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हम सब जानते हैं कि प्लास्टिक की ही तरह पेपर इंडस्ट्री भी प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है। भले ही आज पेपर लैस इकोनॉमी पर जोर है फिर भी दुनिया के लिए कागज़ की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हर दिन पेड़ों को काटा जा रहा है। इसके अलावा, एक और चिंताजनक बात यह है कि कागज़ के बहुत से ऐसे उत्पाद हैं जो सिर्फ एक बार इस्तेमाल के लिए बनते हैं और फिर लैंडफिल में पहुँचते हैं।
भारत में कागज़ का उत्पादन बहुत बड़े स्तर पर होता है लेकिन इसे बहुत ही कम स्तर पर रिसायकल और रियूज किया जा रहा है। हम लोग एक बार भी इन्हें कचरे में फेंकने से पहले रिसायकल या रियूज के बारे में नहीं सोचते हैं। लेकिन जयपुर की एक महिला पेपर को रिसायकल कर खूबसूरत चीजें बना रहीं हैं।
यह कहानी है जयपुर की नीरजा पालीसेट्टी की, जो कागज से 'जादू' बुन रही हैं। जी हाँ, नीरजा अपने स्टार्टअप के ज़रिए कागज के खूबसूरत आर्टीफेक्ट्स और दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीज़ें बना रहीं हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस काम के लिए वह पेपर इंडस्ट्री में बचने वाले वेस्ट पेपर को उपयोग में लेती हैं। इस तरह से कागज की बुनाई करने के उनके इनोवेटिव तरीके से बड़े स्तर पर कागज के कचरे का प्रबंधन करने में मदद मिल रही है।
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बुनकरों के परिवार से आने वाली नीरजा को बचपन से ही क्रॉफ्ट विरासत में मिला। किसी नए रॉ मटेरियल की बजाय पुरानी और बेकार चीज़ों से कोई नयी और उपयोगी वस्तु बनाना हमेशा से ही उनका पैशन रहा।
नीरजा ने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरे पिता भी आर्टिस्ट रहे हैं। आर्ट और क्रॉफ्ट के प्रति लगाव पिता से ही मिला है। मैंने एक बार पेपर वीविंग यानी कि कागज़ की बुनाई के बारे में पढ़ा था। काग़ज़ की बुनाई की कला जापान की पारंपरिक कलाओं में से एक है। लेकिन अब वहाँ भी शायद इस कला के बहुत ही कम आर्टिस्ट बचे हैं। मुझे इस कला ने प्रभावित किया और लगा कि यह बहुत ही अच्छा विकल्प है पेपर वेस्ट मैनेजमेंट का।”
साल 2016 में नीरजा ने अपने पैशन को हकीकत बनाने के लिए 'सूत्रकार क्रिएशन' की नींव रखी। 'सूत्रकार' का मतलब होता है कुछ बुनने वाला और इसकी तर्ज पर ही वह अपने स्टार्टअप के ज़रिये कागज़ की बुनाई करके बने हुए प्रोडक्ट्स ग्राहकों तक पहुँचा रहीं हैं।
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नीरजा के इस स्टार्टअप ने न सिर्फ उनके सपनों में रंग भरे हैं बल्कि उन लोगों को भी एक बार फिर काम दिया जो चरखा चलाते हैं और बुनाई करते हैं। फ़िलहाल, तीन कारीगरों को उन्होंने काम दिया हुआ और इसके साथ ही, कुछ गृहणियां उनके लिए चरखे से कागज़ का धागा बनाकर देती हैं। कागज़ के इस धागे को बुनकर आर्टिसन फैब्रिक बनाते हैं, जिससे आगे नए-नए प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं।
