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यह कहानी एक महिला किसान की है, जिन्होंने अपने जीवन में हर कदम पर परेशानी झेली लेकिन कभी हार नहीं मानी। (Woman Farmer Success)
अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर उन्होंने न सिर्फ खेती के गुर सीखे बल्कि आज अंगूर के सफल किसानों में अपना नाम भी दर्ज करा चुकी हैं। एक वक़्त था जब उन पर लगभग 30 लाख रूपये का कर्ज था लेकिन आज वह साल भर में इससे कहीं ज्यादा कमाती हैं।
महाराष्ट्र ने नासिक में निफाड तालुका की रहने वाली 46 वर्षीया संगीता बोरासते अंगूर की खेती करतीं हैं। यह पूरा इलाका अंगूर की खेती के लिए जाना जाता है। संगीता के अंगूर की लगभग 50% उपज बाहर के देशों में एक्सपोर्ट होती है। भारत में भी उन्हें अपनी फसल का अच्छा दाम मिलता है। हालांकि, यह सफलता उन्होंने कोई एक दिन में हासिल में नहीं की है बल्कि बहुत सी चुनौतियों का सामना करके वह इस मुकाम तक पहुँची हैं।
संगीता ने द बेटर इंडिया को बताया, “1990 में मेरी शादी अरुण से हुई और मैं निफाड आ गई। उस समय मैं महज 15 साल की थी। अरुण बैंक में काम करते थे। उसी बीच घरेलू विवाद की वजह से बंटवारा हुआ, जिसमें हमें 10 एकड़ ज़मीन मिली। इस ज़मीन पर खेती करने के लिए अरुण ने बैंक की नौकरी छोड़ दी और खेती की शुरूआत की।”
संगीता कहतीं हैं कि उनके पति को खेती के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थीं। इसलिए उन्होंने कई बार नुकसान भी उठाया।
“नुकसान की वजह से कर्ज हो गया और फिर उस कर्ज को चुकाने के लिए हमने ढाई एकड़ ज़मीन बेचनी भी पड़ी,” उन्होंने आगे कहा।
सालों तक संगीता और उनके पति ने खेती में संघर्ष किया। आखिरकार साल 2014 में उनके खेतों में काफी अच्छी फसल हुई। उस साल उन्हें अपने खेतों से बम्पर उपज की आशा थी। उन्हें लगा था कि अब उनकी सभी मुश्किलें दूर हो जाएंगी और वह कर्जमुक्त हो जाएंगे। लेकिन हार्वेस्टिंग से कुछ दिन पहले ही संगीता के पति का देहांत हो गया। अब संगीता के कंधों पर ही अपने तीन बेटियों, एक बेटे और उनके पति के 30 लाख रुपये के कर्ज को चुकाने की ज़िम्मेदारी थी।
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संगीता कहतीं हैं कि उन्हें उस समय सिर्फ यह पता था कि मजदूरों से काम कराना है लेकिन खेत में क्या होता है और क्या नहीं, इसकी कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन परिस्थिति ऐसी थी कि वह मजदूरों को भी नहीं रख सकतीं थीं और उन्हें सभी चीजें अपने हाथ में लेनी पड़ी।
अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए संगीता बतातीं हैं, “वह दीपावली की रात थी, रात के 9 बजे तक मैं खेत में ही थी। हमारे खेत में ट्रैक्टर फंस गया था और मैं उसे निकलवाने में जुटी हुई थी।”
संगीता कहतीं हैं कि शुरूआत में उन्हें खेती के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था, जिस वजह से वह अपने रिश्तेदारों पर निर्भर थीं। लेकिन एक वक़्त के बाद उन्हें सब कुछ खुद ही संभालना पड़ा।
किसानी करते हुए संगीता ने मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया। चाहे वह उनके परिवार के हालात हों या फिर खराब मौसम से आने वाले तूफ़ान और बेमौसम बरसात, जिस वजह से उनकी फसल खराब हो जाती थी। वह कहतीं हैं, "हर साल बहुत-सी परेशनियाँ आतीं थीं। अंगूर की बेल मौसम के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं। कई बार तो मैं रात-रात भर जागी हूँ और बॉनफायर की है ताकि बागान को गर्म रख सकूँ।"
पर कहते हैं कि अगर आप मेहनत करो तो किस्मत आपका साथ देती है। संगीता को यह साथ सह्याद्री फार्म्स से मिला। उन्होंने संगीता के अंगूरों की उपज को बाजारों तक पहुँचाने में ख़ास भूमिका निभाई।
"मैंने अपने अंगूरों की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया ताकि एक्सपोर्ट करने में कोई परेशानी न आए। अब हर साल हमारी 50% से भी ज्यादा उपज बाहर एक्सपोर्ट होती है," उन्होंने आगे कहा।
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अब संगीता ने न सिर्फ अपना कर्ज चुका दिया है बल्कि वह हर साल लगभग 40 लाख रुपये की कमाई करतीं हैं, जिसमें से 15 लाख रुपये उनका प्रॉफिट होता है। वह कहतीं हैं, "अंगूर के बगान का रख-रखाव काफी मुश्किल होता है और ज़्यादातर, कमाई इसके रख-रखाव में ही चली जाती है।" संगीता ने अपनी दो बेटियों की शादी कर दी है और तीसरी बेटी की शादी की तैयारी वह कर रहीं हैं।
उनकी सफलता ने उन्हें आत्मविश्वास और खुद पर गर्व करने का मौका दिया है। वह कहतीं हैं, "मैंने ज़िंदगी में एक बात सीखी है कि कभी भी हौसला मत छोड़ो। मुझे लगता है कि अगर कोई और मेरी जगह होता तो बहुत पहले हार मान जाता। लेकिन मुझे सफल होना था और इसके लिए मैं कड़ी से कड़ी मेहनत करने को तैयार थी। हर किसान को यह याद रखना चाहिए।"
लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने एक बड़ी चुनौती का सामना किया। उनकी उपज बाहर एक्सपोर्ट नहीं हो पाई और उन्हें लगभग 35 लाख रुपये का नुकसान हुआ। उनकी इस साल की कुल कमाई लगभग 15 लाख रुपये हुई है और इसमें से सभी खर्च मैनेज करना बहुत मुश्किल है। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानते हुए अपने अंगूरों की प्रोसेसिंग करके किशमिश बनाई और उसे बेचा।
आज भी संगीता हर एक मुश्किल का डटकर सामना करने के लिए तैयार रहतीं हैं। " मुझे भरोसा है कि मैं अपनी मेहनत से आने वाली उपज में सभी नुकसान की भरपाई कर लूंगी," उन्होंने अंत में कहा।
मुश्किल परिस्थिति में भी हार नहीं मानकर लगातार मेहनत करने वाली संगीता के जज्बे को द बेटर इंडिया सलाम करता है।
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