई ऐसे थे, जो स्कूल नहीं जाते थे। उन्होंने बीते साल जनवरी से बच्चों को बेसिक चीजें पढ़ानी शुरू की। शुरूआत फुटपाथ पर पढ़ाने से हुई, इसके बाद वहीं एक पुल के नीचे बच्चों को पढ़ाने लगे। कुछ बच्चों को बेसिक शिक्षा देकर सरकारी स्कूल में दाखिल कराया। इस वक्त वह करीब 35 बच्चों को शिक्षा से जोड़े हुए हैं।
कर्मवीर ने बताया, “मैंने यह सेवा मिड डे मील की तर्ज पर शुरू की है। जिस तरह सरकारी स्कूलों में बच्चों को स्कूल लाने के लिए भोजन दिए जाने की व्यवस्था शुरू की गई थी, इसी तरह हमने भी बच्चों को भोजन कराने के साथ ही शिक्षा देने की शुरूआत की। “ इसी साल मार्च में उन्होंने कर्मवीर सेवा ट्रस्ट की भी शुरुआत की है। अब इसके जरिये वह अपने सेवा कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
पशु-पक्षियों का भी बन रहे सहारा
कर्मवीर को केवल इंसानों के बच्चों की भूख का ही ख्याल नहीं, बल्कि वह पशु-पक्षियों का भी सहारा बन रहे हैं। कर्मवीर के अनुसार दिल्ली के तुगलकाबाद फोर्ट एरिया में बड़ी संख्या में बंदर हैं। वह रोज छह-सात दर्जन केलों का वितरण उनके बीच करते हैं, ताकि उनकी भूख मिट सके। वह सड़कों पर घूमने वाली गायों के लिए चारा भी मुहैया कराने का काम करते हैं। कर्मवीर का मानना है कि इंसान तो अपनी परेशानी बोलकर बता सकता है, लेकिन पशु-पक्षियों को ईश्वर ने यह क्षमता नहीं दी है। ऐसे में इन बेजुबानों के प्रति अधिक संवेदनशील होने की जरूरत है। लॉकडाउन के दौरान उनके लिए चारा-पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। कर्मवीर बताते हैं कि वह कई स्वयंसेवी संस्थाओं के संपर्क में भी हैं, जो जरूरत पड़ने पर उनकी मदद लेती हैं।
कर्मवीर को उनके कर्म के लिए मिले हैं कई सम्मान

कर्मवीर को उनके कार्य के लिए सराहा गया है। कई संस्थाओं ने उन्हें पुरस्कृत और सम्मानित भी किया है। कर्मवीर को अभी तक यह सम्मान मिल चुके हैं-
* स्किल माइंड फाउंडेशन की ओर से डॉ. राजेंद्र प्रसाद शिक्षा सम्मान-2020
* कल्कि गौरव सम्मान-2020
* रेक्स कर्मवीर चक्र अवार्ड विजेता-2019
* गांधी पीस फाउंडेशन, नेपाल की ओर से पीस एंबेसडर
* डब्ल्यूएचओ की ओर से रिकार्ड आफ एचीवमेंट
* विवेकानंद वर्ल्ड पीस फाउंडेशन की तरफ से गुडविल एंबेसडर
* पावर इन मी फाउंडेशन की तरफ से पावर एंबेसडर
इसके अलावा भी कई पुरस्कार कर्मवीर को मिल चुके हैं। उनका कहना है कि अगर इंसान किसी का भला कर पाने की स्थिति में है तो उसे जरूर करना चाहिए। किसी की मदद करने के पश्चात दिल को तसल्ली होती है कि दिन में कुछ अच्छा किया।
लॉकडाउन में केवल दो दिन ऑफिस, बाकी दिन सेवा

कर्मवीर के अनुसार कोरोना संक्रमण की आशंका को देखते हुए जारी लॉकडाउन के दौरान उन्हें सप्ताह में केवल दो दिन ऑफिस जाना पड़ रहा है। इसके बावजूद वह अपना रुटीन पूरी तरह फॉलो कर रहे हैं। जो जिम्मेदारी उन्होंने अपने कंधों पर ली है, उसके निर्वहन में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं। आफिस न जाने की वजह से बचा हुआ अपना समय वह लोगों की सेवा में ही लगा रहे हैं।
कर्मवीर सिंह का कहना है कि दूसरे लोग जहां पैसे, भोजन और अन्य तरह से जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं, ऐसे में थोड़ी सी सहायता भी किसी दूसरे के लिए बड़ा सहारा बन सकती है। वह चाहते हैं कि जो भी जेब से सक्षम है, वह आर्थिक विषमता की वजह से परेशानी झेल रहे परिवारों के लिए सहारा बने, तभी सर्ववर्ग समभाव समाज में बन सकेगा।
यदि आप कर्मवीर सिंह के कार्य में मदद करना चाहते हैं तो उनके मोबाइल नंबर 83683 91136 पर संपर्क कर सकते हैं।
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