Placeholder canvas

किसान के बेटे ने किया बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर चलाने वाले रिमोट का अविष्कार

राजस्थान के बारन जिले के बमोरी कला गाँव में एक किसान के बेटे ने खेती के लिए गज़ब का अविष्कार किया है। योगेश नागर ने ट्रैक्टर को चलाने वाले रिमोट का अविष्कार किया है जिससे दूर बैठकर ट्रैक्टर को चलाया जा सकता है। इस अनौखे अविष्कार के साथ-साथ उन्होंने अबतक 30 अविष्कार किए हैं।

राजस्थान के बारन जिले के बमोरी कला गाँव में एक किसान के बेटे ने खेती के लिए गज़ब का अविष्कार किया है। योगेश नागर ने ट्रैक्टर को चलाने वाले रिमोट का अविष्कार किया है जिससे दूर बैठकर ट्रैक्टर को चलाया जा सकता है। इस अनौखे अविष्कार के साथ-साथ उन्होंने अबतक 30 अविष्कार किए हैं। इस युवा की ज़िन्दगी भी रोचक है।
  बेटर इंडिया ने राजस्थान के इस अनोखे आविष्कारक- योगेश नागर से बात की और जाना उनके अविष्कार और ज़िन्दगी के बारे में…
योगेश नागर की दसवीं तक पढाई गांव में ही हुई। बड़ी मेहनत से पढ़ते हुए योगेश बोर्ड परीक्षा में गांव के टॉपर रहे तो आगे की पढाई के लिए पास के ही जिले कोटा चले गए। वहां 12 वीं की पढाई करते वक़्त योगेश का मन पढ़ने से ज्यादा कुछ न कुछ नया बनाने में लगा रहता था, उस समय वे आर्मी के लिए एक ऐसा वाहन बनाने में जुट गए जिसे आंधी-तूफान या अँधेरे जैसी स्थिति में कभी भी कहीं से भी चलाया जा सके, इस खोज में जुटे रहने की वजह से उनके अंक परीक्षा में कम आए लेकिन उन्होंने एक साथ कई अविष्कार कर डाले।
अब तक 30 अविष्कार कर चुके योगेश बताते है, “मैं 7 वीं कक्षा से अविष्कार कर रहा हूँ, भाप से जुड़े कई अविष्कार किए। घर की स्थिति ठीक नहीं थी तो अविष्कारों में लगने वाले सामान के लिए पैसा कम मिल पाता था। फिर भी मेरा मन कुछ न कुछ खोजने में लगा रहता है। जब भी कोई दिक्कत सामने होती है, इसे लेकर हर रात सोने से पहले सोचने लगता हूँ और कई दिनों में कुछ न कुछ नया आइडिया मेरे दिमाग में आ जाता है।”

महज 19 साल के योगेश अभी बी एस सी प्रथम वर्ष के छात्र हैं। 

योगेश के पिताजी गांव के खेतों की जुताई करने और अन्य कृषि कार्यों के लिए ट्रैक्टर चलाते हैं। खेतों की बुआई के सीजन में रात-रात भर ट्रैक्टर चलाना पड़ता है, ताकि सबकी बुआई समय पर हो। इसी तरह फसलों की कुटाई के वक़्त दिन-रात ट्रैक्टर की सीट पर ही गुजरते हैं।
घर की स्थिति बताते हुए योगेश कहते है,  “ट्रैक्टर हमने लिया था पर हमारा नहीं था। 2004 में पिताजी ने मामा की जमीन गिरवी रखकर ट्रैक्टर लोन पर लिया था। जिसकी कीमत चुकाने के लिए दिन-रात जुटे रहते थे।”

ट्रैक्टर खेतों में चलाना कई तरह की चुनौतियों से भरा होता है, लगातार ट्रैक्टर खेतों के ऊँचें-नीचे चढाव-उतराव पर चलाने से शरीर के कई हिस्सो में परेशानी होने की सम्भावना होती है।

योगेश के पिता
यही योगेश के पिताजी के साथ हुआ। लगातार ट्रैक्टर चलाने की वजह से उन्हें पेट में दर्द की शिकायत होने लगी।
“पिताजी पिछले 30 साल से ट्रैक्टर चला रहे हैं, दिन रात ट्रैक्टर की सीट पर बैठने से पेट दर्द की शिकायत हुई और डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी। पर पिताजी नहीं माने और वे ट्रैक्टर चलाते रहे, क्योंकि घर की जरूरतें ऐसी थीं कि वे मजबूर थे।”
डॉक्टर की सलाह न मानने के कारण योगेश के पिताजी की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। तब योगेश ने इसके लिए कोई रास्ता निकालने की सोची और जुट गए। योगेश ने ट्रैक्टर को बड़े ध्यान से देखना और समझना शुरू किया। दो दिन तक ट्रैक्टर को गहराई से समझने के बाद योगेश अपने काम पर जुट गए। उनका मकसद था पिताजी को ट्रैक्टर की सीट से हटाकर सुरक्षित करना और उसके लिए उन्हें ऐसा यन्त्र तैयार करना था जो बिना ड्राईवर के ट्रैक्टर को चला सके।
“मैंने दो दिन ट्रैक्टर को ध्यान से देखा और फिर रिमोट का मॉडल बनाने में जुट गया। 2004 मॉडल के ट्रैक्टर में तब पॉवर ब्रेक जैसे फंक्शन भी नहीं थे, फिर भी मैंने पिताजी से 2000 रूपये लिए और उनके लिए एक सेम्पल मॉडल बनाकर उन्हें दिखाया। पिताजी को पहले भरोसा नहीं था पर फिर मॉडल देखकर उन्हें पसन्द आया और उन्होंने रिमोट बनाने के लिए पैसा मंजूर कर दिया।”
पिताजी से 50 हज़ार रूपये लेकर योगेश ने अपना काम शुरू कर दिया। रिमोट मे लगने वाले बहुत से पार्ट उन्होंने घर पर ही बनाए।

