ढाई साल पहले शुरू की टेरेस गार्डनिंग, अब अपने अनुभव से 500 किसानों को किया प्रशिक्षित

अंजलि मलिक का मानना है कि अगर हमारे पास 'फैमली फार्मर' है तो हमें फैमली डॉक्टर की ज़रूरत नहीं है। हम अच्छा खाएंगे तो बीमार नहीं होंगे और डॉक्टर की ज़रुरत नहीं होगी।

Delhi woman

किसी ने खूब कहा है, जहाँ चाह होती है वहीं राह होती है। अगर किसी काम को करने का संकल्प ले लिया जाए तो यकीन मानिए वह खुद बा खुद पूरा हो जाता है। ऐसा ही एक संकल्प लिया था दिल्ली की रहने वाली अंजलि मलिक ने।

वह हमेशा से चाहती थीं कि उनका खाना केमिकल मुक्त हो। अब चूँकि बाज़ार की सब्जियों पर तो भरोसा किया नहीं जा सकता इसलिए वह घर पर ही केमिकल मुक्त सब्जियाँ उगाने के लिए खाली जगह की तलाश में थीं। उनकी यह तलाश ख़त्म हुई उनके घर की छत पर। ढाई साल पहले अंजलि ने अपना टैरेस गार्डन बनाया और नैचुरल तरीके से सब्जियाँ उगानी शुरु कीं। आज वह न केवल लोगों को टैरेस गार्डनिंग के लिए प्रेरित कर रही हैं, बल्कि कई लोगों के घरों की छत और बालकनियों में टैरेस गार्डन स्थापित करने में मदद भी कर रही हैं।

terrace gardening tips
अंजलि मालिक

अंजलि मलिक करीब 45 सालों से दिल्ली में रह रही हैं। स्कूल की प्रिंसिपल रह चुकी अंजलि ने महसूस किया कि हमारे जीवन में धीरे-धीरे केमिकल गहरी पैठ बनाता जा रहा है। रोज़मर्रा की ज़रूरत के सामान से लेकर खाने-पीने की चीज़ों तक, हर चीज़ में केमिकल का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है।

वह कहती हैं, “कैंसर, डॉयबटीज़, शुगर, थायरॉयड जैसी बीमारियाँ तेज़ी से फैल रही हैं। इन बीमारियों का सबसे बड़ा कारण केमिकल है। खाना, पानी और हवा, इंसान की तीन बुनियादी ज़रुरतें हैं और ये तीनों ही तेजी से प्रदूषित हो रही हैं। जब तक हमारा खाना शुद्ध नहीं होगा, हम इस दिशा में सुधार नहीं कर पाएँगे।”

कैसे शुरू हुआ था यह सफर

terrace gardening tips
अंजलि का टेरेस गार्डन

प्रकृति और हरियाली की तरफ अंजलि का झुकाव हमेशा से ही रहा। वह एक संस्था से जुड़ीं और एग्रीकल्चर कोर्स किया। यहाँ उन्होंने टैरेस गार्डनिंग पर फोकस किया। धीरे-धीरे उन्होंने जगह-जगह यह कोर्स ऑर्गेनाइज़ करना शुरु किया और फिर वह ट्रेनर बन गईं।

अंजलि कहती हैं, "केमिकल मुक्त खाना खाने के लिए इसे नैचुरल तरीके से उगाना ज़रूरी है। शहरों में रहने वालों के पास घर की छत और बालकनी है जो खाली है। यहाँ पर सही तरीकों का इस्तेमाल करके एक परिवार के लिए पर्याप्त सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं।"

अंजलि के टैरेस गार्डन को देख कर कई लोग टेरेस गार्डनिंग की ओर आकर्षित हुए हैं। अंजलि ने उन्हें ट्रेनिंग देने का मन भी बनाया है। अब वह न केवल लोगों को टैरेस गार्डनिंग सिखा रही हैं बल्कि लोगों के टैरेस गार्डन भी सेट अप करवा रही हैं। अब तक वह करीब 60 टैरेस गार्डन तैयार करवा चुकी हैं और सैकड़ों लोगों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं।

