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दिल्ली के जौंती गांव में रहने वाले 57 वर्षीय कुलदीप सिंह एक जैविक किसान हैं। पिछले दस सालों से वह रसायनमुक्त खेती कर रहे हैं। गेहूं, चना, सरसों की खेती के साथ-साथ वह नींबू की भी खेती बड़े स्तर पर कर रहे हैं।
कुलदीप ने लगभग चार साल पहले एक एकड़ जमीन पर नींबू का बाग लगाया। पिछले साल जब बाग से अच्छा उत्पादन मिलने लगा तो लॉकडाउन लग गया। ऐसे में, उनकी नींबू की बिक्री पर बहुत ज्यादा असर पड़ा। वह घर में भी नींबू को ज्यादा दिन तक स्टोर नहीं कर सकते थे। लेकिन कहते हैं न कि जहां चाह, वहां राह।
इसलिए इस प्रगतिशील किसान ने मायूस होने की बजाय कुछ ऐसा किया कि न तो उनके नींबू खराब हुए और न ही उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। बल्कि लॉकडाउन और कोरोना महामारी के बीच भी उन्हें अपने नींबू के बाग़ से डेढ़ लाख रुपए की बचत हुई। आने वाले समय में उन्हें उम्मीद है कि उनका यह मुनाफा और ज्यादा बढ़ेगा।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने आपदा को अवसर में बदला!
यूट्यूब से मिला आईडिया
कुलदीप बताते हैं, "हमारी कुल 14 एकड़ जमीन है। मैं तीनों भाइयों में सबसे बड़ा था तो स्कूल के समय से ही पिताजी का खेती में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था। फिर पढ़ाई छूट गयी और मैं खेती में ही जुट गया। 10 साल पहले तक हम रसायनिक खेती ही करते थे। लेकिन फिर जैविक खेती के बारे में जानकारी मिली और हमने फैसला किया कि अब जैविक खेती में ही आगे बढ़ना है।"
उन्होंने अपने खेतों में जैविक तरीकों से चना, सरसों, गेहूं जैसी फसलें लगानी शुरू कर दी। साल 2017 में उन्होंने अपनी एक एकड़ जमीन पर 400 नींबू के पौधे लगाए। वह कहते हैं कि दो-ढाई साल में उन्हें नींबू के बाग़ से थोड़ा-बहुत उत्पादन मिलना शुरू हो गया था।
पिछले साल मार्च में लॉकडाउन लगने से पहले ही उन्हें बाग़ से अच्छी फसल मिलने लगी। "मुझे नींबू से भी अच्छी कमाई की उम्मीद थी क्योंकि फल अच्छा आ रहा था और यह जैविक भी है तो लगा कि बिक्री अच्छी होगी। लेकिन लॉकडाउन के कारण समय से बाजार पहुंचना नहीं हो पा रहा था। लेकिन हम हाथ पर हाथ रखकर भी नहीं बैठ सकते थे क्योंकि नींबू तो एक-दो हफ्तों में ही खराब होने लगते हैं," उन्होंने कहा।
इसी सबके बीच उन्होंने यूट्यूब पर एक वीडियो देखा, जिसका शीर्षक था कि कैसे एक किसान बना बिजनेसमैन। उन्होंने कहा कि वीडियो किसी मध्य प्रदेश के किसान का था, जो अपनी उपज को खुद प्रोसेस करके उत्पाद बना रहे थे और आगे बाजार में बेच रहे थे। इस वीडियो को देखने के बाद उन्होंने भी तय कर लिया कि अगर नींबू न सही तो इसके उत्पाद तो लोगों तक पहुंचाए ही जा सकते हैं।
जैविक सामग्री इस्तेमाल कर बनाया नींबू का अचार
कुलदीप ने बताया कि उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में सबसे पहले नींबू के अचार और जैम की रेसिपी तैयार की। इसके बाद उन्होंने चार तरह के उत्पाद बनाये, खट्टा अचार, मीठा अचार, खट्टा-मीठा अचार और जैम। सबसे अच्छी बात यह है कि उन्होंने अपने किसी भी उत्पाद में किसी भी तरह का कोई रसायन नहीं डाला। बल्कि उन्होंने अचार में सामान्य सफेद नमक और चीनी डालने से भी परहेज किया।
नमक के लिए उन्होंने शुद्ध और स्वस्थ सेंधा नमक का इस्तेमाल किया। जबकि चीनी की जगह उन्होंने देसी और शुद्ध खांड का इस्तेमाल किया है। ये दोनों ही चीजें लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर होती हैं। अन्य मसाले भी उन्होंने साबुत खरीदकर खुद घर पर तैयार किए और फिर अचार बनाया। इस तरह से उनके अचार और जैम भी एकदम जैविक हैं।
अब सवाल आता है मार्केटिंग का। इस पर कुलदीप कहते हैं, "हम 10 सालों से जैविक खेती कर रहे हैं। हमारे देश में जैविक के लिए कोई खास प्लेटफॉर्म नहीं है तो हमने सीधा ग्राहकों से ही संपर्क बना लिया है ताकि हमें अपनी मेहनत के मुताबिक दाम मिले। पहले से ही सैकड़ों लोग हमसे जुड़े हुए हैं तो उन्हीं को हमने अपने अचार और जैम के बारे में भी बताया।"
अमेरिका तक भी पहुंचा अचार:
कुलदीप सिंह ने लगभग चार क्विंटल अचार और जैम तैयार किया था। जिसमें से तीन क्विंटल से ज्यादा अचार वह बेच चुके हैं और उन्हें अब तक डेढ़ लाख रुपए का फायदा हुआ है। उनका अचार सिर्फ दिल्ली एनसीआर ही नहीं बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश के भी कई शहरों के साथ मुंबई तक भी पहुंचा है। उनके एक ग्राहक ने अमेरिका में रह रहे अपने रिश्तेदारों को भी अचार और जैम उपलब्ध करवाया है।
दिल्ली के नवीन कुमार बताते हैं, "हम काफी समय से कुलदीप सिंह जी से जुड़े हुए हैं। कभी भी आप उनके खेतों पर चले जाएं आपको कुछ गलत नहीं मिलेगा। पहले से ही हम उनसे कई जैविक चीजें ले रहे हैं और पिछले साल उनका अचार भी खाया। स्वाद के साथ-साथ अचार गुणवत्ता में भी बहुत अच्छा है। मैंने अपने बहुत से दोस्तों को उनका अचार खिलाया और सबको यह बहुत ही पसंद आया है।"
कुलदीप सिंह कहते हैं कि पिछले साल से देश में जैसे हालात हैं तो नींबू का कोई सही भाव बाजार में नहीं मिल रहा है। लेकिन अचार और जैम को वह 400 रुपए किलो तक के भाव पर बेच रहे हैं और यह लोगों को इतना पसंद आ रहा है कि इस साल उन्हें पहले से ही ऑर्डर मिलने लगे हैं।
यही वजह है कि कुलदीप सिंह अपने सभी किसान साथियों को सलाह देते हैं कि वे सिर्फ किसान की तरह नहीं बल्कि बिज़नेसमैन की तरह सोचें। अपने आसपास के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से सलाह लें और उनसे ट्रेनिंग लें। ताकि खुद अपनी फसल की प्रोसेसिंग करके खाद्य उत्पाद तैयार कर सकें।
अगर आप कुलदीप सिंह से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें 9911504848 पर कॉल कर सकते हैं।
संपादन- जी एन झा
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