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पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान हर किसी का जीवन प्रभावित हुआ। किसी की नौकरी चली गई, किसी का व्यापार थम गया। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। लेकिन इन विपरित परिस्थतियों में भी कई ऐसे लोग सामने आए, जिन्होंने आपदा के दौरान अपने हुनर से आजीविका के नए अवसर खोज निकाले।
केरल की गीता सलिश ने भी लॉकडाउन के दौरान ही ऑनलाइन फूड बिजनेस की शुरुआत की थी। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर पिछले साल घर से ही आचार और घी बनाकर बेचना शुरू किया। आज एक साल के बाद वह गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में अपने प्रोडक्ट्स बेच रही हैं।
गीता बचपन से ही देख नहीं सकती हैं। लेकिन उनके पास कुकिंग का ऐसा हुनर है, जिसके बदौलत आज उनके हाथों के स्वाद का जादू घर-घर पहुंच रहा है। वह कुकिंग के आलावा, स्विमिंग और कंप्यूटर में भी एक्सपर्ट हैं।
तक़रीबन सात साल पहले वह त्रिशूर में एक रेस्टोरेंट चलाया करती थीं। हालांकि कुछ परेशानी की वजह से उन्हें रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा था।
अंडे बेचने से की बिज़नेस की शुरुआत
गीता ने द बेटर इंडिया को बताया, "मैं देख नहीं सकती हूं इसलिए कई लोग मेरी काबिलियत पर संदेह करते हैं। लेकिन मेरे पति ने मेरा हौसला बढ़ाया। चूंकि मैंने पहले भी रेस्टोरेंट चलाया था, इसलिए मुझे बड़े स्तर पर खाना पकाने का अनुभव था, उन्होंने मुझे घर से काम करने का आइडिया दिया।"
उनके पति सलिश पेशे से मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव हैं और बिज़नेस में उनका पूरा साथ देते हैं। सलिश कहते हैं, "गीता आत्मनिर्भर महिला हैं। फ़ोन पर ऑर्डर्स लेने से लेकर ऑर्डर पैक करने तक सारा काम वह खुद ही आराम से कर लेती हैं। मैं उनका पूरा साथ देता हूं।"
गीता ने रेस्टोरेंट बंद होने के बाद अंडे का व्यापार शुरु किया था। उन्होंने कुछ मुर्गियां और बटेर पाले और उनके अंडों को स्थानीय दुकानों में बेचना शुरू किया। लेकिन कोविड प्रतिबंध के कारण उनके सारे अंडे बिक नहीं पाते थे। गीता कहती हैं, "मुझे हर महीने बटेर से लगभग 100 अंडे मिलते थे। जब वे नहीं बिकते थे, तब मेरे मन में इसका अचार बनाने का ख्याल आया और फिर हमने आचार बनाकर जान पहचान के लोगों को दिया। इस तरह धीरे-धीरे मुझे लोगों से ऑर्डर्स मिलने लगे।"
कुछ ही महीनों में उन्होंने 'Home to Home' नाम से अपना स्टार्टअप शुरू किया और अंडे बेचने का काम बंद करके, आचार और घी जैसे प्रोडक्ट्स बनाने का काम शुरू किया। गीता ने अपने इस बिजनेस में तीन लाख रुपये का शुरुआती निवेश किया था। अब वह इस बिजनेस से 40 हजार रुपये हर महीने कमा लेती हैं।
इस प्रोडक्ट की है सबसे ज्यादा डिमांड
गीता इन दिनों हल्दी और खजूर का काढ़ा, बटेर के अंडे का आचार, घी सहित 10 प्रोडक्ट्स घर से बनाकर बेच रही हैं, जिसमें हल्दी और खजूर का काढ़ा सबसे ज्यादा बिकता है। यह एक इम्युनिटी बूस्टर है, जो सालों से उनके घर पर बनता आ रहा है। देश के तक़रीबन हर राज्य से लोग इस प्रोडक्ट को ऑर्डर करते हैं।
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हल्दी और खजूर का काढ़ा केरल की एक पारंपरिक डिश है, जिसके लिए ताजा हल्दी और खजूर को नारियल के दूध के साथ लगभग 5 से 6 घंटे तक कांस्य उरुली (केरल के पारंपरिक बर्तन) में तब तक पकाया जाता है, जब तक नारियल के दूध से तेल दिखाई न देने लगे। यह एक लंबी प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि रोजाना एक चम्मच इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद अच्छा माना जाता है।
सलिश ने बताया कि एक साल से उन्हें ऑनलाइन कई रिपीट ऑर्डर्स मिले हैं। ज्यादातर ग्राहक अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को उनके प्रोडक्ट्स की जानकारी देते हैं। पिछले साल अगस्त में उन्होंने इस बिज़नेस की शुरुआत की थी, तब से उनका काम नियमित रूप से चालू है। गीता ने बताया कि जब ऑर्डर अधिक मिलने लगे, तो उन्होंने दो और महिलाओं को काम पर रख लिया।
सोशल मीडिया का किया इस्तेमाल
सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म्स के जरिए गीता, अचार से लेकर अन्य खाद्य पदार्थ लोगों तक पहुंचा रही हैं। अब तो उन्होंने अपनी एक वेबसाइट भी लॉन्च कर दी है। गीता ने बताया कि शुरुआत में केवल वह व्हाट्सएप के जरिए ऑर्डर्स लेती थीं।
गीता कहती हैं, "मैं दिन में दो किलोग्राम आचार बनाती हूं, जो 250 ग्राम के डिब्बे में पैक होता है। वहीं 20 से 24 लीटर दूध से घी बनता है। आधे किलोग्राम घी की कीमत 700 रुपये है, जबकि हर अचार की कीमत अलग-अलग है। हमारा सबसे लोकप्रिय प्रोडक्ट् CURCUMEAL 800 रुपये प्रति किलो बिकता है।"
यदि आप गीता के प्रोडक्ट्स के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो उनकी वेबसाइट देख सकते हैं। वहीं, आप उन्हें सोशल मीडिया पर भी संपर्क कर सकते हैं।
संपादन- जी एन झा
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