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फेसबुक, व्हाट्सअप के ज़रिए खड़ा किया बिज़नेस, हर महीने कमाती हैं 4 लाख रुपये!

साल 2014 में अभिलाषा ने एक फेसबुक ग्रुप में दाल-बाटी की पोस्ट डाली थी और इस एक पोस्ट से उन्हें 40 ऑर्डर मिले। वह कहती हैं कि आज भी उन्हें 90% ऑर्डर्स फेसबुक और व्हाट्सअप के ज़रिए मिलते हैं!

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फेसबुक, व्हाट्सअप के ज़रिए खड़ा किया बिज़नेस, हर महीने कमाती हैं 4 लाख रुपये!

राजस्थान यानी कि राजाओं की धरती, अपने नाम की ही तरह भारत के इस राज्य की संस्कृति भी बहुत ही भव्य और परिपूर्ण है। आप टूरिस्ट जगहों को छोड़ कभी राजस्थान के छोटे-छोटे इलाकों की रजवाड़ी गलियों की सैर पर निकलेंगे तो पता चलेगा कि यह राज्य कितनी विविधता से भरा हुआ है।

जितनी विविध यहाँ की बोली-चाली और रहन-सहन है, उतना ही विविध है यहाँ का खाना-पीना। बाजरे की रोटी से लेकर राजशाही पकवानों तक- हर एक व्यंजन की अपनी कहानी है। एक ठेठ राजस्थानी परिवार की पहचान है कि उनके यहाँ अचार से लेकर छप्पन तरह की मिठाइयों तक, सभी कुछ घर में बनाया जाता है।

एक ठेठ मारवाड़ी संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी अभिलाषा जैन ने भी अपने घर में बचपन से ही अपनी माँ, चाचियाँ और दादी को घर में एक से बढ़कर एक खाना पकाते हुए देखा था। सभी भाई-बहनों में सबसे बड़ी अभिलाषा हमेशा से ही घर में सबकी लाडली रहीं, खासतौर पर अपने पिता की।

"मेरी पढ़ाई-लिखाई को लेकर भी मेरे पापा और दादाजी काफी सजग थे। मुझे अजमेर के मशहूर सोफ़िया स्कूल एंड कॉलेज में पढ़ाई के लिए भेजा गया। वहां से जब भी मैं घर आती तो मेरा ज़्यादातर वक़्त माँ और चाचियों के साथ रसोई में बीतता। मुझे खाना बनाने का और सबको खिलाने का बहुत शौक है," उन्होंने बताया।

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Abhilasha Jain, Founder of Marwadi Khana

शादी के बाद अभिलाषा कुछ वक़्त के लिए अपने पति के साथ स्कॉटलैंड शिफ्ट हो गईं। वह बताती हैं कि स्कॉटलैंड में उन्होंने जो वक़्त बिताया, उसमें उनकी पाक कला और निखरी। यहाँ पर देसी खाने के बहुत विकल्प नहीं थे और ऐसे में, शाकाहारी मारवाड़ी खाना मिलना तो और दूर की बात है।

यहाँ पर अभिलाषा हर दिन खुद कुछ न कुछ नया बनातीं और उनके जायके की खुशबू और स्वाद सिर्फ उनके अपने घर तक सीमित नहीं था। झट से सबको अपना बना लेने वाली अभिलाषा की बनाई हर एक डिश उनके आस-पड़ोस के लोगों और उनके पति के दोस्तों तक ज़रूर पहुँचती।

जब भी वह कुछ खास बनातीं तो खुद ही फ़ोन करके अपने दोस्तों को और जानने वालों को खाने पर बुला लेतीं। अभिलाषा कहती हैं, "मुझे कभी भी खाना बनाने में हिचक महसूस नहीं होती फिर चाहे सिर्फ 4 लोगों के लिए हो या 40 के। मैंने अपने घर में सबको शौक से खाते और खिलाते देखा है और शायद, इसलिए मुझे खुद भी लोगों को खाना खिलाने का बहुत शौक है।"

कुछ वक़्त स्कॉटलैंड रहकर अभिलाषा और उनके पति आशीष भारत लौटे। साल 2010 में उन्होंने गुरुग्राम शिफ्ट किया। यह वह वक़्त था जब सोशल मीडिया पर लोग बहुत एक्टिव हो रहे थे। अभिलाषा ने भी जिज्ञासावश अपना एक फेसबुक पेज बनाया- मारवाड़ी खाना और वह घर में जो भी बनातीं, वह इस पेज पर डालतीं थीं।

साथ ही, उन्होंने कई सोशल मीडिया ग्रुप्स जॉइन किए और यहां भी वह लगातार अपने खाने के बारे में पोस्ट करती थीं। उनकी हर एक पोस्ट पर लोगों की बहुत अच्छी प्रतिक्रिया होती। अभिलाषा कहती हैं कि साल 2014 में उन्होंने एक बार अपने पेज पर दाल-बाटी की पोस्ट डाली।

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She makes authentic and delicious marwadi dishes

"मैंने पोस्ट किया कि मैं दाल-बाटी बना रही हूँ और अगर किसी को चाहिए तो वे आर्डर दे सकते हैं। उन्हें उनकी इस एक पोस्ट के माध्यम से 40 ऑर्डर मिले। जब मैंने इन सभी लोगों को दाल-बाटी बनाकर डिलीवर की तो सब से बहुत ही अच्छा फीडबैक मिला और इसके बाद मुझे समझ में आ गया कि मुझे इसी राह पर आगे बढ़ना है," उन्होंने बताया।

