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शिवानी कालरा पेशे से एक डेंटिस्ट हैं और उत्तर प्रदेश के मेरठ में रहती हैं। कुछ साल पहले जब उन्होंने अपने घर के, 13×10 वर्ग फीट के टेरेस पर कंटेनर में तरबूज़ उगाने की इच्छा ज़ाहिर की तो लोगों ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया।
एक माली ने तो उनके इस आइडिया को पूरी तरह से नकार दिया। माली ने समझाते हुए उनसे कहा कि पौधों को बहुत ज़्यादा रखरखाव आवश्यकता होती है और साथ ही उन्हें बढ़ने के लिए एक बड़ी जगह और गर्म जलवायु की भी ज़रूरत होती है।
लेकिन डॉ कालरा आज बेहद खुश हैं कि उस दिन वह उन टिप्पणियों से हतोत्साहित और निराश नहीं हुईं। उन्होंने टेरेस पर बगीचा भी बनाया और उसमें तरबूज़ के साथ कई किस्म की सब्जियाँ और फल भी उगा रही हैं। अब उनके दिन की शुरूआत अपने हरे-भरे बगीचे में लगे तरबूज़ के पौधों को पानी देने के साथ होती है।
द बेटर इंडिया के साथ बात करते हुए डॉ कालरा ने बताया कि इस बात में कोई शक नहीं कि तरबूज के पौधे को बढ़ने के लिए विशिष्ट परिस्थितियों की ज़रूरत होती है लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि शहरी निवासियों के लिए इसे अपनी छत पर या बालकनी में उगाना असंभव है। वह कहती हैं, “हो सकता है कि आपको पहली बार में सफलता नहीं मिले। आपको कई बार कोशिश करनी पड़ सकती है। आपको धैर्य से काम लेने की ज़रूरत है। एक बार जब आपको फॉर्मूला पता लग जाता तो फिर इसे उगाना आसान हो जाता है।”
कंटेनरों में तरबूज कैसे उगाएं
डॉ कालरा ने जब घर के टेरेस पर तरबूज़ उगाना शुरू किया तब उनका मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था। उन्होंने यह फल उगाने के कई प्रयास किए और असफल रहीं। लेकिन धीरे-धीरे उन्हें सही तरीका पता चला और अब वह बड़े आराम से टेरेस पर तरबूज़ उगाती हैं। टेरेस पर तरबूज़ उगाने की इच्छा रखने वालों के लिए डॉ कालरा के पास कुछ सलाह हैं। वह कहती हैं कि ऐसी जगह चुनें जहाँ पर्याप्त धूप आती हो।
- तरबूज की किस्मों को सावधानी से चुनें। ‘शुगर बेबी’ और ‘बैक हाइब्रिड’ किस्में तुलनात्मक रूप से उगाना आसान हैं। उनकी जीवित रहने की दर भी ज़्यादा है।
- तरबूज को सबसे ज़्यादा भूखा फल माना जाता है। इसे बढ़ने के लिए बहुत सारे खाद और पानी की ज़रूरत होती है। सुनिश्चित करें कि मिट्टी हमेशा नम हो।
- चूंकि जमीन पर या हवा में बढ़ना इनके लिए जोखिम भरा है (कीट के हमले के कारण), डॉ कालरा उन्हें सूखे पत्तों पर रखने की सलाह देती हैं जो कीट निरोधक के रूप में भी काम करते हैं।
- तरबूज़ को परागणकारी की ज़रूरत होती है इसलिए, उन्होंने मधुमक्खियाँ आकर्षित करने के लिए सूरजमुखी के पौधे लगाए हैं।
- फसल काटने की जल्दी में ना रहें। काटने से पहले इसके रंग, सूखे लता-तंतु या फल को मारकर आने वाली खोखली आवाज़ को चेक करें।
तरबूज़ उगाने के लिए डॉ. कालरा बैग का इस्तेमाल करती हैं जो कपड़े से बने होते हैं और ये नर्सरी में बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। इनका इस्तेमाल करना एक अच्छा विकल्प है क्योंकि उनमें छिद्र होते हैं, जिससे पानी आसानी से मिट्टी से निकल सके। और साथ ही यह संक्रमण से भी रोकता है।
पौधों का पोषण सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है जो विकास दर, गुणवत्ता और कुछ हद तक, स्वाद का निर्धारण करता है। इसके लिए, डॉ कालरा सूखी पत्तियां, कोकोपीट, रसोई के कचरे और काले तरल से बने खाद का मिश्रण मिलाती हैं।
कीड़े और संक्रमण को दूर रखने के लिए, वह कुछ गार्डन हैक, जैसे कि नीम का तेल, लहसुन और अदरक का उबला हुआ घोल, छाछ, पिसे प्याज और गाय के गोबर के मिश्रण जैसे जैविक विधियों का भी इस्तेमाल करती हैं। वह कहती हैं कि, “मैं जीवामृतम् का भी उपयोग करती हूँ।”
फूल या प्याज से कर सकते हैं शुरूआत
तरबूज के अलावा, डॉ कालरा के टेरेस गार्डन में विभिन्न किस्म की सब्जियाँ और फल भी हैं जैसे कि बैंगन, शिमला मिर्च, करेला, करेला, टमाटर, मिर्च, प्याज, आलू, नींबू, लहसुन, भिंडी और पुदीना।
हालांकि, डॉ. कालरा को सफलता आसानी से नहीं मिली है। उन्होंने कई बार गलतियाँ की और कोशिश जारी रखी। इन कोशिश और प्रयोग से उन्हें पौधों के लिए ज़रूरी जलवायु परिस्थितियाँ, पानी का पीएच स्तर और पोषक तत्व को समझने में मदद मिली।
डॉ. कालरा मानती हैं, वह टमाटर उगाने में भी नाकाम रही, जिसे उगाना सबसे आसान है। वह कहती हैं, “एक बार मैंने आलू उगाना शुरू किया था लेकिन आलू के बदले मुझे मिर्च मिली। तीन साल के प्रयासों के बाद मैं स्ट्रॉबेरी उगाने में सफल रही। मैं निराश होती थी लेकिन मैंने कोशिश जारी रखी।”
नौसिखियों के लिए डॉ. कालरा किसी भी फूल के पौधे के साथ शुरुआत करने की सलाह देती हैं। खाद्य पौधों के लिए, वह प्याज उगाने का सुझाव देती है, क्योंकि वे भूमिगत होते हैं और उन्हें जगह की आवश्यकता नहीं है। पुदीना एक और व्यवहार्य विकल्प है।
डॉ कालरा कई शहरी बागवानों में से एक हैं जो दृढ़ता से मानती हैं कि घर पर भोजन उगाना संभव है। बस ज़रूरत है तो कोशिश, समय और धैर्य की।
वह बताती हैं कि जिस दिन मैंने यह निर्णय लिया कि मुझे और मेरे परिवार को केमिकल फ्री भोजन का सेवन करना है, उसी दिन से मेरी बागवानी यात्रा शुरू हुई। इसके लिए प्रक्रिया का हिस्सा बनना ज़रूरी है। डॉ. कालरा कहती हैं, “सब्जियाँ उगाने से, हम दुर्लभ किस्म की सब्जियों को भी संरक्षित कर सकते हैं जो तेजी से खत्म हो रही हैं।”
सभी तस्वीरें डॉ. कालरा द्वारा दी गई हैं। उनकी बागवानी गतिविधियों के बारे में ज़्यादा जानने के लिए यहां क्लिक करें।
मूल लेख- GOPI KARELIA
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