साइकिल पर जाकर कपड़े के थैले बाँट रही यह महिला, छेड़ी प्लास्टिक-मुक्त शहर की मुहिम!

उन्होंने शहर में स्टील के बर्तनों का एक बैंक भी शुरू किया है। यहाँ से किसी भी आयोजन के लिए बर्तन लिए जा सकते हैं।

साइकिल पर जाकर कपड़े के थैले बाँट रही यह महिला, छेड़ी प्लास्टिक-मुक्त शहर की मुहिम!

"वैसे तो मैं काफ़ी समय से समाज सेवा के कार्यों से जुड़ी हुई हूँ, लेकिन 3 साल पहले जब मैंने अपने 50वें जन्मदिन पर केक काटा तो साथ में एक प्रण भी लिया कि इतने सालों में मैंने समाज से लिया ही लिया है। पर अपनी आगे की ज़िंदगी अब मैं समाज के लिए समर्पित कर दूंगी और ज़रूरी बदलावों की मुहिम छेड़ समाज को बेहतर बनाने की दिशा में काम करुँगी," 53 वर्षीया नमिता तायल जब यह बात कह रही थीं तो उनकी आवाज़ में एक अलग ही जोश और जुनून था, जो शायद आपको आज के युवाओं में भी कम ही देखने को मिले।

हरियाणा में पलवल जिले की रहने वाली नमिता तायल, पेशे से इंटीरियर डिज़ाइनर रही हैं और दिल से एक समाज सेवी। पिछले लगभग 15 सालों से वे सामाजिक सुधार कार्यों से लगातार जुड़ी रही हैं। फ़िलहाल, वे 'क्लीन एंड स्मार्ट पलवल एसोसिएशन' की अध्यक्ष हैं। उनकी अध्यक्षता में यह संगठन आये दिन शहर में किसी न किसी मुद्दे के समाधान के लिए काम करता है।

सबसे अहम मुद्दा, जिस पर नमिता पिछले 3-4 सालों से सक्रिय हैं वह है स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण। मानव सेवा समिति, जीवनदायिनी जैसे सामाजिक संगठनों के साथ काम करने के बाद उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर साल 2017 में 'क्लीन एंड स्मार्ट पलवल एसोसिएशन' को रजिस्टर करवाया।

publive-image
Namita Tayal

नमिता बताती हैं कि उनके संगठन के तीन मुख्य उद्देश्य हैं:

1. पॉलिथीन मुक्त पलवल,
2. घर-घर से कूड़ा इकट्ठा हो और
3. पलवल में कूड़े के लिए मैनेजमेंट प्लांट हो, जहाँ सूखे कचरे की रीसाइक्लिंग और गीले कचरे से खाद बनायीं जा सके!

अपने इन तीन लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में नमिता और उनके साथी पूरी जी-जान से कोशिश कर रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने हर रविवार अलग-अलग कॉलोनी में जाकर स्वच्छता ड्राइव्स की। लोगों को अपने घरों के बाहर रास्तों को भी साफ़ रखने के लिए जागरूक किया। कई वार्ड्स और कॉलोनियों में उन्होंने लोगों के सहयोग से निजी कर्मचारियों को घर-घर से कूड़ा इकट्ठा करने का भी काम सौंपा।

यह भी पढ़ें: वैजी टू फ्रिजी: न पॉलिथीन की ज़रूरत और न ही टोकरियों की, इस एक बैग में ला सकते हैं पूरे हफ्ते की सब्ज़ियाँ!

हालांकि, यह मुहिम नगर निगम की अनदेखी के चलते सफलतापूर्वक नहीं हो पा रही है।

"अगर नगर निगम हमारा साथ दें तो यक़ीनन इस योजना को हक़ीकत में बदला जा सकता है। क्योंकि प्रशासन के साथ से ही हम लोगों में ज़िम्मेदारी की भावना ला सकते हैं। पर यहाँ तो प्रशासन ही खुद ज़िम्मेदार नहीं है इसलिए जैसे भी जहाँ भी होता है, हमें खुद ही पहल करनी पड़ती है," उन्होंने आगे बताया।

स्वच्छता के साथ-साथ वह शहर के लोगों को पॉलिथीन के दुष्प्रभावों के प्रति भी सचेत कर उन्हें कपड़े के थैले या फिर पेपर बैग आदि इस्तेमाल करने के लिए प्ररित कर रही हैं। क्लीन एंड स्मार्ट पलवल एसोसिएशन ने शहर के कपड़ा व्यापार संगठन से जाकर बात की और उन्हें अपने अभियान से जोड़ा।

publive-image
She is distributing cloth bags in schools, colleges, colonies and markets of the city

पहले यह संगठन बचा-कूचा कपड़ा रद्दी के भाव बेचता था, लेकिन अब नमिता के समझाने पर वे यह कपड़ा एसोसिएशन को देते हैं। एसोसिएशन ने इन कपड़ों से थैले बनवाए है और यह काम गरीब और ज़रूरतमंद लड़कियों को दिया गया। इससे लगभग 50 महिलाओं को रोज़गार मिला है और एसोसिएशन ये थैले अलग-अलग जगह जाकर बाँट रही है।

यह भी पढ़ें: मुंबई: घर-घर से इकट्ठा किये प्लास्टिक से बनेंगी अब पब्लिक पार्क के लिए बेंच!