पिछले 5 सालों में अभिलाषा को लगभग 90% ऑर्डर्स फेसबुक, व्हाट्सअप और कॉल्स के ज़रिए मिले हैं। उन्होंने कभी भी अपने काम की कोई स्पेशल मार्केटिंग नहीं की बल्कि जिसने भी उनके यहाँ से एक बार ऑर्डर किया है वही दूसरे ग्राहकों को उनसे जोड़ता है।

उनके मेन्यू में रेग्युलर डिश जैसे कि दाल बाटी, कढ़ी कचौड़ी, गट्टे की सब्ज़ी आदि के अलावा कुछ स्पेशल आइटम भी होते हैं। त्यौहारों के हिसाब से वह खास मिठाइयों के ऑर्डर भी लेती हैं, जैसे फ़िलहाल होली के लिए गुजिया के ऑर्डर्स उन्हें मिल रहे हैं। शादी और अन्य आयोजनों में भी उन्हें मिठाइयों के ऑर्डर मिलते हैं।

"मैंने अपनी दादी और अपनी सास से खास तौर पर प्रेगनेंसी के बाद महिलाओं के लिए बनने वाले लड्डुओं की रेसिपी सीखी है। मैं ऑर्डर पर ये लड्डू भी बनाती हूँ जो शायद ही कहीं और मिलें," उन्होंने बताया।

उनकी कुकिंग की सबसे अलग बात यही है कि वह अपना देसी और पारंपरिक शुद्ध, सात्विक खाना पकाने में विश्वास रखती हैं। बदलते वक़्त के साथ हम जिस खाने के स्वाद और रेसिपी को भुलाते जा रहे हैं, अपनी पाक कला के ज़रिए वह उन व्यंजनों को सहेज रहीं हैं।

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She has been invited to different events

वह आगे कहती हैं कि उन्होंने शुरू के पांच सालों तक अपने घर से खाना बनाया और लोगों को पहुंचाया है। छह महीने पहले उन्होंने घर से बाहर एक बेस किचन ली है। उनकी बेटी दसवीं कक्षा में है और उनके काम के चलते उसकी पढ़ाई पर कोई असर न पड़े, इसलिए उन्होंने यह फैसला किया।

"पहले पांच साल मैंने कभी भी इन्वेस्टमेंट या फिर प्रॉफिट के बारे में नहीं सोचा। मेरे लिए खाना बनाना मेरा पैशन है और इसलिए बिज़नेस की बातें ज्यादा प्रभावित नहीं करतीं। लेकिन मुझे अब इन सारी चीज़ों पर ध्यान देना होगा क्योंकि मैंने किचन लेने के लिए निवेश किया है," उन्होंने आगे कहा।

अभी भी उनकी प्राथमिकता उनके खाने की गुणवत्ता और स्वाद है। अभिलाषा कहती हैं कि उनका ध्यान पैसे कमाने से ज्यादा खाने की गुणवत्ता और स्वाद पर रहता है। वह नहीं चाहतीं कि बिज़नेस के फायदे के चक्कर में वह अपना पैशन भूल जाएं।

आज उन्हें दिन के 5 से लेकर 50 ऑर्डर तक आते हैं और महीने में उनकी आय 4 से 5 लाख रुपये हो जाती है। उनके स्टाफ में 5 लोग काम कर रहे हैं और कई डिलीवरी पार्टनर्स हैं। वह बताती हैं कि उनके यहाँ से ऑर्डर करने वाले लोग बहुत बार आकर अपना खाना ले जाते हैं और बहुतों के यहाँ वह डिलीवरी पार्टनर्स से भिजवाती हैं। ग्राहकों को पहले ही बता दिया जाता है कि होम डिलीवरी के लिए उनसे अलग से पैसे लिए जाएंगे।

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अभिलाषा के रेग्युलर मेन्यू के अलावा, उनके लड्डू काफी मशहूर हैं। उन्होंने बताया कि उनके यहाँ से किसी ने लड्डू ऑर्डर किए थे और कुछ वक़्त बाद उन्हें उस ग्राहक की कॉल आई। वह कहती हैं, "जो लड्डू उन्होंने हमारे यहाँ से लिए थे, वह बचपन में उन्होंने अपनी नानी के हाथ के खाए थे। पर कुछ दिन पहले उनकी नानी बहुत बीमार थीं और कई दिनों से कुछ खा नहीं पा रहीं थीं। उनकी नानी ने दुनिया से जाने से पहले अभिलाषा के हाथ से बने लड्डू खाए और उन्हें अच्छे लगे।"

वह कहती हैं कि इस तरह के किस्से उनका हौसला बढ़ाते हैं। इसके अलावा, उनके काम के लिए उनकी सबसे बड़ी ताकत उनके पति और बेटी हैं। उनकी बेटी हर छोटे-बड़े फैसले में उनका साथ देती है। अभिलाषा अपने काम के साथ-साथ अपनी बेटी की ज़िम्मेदारी भी बहुत ही अच्छी तरह निभा रहीं हैं।

अंत में अभिलाषा अन्य गृहिणियों के लिए सिर्फ यही संदेश देती हैं, "मेरे पापा कहते थे कि जब भी आप कुछ नया करते हैं तो उसे ठीक से चलने में और संभलने में 3 साल लगते हैं। इसलिए आपको धैर्य से काम लेना चाहिए। बाकी कुछ भी आसान नहीं है पर अगर आप पूरे दिल और मेहनत से करेंगे तो बिल्कुल सफल होंगे।"

अभिलाषा जैन के हाथों बने मशहूर लड्डू ऑर्डर करने के लिए आप उन्हें [email protected] पर ईमेल कर सकते हैं!

संपादन - अर्चना गुप्ता


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