इस वर्ष जून में ही उन्होंने पिताजी को सेम्पल मॉडल बनाकर दिखा दिया था; फिर अगले दो महीनों में उन्होंने पूरा रिमोट बनाकर ट्रैक्टर चला दिया।

 रिमोट बनाते वक़्त उन्होंने ध्यान रखा कि उसका मॉडल ठीक वैसा ही हो जैसा ट्रैक्टर में होता है।
“मेरे लिए चुनौती थी कि इस रिमोट को पिताजी चलाएंगे कैसे? इसलिए मैंने उसमें सबकुछ उसी तरह रखा जैसे ट्रैक्टर में होता है। रिमोट में ट्रैक्टर की तरह स्टेयरिंग है, क्लच, ब्रेक और गियर उसी तरह बनाने की कोशिश की है, ताकि किसान को चलाने में दिक्कत न आए।”
रिमोट में सेटेलाइट से ट्रैक्टर को कनेक्ट किया गया है। और डेढ़ किलोमीटर की रेंज तक ट्रैक्टर को इस रिमोट से चलाया जा सकता है। किसान खेत की मेंड़ पर बैठकर आराम से खेत की जुताई कर सकता है।
योगेश के गांव में बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर चलता देख लोग कौतूहल से भर गए। उन्होंने अपने इस मॉडल का वीडियो बनाकर यूट्यूब और व्हाट्सएप पर डाला तो वायरल हो गया। उसके बाद उनके पास कई किसान आए जिन्होंने इस तकनीक को अपने ट्रैक्टर में लगाने की मांग योगेश के सामने रखी।
रिमोट लगाने की कीमत के सवाल पर योगेश कहते हैं, “जैसे जैसे लोगों को पता चल रहा है, वो मेरे पास आ रहे हैं। अभी तक करीब 50 से 60 किसान मेरे पास आए हैं, जो अपने ट्रैक्टरों में ये तकनीक लगवाना चाहते हैं। मैं कोशिश कर रहा हूँ कि उन सब की मदद कर पाऊँ और इसे सस्ती से सस्ती कीमत में किसानों तक पहुंचाया जा सके”
वैसे योगेश का मानना है कि अगर इस पर थोडा और रिसर्च किया जाए तो इसकी कीमत 30 हज़ार रुपए तक आ सकती है। योगेश के पास आए किसानों ने इस रिमोट को लगाने के लिए एक लाख रूपये तक खर्च करने की बात कही है।
योगेश के पिता बाबूराम नागर खुश हैं और अपने बेटे पर गर्व करते हुए कहते हैं,”बेटे ने हमारे दर्द की वजह से इसका अविष्कार किया पर अब ये हमारे जैसे और भी किसान भाइयों के काम आएगा। इस बात की हमें ख़ुशी है और अपने बेटे पर गर्व है।”

योगेश का सपना है कि वे आर्मी के लिए एक अनोखा वाहन बनाएं।

योगेश अपनी 11 वीं कक्षा से आर्मी के लिए एक अनोखा वाहन डिजाइन कर रहे हैं, जो किसी भी मुसीबत में लड़ने के लिए तैयार हो। अब तक 30 से अधिक अविष्कार कर चुके योगेश एंटी-थेप्ट मशीन भी बना चुके हैं, जो आपके घर में किसी के घुसने की जानकारी आपको दुनियां के किसी भी कोने में दे सकती है। इसके साथ ही योगेश ने पॉवर सेवर नाम से एक उपकरण बनाया है जो सेटेलाइट से कनेक्ट होने की वजह से सभी बिजली उपकरणों को बन्द या चालू कर सकता है। इससे खेतों में लगे ट्यूबवेल भी घर बैठे चलाए जा सकते हैं, और खेत में बैठकर घर में जलती लाइट को भी बुझाया जा सकता है।
अपने अविष्कारों  के बारे ने बात करते हुए योगेश कहते हैं कि, “अब तक मैंने कुल 30 अविष्कार किए हैं; कुछ और अविष्कारों पर काम जारी है। मुझे जो भी समस्या अपने आसपास दिखती है, उसे मैं पहले गौर से समझता हूँ, फिर उसके समाधान के लिए 8 से 9 दिन रिसर्च करता हूँ और फिर कुछ ऐसा निकलता है जो अविष्कार बन जाता है। मुझे अविष्कारों में लगने वाले सामान के लिए पैसे की जरूरत रहती है जो नहीं मिल पाता। तो अगर सरकारी या निजी सहयोग मिले तो मैं अपने सपने को साकार कर पाउँगा और देश के लिए मेहनत से जुटकर कुछ योगदान दे पाउँगा।”
द बेटर इंडिया की ओर से योगेश के अविष्कार पर उन्हें बधाई और ऐसे युवाओं को सहयोग करने के लिए आप से निवेदन करते हैं कि जो सम्भव सहायता हो सके आप करें। आप अगर योगेश तक अपनी कोई भी सहायता पहुँचाना चाहते हैं, तो उनके इस नम्बर 8239898185 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें manabi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter (@thebetterindia) पर संपर्क करे।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X