उन्होंने शहर की बड़ी-छोटी दुकानों पर ये कपड़े के थैले रखवाए हैं और उनसे आग्रह किया है कि वे अपने ग्राहकों को इन्हीं में सामान दें। कोशिश तो है कि सभी ग्राहक अपने घरों से ही कपड़े के थैले लेकर निकलें ताकि उन्हें कहीं भी पॉलिथीन मांगने की ज़रूरत न पड़े।

नमिता बताती हैं कि उनकी इस पहल में पलवल के दुकानदारों से लेकर डॉक्टर तक उनका साथ दे रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने स्कूल, कॉलेज, मंदिर-गुरुद्वारे जैसी सार्वजानिक जगहों को बदलाव का मुख्य स्त्रोत बनाया है। अब तक वह 35 स्कूलों में जाकर स्वच्छता अभियान और पॉलिथीन मुक्त शहर की महत्ता पर सेमिनार कर चुकी हैं।

publive-image
With her team, Namita regularly conducts cleanliness and awareness drives

अपनी फिटनेस और सेहत को लेकर भी सजग रहने वाली नमिता सुबह घर से साइकल लेकर निकलती हैं और लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करती हैं। इस तरह वह 15 किलोमीटर का दायरा तय करती हैं। इस दौरान रास्ते में पड़ने वाले क्षेत्रों में प्लास्टिक न प्रयोग करने को लेकर लोगों से बात करती हैं। साथ ही, सेहतमंद जीवन शैली अपनाने के लिए भी प्रेरित करती हैं।

यह भी पढ़ें: प्लास्टिक से लड़ता एक परिवार: पत्नी बनातीं हैं कपड़े के थैले, पति और बच्चे मुफ्त बांटते हैं लोगों में!

उन्होंने बताया,

"आज के वक़्त में फिटनेस भी बहुत ज़रूरी है। इसलिए मैंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर साइकिलिंग करना शुरू किया। वैसे तो हैरत की बात है कि हमारे पूरे साइकिलिंग ग्रुप में अकेली मैं ही एक महिला हूँ। लेकिन मैंने इसे भी अपने अभियान से जोड़ा हुआ है। साइकिल से सफर करते हुए मैं ट्राय करती हूँ कि जहाँ जहाँ हो सके मैं लोगों को कपड़े से बने बैग बांटू और उन्हें समझाऊं।"

publive-image

एक और अनोखी पहल उन्होंने शुरू की है और वह है- स्टील के बर्तनों का बैंक। इसे शुरू करने के पीछे उनका उद्देश्य सार्वजानिक आयोजनों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक क्रोकरी का प्रयोग बंद करना है। एसोसिएशन से कोई भी अपने आयोजन के हिसाब से स्टील के बर्तन बुक कर सकता है। इससे बड़े स्तर पर वे प्लास्टिक का इस्तेमाल रोक पाएंगे।

यह भी पढ़ें: घर से लाये डिब्बे में तेल, सूती बैग में दाल-चावल ले जाते हैं ग्राहक इस स्टोर से!

क्रोकरी बैंक के लिए बर्तन जुटाने की मुहिम भी बहुत ही अनोखी थी। उन्होंने बताया कि हरियाणा में जब भी किसी की शादी होती है तो लड़की और लड़के के मामा की तरफ से 'भात' आता है। इसमें स्टील के थाली-गिलास भी आते हैं, जो अक्सर घरों में संदूकों में ही पड़े रहते हैं। इसलिए उन्होंने लोगों से इन बर्तनों को स्टील क्रोकरी बैंक के लिए दान करने की अपील की।

इसके अलावा, नमिता की अध्यक्षता में शहर के सरकारी अस्पताल में 600 पेड़ लगाए गये हैं और साथ ही, पलवल रेलवे स्टेशन की साफ़-सफाई करके वहाँ पर सौन्दर्यीकरण किया गया है।

publive-image
Left: Plantation Drive, Right: Beautification of Palwal Railway Station has been done

नमिता अपने घर में भी पर्यावरण को लेकर बहुत सजग रहती हैं। वह खुद गीले कचरे से खाद बनाती हैं और घर में उन्होंने अपना एक गार्डन भी बनाया हुआ है। इसके अलावा, उनके यहाँ पॉलिथीन बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होती। वर्षा जल संचयन के लिए उन्होंने हार्वेस्टिंग सिस्टम तो लगवाया ही हुआ है। साथ ही, वह आरओ से निकलने वाले पानी को भी बचाकर घरेलु कामों के लिए इस्तेमाल करती हैं।

क्लीन ऐंड स्मार्ट पलवल एसोसिएशन के साथ इस समय 150 महिलाएं व 50 पुरुष जुड़े हुए हैं। आप उनकी गतिविधियाँ उनके फेसबुक पेज पर देख सकते हैं। यदि कोई भी पलवल निवासी इस मुहिम से जुड़ना चाहता है तो 9416770790 या फिर 8053112233 पर संपर्क कर सकता हैं!

संपादन - मानबी कटोच 


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

Related Articles
Here are a few more articles:
Read the Next Article
Subscribe