10X6 फीट बड़े ग्रो बैग के इस्तेमाल से हुआ फायदा

terrace gardening tips
इन्हीं ग्रो बैग्स में गार्डनिंग करती हैं अंजलि

पौधे उगाने के लिए अंजलि ग्रो बैग का इस्तेमाल करती हैं जिनका आकार करीब 10X6 फीट होता है। वह कहती हैं कि इसका सबसे बड़ा फायदा है कि इसमें एक साथ ही कई तरह ही सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं। क्लाइंबर, पत्तेदार सब्जियाँ और छोटे पौधों को ग्रो बैग में इस तरह से लगाया जाता है कि इसमें 15-16 किस्म के पौधे आसानी से उगाए जाते हैं। टैरेस गार्डन को लेकर आमतौर पर एक डर छत पर सीलन लगने का होता है। लेकिन अंजलि मलिक कहती हैं कि सीलन की कोई समस्या नहीं होती है क्योंकि ग्रो बैग लगाते समय कई तरह की सावधानियाँ बरती जाती हैं। वह बताती हैं, “हमने छत पर एक ड्रेनेज सिस्टम लगाया है। फोम बांध कर एक पाइप अंदर डाला जाता है और उसे एक नाले से कनेक्ट कर दिया जाता है।” इसके अलावा, नैचुरल फार्मिंग में पौधों में पानी उतना ही डाला जाता है जितनी मिट्टी को ज़रुरत होती है। इससे 80% पानी की बचत भी होती है और ज्यादा पानी नहीं डाले जाने के कारण उसके बाहर निकलने का कोई डर नहीं रहता है। ज़्यादा सावधानी के लिए कुछ लोग थर्मोकोल लगा लेते हैं या कई लोग लोहे के बेड भी बना कर लगाते हैं।

अंजलि ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरीके से टैरेस गार्डनिंग की ट्रेनिंग देती हैं। ट्रेनिंग में कई बातों पर फोकस किया जाता है, जैसे-

publive-image
लोगों को ट्रेनिंग देतीं अंजलि

मिट्टी – अंजलि कहती हैं, “मिट्टी हमारी माँ है। अगर माँ बीमार है तो बच्चा भी बीमार ही होगा।” इसलिए मिट्टी को समझना और उसे स्वस्थ बनाना बेहद ज़रुरी है।

बीज – कोर्स में बीज के बारे में भी विस्तार से बताया जाता है और देसी बीज के इस्तेमाल पर ही जोर दिया जाता है।

पानी – अंजलि कहती हैं कि अक्सर पौधे पानी की कमी से नहीं बल्कि ज़्यादा पानी देने से खराब हो जाते हैं। टैरेस गार्डनिंग में दिलचस्पी रखने वालों को विस्तार से बताया जाता है कि किस तरह के पौधे के लिए कितने पानी की ज़रुरत होती है।

Delhi woman
कुछ ऐसा दिखता है अंजलि का टेरेस

कीट प्रबंधन (पेस्ट मैनेजमेंट) – अंजलि के मुताबिक किसी भी तरह की फार्मिंग में पेस्ट मैनेजमेंट बहुत ज़रुरी है। आमतौर पर लोग कीट को खत्म करने के लिए केमिकल वाले कीटनाशक दवाएँ डालना शुरु कर देते हैं। लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि कुछ कीट दोस्त भी होते हैं जो प्रकृति ने हमें फार्मिंग के लिए दिए हैं। अगर केमिकल वाले कीटनाशक से उन्हें हम खत्म कर देते हैं तो मिट्टी स्वस्थ नहीं रहती। कोर्स में कीट मैनेजमेंट के बारे में भी बताया जाता है।

अंजलि कहती हैं कि हमारे रसोईघर का वेस्ट यानी फेंकने वाली चीज़ें हमारे किचन गार्डन के लिए बढ़िया होती है। सब्जियों के छिलकों से लेकर चावल का पानी तक, हर चीज़ का इस्तेमाल किचन गार्डनिंग या टैरेस गार्डनिंग के लिए किया जाता है।

