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घर की छत को बनाया खेत, थर्मोकॉल के डिब्बों में उगाये 500 से अधिक पेड़-पौधे!

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घर की छत को बनाया खेत, थर्मोकॉल के डिब्बों में उगाये 500 से अधिक पेड़-पौधे!

किसान की आवाज के आज के अंक में आपको हम एक अनोखे शहरी किसान से मुलाकात कराने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने छत को ही खेत में तब्दील कर दिया है। पेड़-पौधों के शौकीन इस किसान ने अपने छत के 5500 स्क्वायर फुट एरिया को एक सुंदर खेत का रुप दे दिया है।

घर की छत पर पेड़-पौधों का एक संसार किसी को भी अपनी ओर खींच लेता है। हम भी इस अनोखे संसार की ओर खींचे चले गए और हमारी मुलाकात हुई इस संसार को बसाने वाले अद्भुत रचयिता से!

बिहार के पूर्णिया जिला मुख्यालय स्थित लाइन बाजार के निवासी गुलाम सरवर वैसे तो पेशे से बीमा अभिकर्ता (एजेंट) हैं लेकिन उनके भीतर एक किसान भी छुपा है।

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गुलाम सरवर का पीपल का बोंसाई पौधा

गुलाम सरवर मूल रूप से पूर्णिया जिला के डगरुआ प्रखंड के कन्हरिया गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया-

“ मेरे दादा डॉ.अब्दुल जब्बार खान डॉक्टर थे, लेकिन उनकों पेड़-पौधों से बहुत ज्यादा लगाव था। 70 के दशक में यह पूरा इलाका आम का बागान था। धीरे-धीरे आम बागान खत्म हो गया। घर के पीछे जो जमीन थी, उसी पर पापा मोहम्मद वाली खान पेड़ और कलम लगा कर रखते थे। बचपन में उनको देखते-देखते मुझे भी पेड़ों से प्यार होने लगा और उसके बाद मैंने भी पेड़-पौधों के बीच समय बिताना शुरु कर दिया। “

गुलाम सरवर बताते हैं- “खेती –किसानी से लगाव रहा है। पारिवारिक पृष्ठभूमि हमें गांव से जोड़ती है लेकिन गांव में अब हम रहते नहीं हैं इसलिए शहर में जहां हैं, वहीं हमने अपने अंदाज से खेती शुरु कर दी।”

गुलाम सरवर ने छत पर जो खेत तैयार किया है, उसमें दुर्लभ प्रजाति के मेडिसिनल प्लांट के साथ-साथ सपाटू, शहतूत, 32 मसालों की खुशबू वाला ऑल स्पाइस, नींबू, शो प्लांट, गुलाब के साथ-साथ चायनीज अमरुद समेत हर मौसम की सब्जी आपको मिल जाएगी।

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बड़ा नींबू

गुलाम सरवर बताते हैं कि बाजार में जो सब्जी मिलती है, उसमें अधिकांश में रासायनिक खाद का इस्तेमाल होता है लेकिन उनकी बागवानी में सबकुछ जैविक तरीके से उपजाया जाता है। उन्होंने बोनसाई तकनीक के सहारे कई पुराने पौधों को छत पर संजोकर रखे हैं।

पेड़ों के अलग-अलग प्रजाति पर बात करते हुए गुलाम सरवर बताते हैं कि मैं जहां भी जाता हूं, वहां से कोई न कोई पेड़ जरूर लाता हूं। फिर उसे कलम कर नया पेड़ बनाता हूं। गुलाम सरवर बताते हैं कि उन्हें विरासत में कलम बनाने और पेड़ को बोनसाई बनाने का गुण मिला है। वे खुद ही सभी पेड़ों का कलम बनाकर नए पेड़ तैयार करते हैं।

उनकी छत पर आज भी 20 साल पुरानी तुलसी, पीपल, पाखर समेत अन्य पौधे हैं, जिन्हें उन्होंने संरक्षित कर अपने छत पर सजा कर रखा है।

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गमले में किसानी करिए

गुलाम सरवर कहते हैं कि यदि आप चाहें तो अपने कम से कम चार सदस्यीय परिवार के लिए गमले में ही सब्जी उगा सकते हैं। वे बताते हैं कि घर के पुराने डिब्बे में मिट्टी भरकर हम धनिया का पत्ता उतना तो उगा ही सकते हैं, जितना हमारे प्लेट के लिए चाहिए। इसके अलावा हरी मिर्च और नींबू तो आराम से गमले में उगाया जा सकता है। गुलाम सरवर कहते हैं कि गमले में किसानी करने का एक अलग ही आनंद है। उनका मानना है कि इससे हम प्रकृति के और नजदीक पहुंचे हैं।

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गुलाम सरवर के छत पर फूल-पौधों की दुनिया

'किचन गार्डेन टिप्स'

गुलाम सरवर कहते हैं कि थर्मोकॉल के डिब्बों में कोई भी सब्जी आराम से उगाई जा सकती है। करेला हो या फिर पपीता या फिर भिंडी या गोभी, हर कुछ हम अपने छत या बालकनी में उगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बस ध्यान यही रखना है कि उस जगह तक धूप पहुंचती हो। उनका कहना है कि इस तरह की खेती में लागत कुछ भी नहीं है। उन्होंने बताया कि 20 रुपये तक में एक थर्मोकॉल का बड़ा डिब्बा किसी दवाई दुकान में मिल जाता है और फिर में उसमें मिट्टी डालकर कोई भी सब्जी का पौधा लगा सकते हैं या फिर कोई फल का पौधा भी लगा सकते हैं। उनका कहना है कि बस यह ध्यान रखना चाहिए कि साल में एक बार उस गमले की मिट्टी बदल दी जाए।

तोहफे में एक पौधा दें

गुलाम सरवर का कहना है कि जन्मदिन आदि अवसरों पर शहर के लोगों को उपहार में पौधा देना चाहिए ताकि हर घर में हरियाली दिखे। उनका कहना है कि गमले में ही सही लेकिन घर में पौधा तो होना ही चाहिए। वे बताते हैं कि आजकल के भाग दौड़ की जिन्दगी में लोगों का बागवानी से ध्यान हट गया है। लोग खाली पड़ी जमीन का व्यावसायिक इस्तेमाल करने की सोचते हैं। लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए वे हर साल 500 से ज्यादा कलम किया हुआ पेड़ मुफ्त में देते हैं ताकि वे पर्यावरण के प्रति जागरूक हों।

गुलाम भाई के 5500 स्क्वायर फ़ुट के छत पर गमलों की दुनिया है। कुल जमा 600 गमला, जिसमें फूल-पत्ती, फल-सब्ज़ी सबकुछ है। गुलाम भाई से जब बातचीत हुई तो पता चला कि वे  हर साल २०० नींबू  के पौधे बाँटते हैं। छत पर अपनी बसाई बाग़वानी के फल-फूल-सब्ज़ी भी  वे बाँटते ही हैं। उनका छत मुझे बता रहा था कि किसान हर एक के भीतर बसा रहता है, बस उसे स्पेस देने की ज़रूरत है।


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