दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाले वनीत जैन को पेड़-पौधों से खास लगाव है। वह 35 साल पहले काम के सिलसिले में पंजाब और हिमाचल प्रदेश के सीमा पर स्थित तलवाड़ा से दिल्ली आए थे और फिर यहीं बस गए।
वनीत ने द बेटर इंडिया को बताया, "जब मैं दिल्ली आया था, तब किराए के मकान में रहता था। किराए के घर में भी 400-500 पेड़-पौधे रखता था। फिर धीरे-धीरे कारोबार बढ़ा तो अपना घर बनाया। इन सबके साथ मेरी गार्डनिंग चलती रही। फ़िलहाल, मैंने जो अपना टेरेस गार्डन तैयार किया है, वह लगभग 15 सालों से है और अब तो मुझे खुद नहीं याद कि कुल कितने पेड़-पौधे हैं।"
वनीत के गार्डन में हर तरह के पेड़-पौधे हैं और इसके साथ ही, उन्होंने तरह-तरह की चीजों से अपने गार्डन को सजाया हुआ है। वनीत गार्डनिंग को दिनचर्या का हिस्सा मानते हैं। जैसे सुबह उठकर ब्रश करना ज़रूरी काम है वैसे ही अपने गार्डन में घूमना, पेड़- पौधों की देखभाल करना उनके लिए ज़रूरी काम। यह सब वह अपने व्यवसाय को अच्छे से संभालते हुए कर रहे हैं।
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करोल बाग़ में उनका ऑटोमोबाइल पार्ट्स का बिज़नेस है और उनकी पत्नी, एक डिज़ाइनर है। छुट्टी वाले दिन वह अपने परिवार के साथ गार्डन में ही सबसे ज्यादा समय बिताते हैं। दिलचस्प बात यह है कि वनीत ने खुद अपने टेरेस पर जितने पेड़-पौधे लगाए हुए हैं, उससे कहीं ज्यादा वह अपने पड़ोसियों, दोस्तों-रिश्तेदारों को बाँट चुके हैं। वह किसी से भी पेड़-पौधे देने के कोई पैसे नहीं लेते। बल्कि उन्हें लोगों को पेड़ गिफ्ट करना बहुत पसंद है।
वनीत के टेरेस गार्डन में 30 तरह के फलों के पेड़-पौधे हैं जिनमें सेब, शहतूत, आडू, अमरुद आदि शामिल हैं। उन्होंने अपने सभी पेड़-पौधे गमलों में ही लगाए हुए हैं। उनका कहना है कि अगर पेड़-पौधों को सही देखभाल मिले तो आप कम जगह, कम मिट्टी और कम पानी में भी आप गार्डन लगा सकते हैं। उनके स्वभाव की एक अच्छी बात यह है कि अगर उन्हें कहीं रास्ते में भी पेड़ मुरझाये हुए दिखें तो वह ज़रूर उनमें पानी देते हैं। अगर कोई पेड़ सड़क पर ट्री गार्ड से बाहर आ रहा है तो उसे सीधा करते हैं।
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"रोहिणी का इलाका सालों पहले जब विकसित हो रहा था तो यहाँ नगर निगम ने काफी पेड़-पौधे लगाना शुरू किया था। हमारी सोसाइटी से उसी रास्ते से बहुत से बुजुर्ग लोग दूध लेने जाते थे और उनके हाथ में स्टील का डिब्बा होता था। मैं हमेशा उनसे कहता था की आप जब जाते हैं तो इस डिब्बे में पानी भरके ले जाया करें और रास्ते में पेड़ों को पानी दे दें और वापसी में दूध ले आएं। बहुत से लोगों में यह आदत बन गई और मुझे ख़ुशी होती है जब लोग पेड़ों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझते हैं," उन्होंने आगे कहा।
अपनी सोसाइटी में भी उन्होंने खुद एक-एक पौधा लगाया है और उनकी देखभाल करते हैं। वह अपने गार्डन में भी सब कुछ खुद ही मैनेज करते हैं। उनके गार्डन में तकरीबन 5 हज़ार से भी ज्यादा पेड़-पौधे हैं, जिसमें फलों के अलावा फूलों के, मौसमी सब्ज़ियाँ, मेडिसिनल प्लांट्स, परमानेंट प्लांट्स आदि शामिल हैं।