और बन गई बिजनेस चेन

Delhi woman
अंजलि करीब 2000 परिवारों का संपर्क किसानों से करा चुकी हैं।

इसके अलावा अंजलि लोगों को प्राकृतिक तरीके से खाद और कीटनाशक बनाना भी सिखाती हैं। यह जानना काफी दिलचस्प है कि अंजलि से ट्रेनिंग लेने वाले केवल सब्जियाँ उगाना ही नहीं सीखते हैं बल्कि कई लोग एक बिजनेस चेन का हिस्सा बन जाते हैं। कई लोग ट्रेनिंग के बाद देसी बीज, कंपोस्ट, ग्रीन मैनयोर, एंज़ाइम बनाने के काम में लग जाते हैं और उसे बेचते हैं। अंजलि इन चीज़ों को बनाने वाले लोगों का संपर्क गार्डनिंग में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के साथ साझा करती हैं, जिससे एक बिजनेस चेन भी चलता है।

फैमली फार्मर है तो फैमली डॉक्टर की ज़रुरत नहीं

gardening tips
थोड़ी से मेहनत से सही तरीके से घर पर अच्छा सब्जी उत्पादन हो सकता है।

टैरेस गार्डनिंग के साथ अंजलि किसानों को भी ट्रेनिंग देती हैं। अंजलि अब तक 500 से ज्यादा किसानों को नैचुरल फार्मिंग की ट्रेंनिंग दे चुकी हैं। साथ ही वह किसानों को डायरेक्ट मार्केट दिलाने में भी मदद कर रही हैं। दरअसल अंजलि ‘फैमली फार्मर’ कॉन्सेप्ट पर काम रही हैं। वह कहती हैं कि अगर हमारे पास फैमली फार्मर है तो हमें फैमली डॉक्टर की ज़रूरत नहीं है। हम अच्छा खाएंगे तो बीमार नहीं होंगे और डॉक्टर की ज़रुरत नहीं होगी। इस कॉन्सेप्ट के तहत अंजलि किसानों और ग्राहकों के बीच सीधा संपर्क कराती हैं। इनके बीच कोई बिचौलिया नहीं होता है। किसान अपने खेतों में केमिकल मुक्त सब्जियाँ उगाते हैं और ग्राहकों को सीधा बेच सकते हैं। इससे लोगों को शुद्ध सब्जियाँ मिलती हैं और किसानों को भी अच्छी कीमत मिल जाती है। अब तक अंजलि करीब 2000 परिवारों का संपर्क किसानों से करा चुकी हैं। प्रति किसान कुछ परिवार निर्धारित किए जाते हैं जो उनकी ज़रूरत के अनुसार खेतों की उपज बेचते हैं। वह कहती हैं, “इससे किसानों और ग्राहकों के बीच एक रिश्ता बनता है। लोग किसानों की समस्याओं और उनकी ज़रूरतों के बारे में समझना शुरू करते हैं। इतना ही नहीं, बीज और मशीनों के लिए पैसों की ज़रूरत पड़ने पर किसान अपने लिए निर्धारित परिवारों से एडवांस भी ले सकते हैं। इससे उन्हें बैंक या कहीं और से लोन लेने की ज़रुरत नहीं पड़ती।“

अंत में अंजलि कहती हैं कि केमिकल मुक्त सोसाइटी बनाना ही उनके जीवन का मिशन है। जब तक केमिकल का इस्तेमाल कम नहीं होता तब तक पर्यावरण और जीवन शुद्ध और स्वच्छ नहीं बना सकते हैं।

संपादन- पार्थ निगम

यह भी पढ़ें- #गार्डनगिरी : छत पर 80 किस्म के टमाटर उगाती हैं पुणे की सुज़ैन

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या ">Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

Related Articles
Here are a few more articles:
Read the Next Article
Subscribe