सूत्रकार क्रिएशन्स आज के समय में 50 से भी ज़्यादा तरह के प्रोडक्ट्स ग्राहकों के लिए ऑफर कर रहा है।
नीरजा कहतीं हैं, “मैं पेपर रीसाइक्लिंग पर रिसर्च कर रही थी और यह समझने की कोशिश कर रही थी कि कैसे पेपर वेस्ट को उपयोगी उत्पाद बनाने के लिए काम में लिया जा सकता है। मैंने इस विषय में अपना एक रिसर्च पेपर भी पब्लिश किया है। मुझे जब जापान के पेपर वीविंग कॉन्सेप्ट के बारे में पता चला तो लगा कि इसे भारतीय परिवेश में इस्तेमाल किया जा सकता है। मैंने सबसे पहले इसकी तकनीक को समझा और सीखा।”
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नीरजा ने खुद सबसे पहले कागज़ के कचरे को इकट्ठा करके इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर प्रोसेस किया। अपने पिता के हैंडलूम पर उन्होंने खुद अपने हाथों से इससे धागा बनाया। वह कहतीं हैं, “हैंडलूम शुरू करने का आईडिया बहुत पहले से था। इसके लिए मैंने ढेर सारे प्रयोग किए हैं, उसके बाद ही मुझे सफलता मिली। पिता और पति ने मेरे काम को सराहा है। दोनों ही मुझे प्रोत्साहित करते रहते हैं। इन्हीं लोगों की वजह से 'सूत्रकार' की कहानी शुरू हुई है।”
नीरजा आगे कहतीं हैं, “कागज़ के बने उत्पादों के लिए अक्सर सोचा जाता है कि ये ज़्यादा नहीं चलेंगे। मजबूत नहीं होते हैं। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। कागज़ से जब धागा बनाया जाता है और फिर फैब्रिक तो यह काफी मजबूत हो जाता है। इसके बने उत्पाद भी काफी मजबूत और सालों तक चलने वाले होते हैं।”
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वह कागज़ से लैंपशेड, फोटो फ्रेम, वाल हैंगिंग, क्लच, बुकमार्क, डायरी, स्केच बुक, पेनस्टैंड, और कालीन आदि बना रहीं हैं। उनके प्रोडक्ट्स की कीमत 300-400 रूपये से लेकर 10 हज़ार रुपये तक है। अपने प्रोडक्ट्स बनाने के साथ-साथ वह कई डिज़ाइनर्स के साथ काम कर चुकी हैं।
सूत्रकार का पिछले साल का टर्नओवर 10 से 15 लाख रुपये के बीच था और इसके साथ ही उन्हें इटली, नीदरलैंड और अमेरिका में भी प्रोजेक्ट्स करने का मौका मिला।
नीरजा अपने प्रोडक्ट्स के रॉ मटेरियल अलग-अलग जगह से लेती हैं जैसे स्क्रैप डीलर, हैंडमेड पेपर इंडस्ट्री और जयपुर के घरों से अखबार भी इकट्ठा करतीं हैं। वह कहतीं हैं कि अगर आप चाहें तो कहीं भी अपनी क्रिएटिविटी लगाकर कुछ इनोवेटिव कर सकते हैं। आपको बस कुछ करने का जज़्बा होना चाहिए और उनकी यह अलग इनोवेटिव सोच ही उन्हें आगे बढ़ा रही है।
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"कोरोना और लॉकडाउन सबके लिए बहुत बड़ी चुनौती बनकर आये लेकिन इसके बावजूद हम आज भी बाजार में हैं क्योंकि हमने नए रास्ते और तरीके तलाशे हैं। पहले हम सिर्फ पेपर वेस्ट पर काम कर रहे थे। लेकिन अब हमें लोगों ने कपड़े की इंडस्ट्री में बचने वाले वेस्ट कपड़े की रीसाइक्लिंग के लिए भी हमसे कहा है। उस तरफ भी हम काम कर रहे हैं। आपके आस-पास ही ढ़ेरों मौके हैं, बस ज़रूरत है इन मौकों पर ध्यान देने की और इन पर काम करने की," उन्होंने अंत में कहा।
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