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जब भी उनकी हार्वेस्ट आती है तो वह अपने पड़ोसियों में भी बांटते हैं और पेड़-पौधे तो वह अपने घर के दरवाजे पर रख देते हैं। जिसको चाहिए वह ले जा सकता है। लॉकडाउन में भी उन्होंने कई घरों में सब्जियां पहुंचाई। उन्हें लॉकडाउन के दौरान काफी समय भी मिला तो उन्होंने अपने गार्डन के एक-एक पौधे की देखभाल की। अपने गार्डन के लिए उन्होंने खुद एक वाटर फॉल भी बनाया। छत के साथ-साथ उन्होंने अपने घर के अंदर भी बहुत से पेड़-पौधे लगाए हुए हैं।
वह आगे बताते हैं, "बहुत से लोग मेरा गार्डन देखने आते हैं। 10-12 साल पहले एक फ्रेंच एयरहोस्टेस गार्डन देखने आई थीं। उन्होंने बहुत-सी तस्वीरें लीं और मुझे काफी समय बाद पता चला कि उन्होंने किसी मैगज़ीन में वो तस्वीरें छपवाईं। वैसे तो मैं लाइमलाइट से दूर रहता हूँ लेकिन इतने सालों में मुझे समझ में आया है कि अगर मैं गार्डनिंग में किसी की मदद कर सकता हूँ तो मुझे ज़रूर करनी चाहिए।"
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वनीत जैन ने पेड़-पौधों की देखभाल और अर्बन गार्डनिंग पर हमारे साथ कुछ टिप्स शेयर किए हैं।
1. अगर आप शुरूआत कर रहे हैं तो धनिया, पुदीना, मेथी, पालक, गिलोय और एलोवेरा से शुरू करें। आप कुछ फूलों के पेड़ भी लगा सकते हैं।
2. पॉटिंग मिक्स तैयार करने के लिए मिट्टी में गोबर की खाद (25 %), कोकोपीट (15%) और नीमखली (5%) मिलाइए। गोबर की खाद से पौधों को पूरा पोषण मिलता है। बाद में आप दूसरे पोषण जैसे वर्मीकंपोस्ट, बोनमील आदि दे सकते हैं।
3. सुबह-सुबह पेड़-पौधों को पानी दें, उस समय तापमान बिल्कुल सही होता है। इसके अलावा, आप गमलों के नीचे ईंट रखते हैं तो यह एक्स्ट्रा पानी को सोख लेती है और नमी बनाए रखती है। अगर आप पेड़-पौधों को पास-पास रखते हैं तब भी वातावरण में नमी रखती है।
4. जहां सब्जियों और फूलों के पेड़-पौधों को धूप चाहिए वहीं ओरनामेंटल पौधों को बहुत ही कम धूप चाहिए। हमेशा छोटे पौधों को बड़े पेड़ों की छांव में रखें।
5. पौधों से कीटों को दूर रखने के लिए आप राख में कपूर मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं।
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वनीत आगे बताते हैं कि गार्डनिंग के लिए आपको बहुत पैसे खर्च करने की भी ज़रूरत नहीं है। आप पेड़ों की कलम से नए पौधे बना सकते हैं और सूखे पत्तों आदि से खाद बना सकते हैं। गमलों पर भी आपको ज्यादा खर्च करने की ज़रूरत नहीं है। अपने घर के पुराने टूटे बर्तन, क्राकरी, डिब्बे आदि में भी आप पौधे लगा सकते हैं।
वह सिर्फ यही सलाह देते हैं, 'मिट्टी को खिलाइए, पेड़ को नहीं।' मतलब कि मिट्टी के पोषण का ध्यान रखने की बेहद ज़रूरत है, अगर हमारी मिट्टी स्वस्थ होगी तभी पेड़-पौधे स्वस्थ होंगे। अपने गार्डन में हर दिन कम से कम एक घंटा बिताइए, अपने पेड़-पौधों से बात कीजिये। जितनी ज़रूरत आपको पेड़ों की है उतनी ही पेड़ों को आपकी है। वनीत ने अपने गार्डन में एक घंटी लगाई हुई है, हर रोज़ सुबह वह सबसे पहले उसे बजाते हैं ताकि उनके पेड़ों को पता चल जाए कि सवेरा हो गया है।
"शायद लोगों को अजीब लगे पर हाँ, मैं अपने पेड़ों से बातें करता हूँ। उनका हाल-चाल पूछता हूँ। क्योंकि मेरा विश्वास है कि पेड़-पौधे मेरी बात सुनते हैं और समझते हैं। आप एक बार यह करके देखिए, धीरे-धीरे आपका भी उनसे रिश्ता जुड़ जाएगा और आप भी उनको समझने लगेंगे," उन्होंने अंत में कहा।
अगर आप वनीत जैन से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें geegu@hotmail.com पर ईमेल कर सकते हैं!
अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!
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