शहर में रहते हुए भी कर सकते हैं किसानी!
एक कॉरपोरेट ऑफिस में काम करनेवाले मुंबई के चेतन सूरेंजी (Urban Gardener) को पर्यावरण और गार्डनिंग से बेहद प्यार है। मेट्रो शहर में रहते हुए भी 40 वर्षीय चेतन ने अपने आस-पास एक बेहतरीन ईको-सिस्टम तैयार किया है। कुछ साल पहले चेतन ने एक प्रयोग के तौर पर अपने घर में पैशन फ्रूट उगाना शुरू किया था। पैशन फ्रूट के फूल, कृष्ण कमल की वजह से उनके गार्डन में तितलियों और मधुमक्खियों की संख्या इतनी बढ़ गई कि पूरे गार्डन में प्राकृतिक पॉलिनेशन बेहतरीन हो गया और अब वह अपने घर में अर्बन बी कीपिंग कर रहे हैं। साथ ही वह गुजरात के कई गांवों के किसानों को पैशन फ्रूट के जरिए प्राकृतिक पॉलिनेशन को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इसके लिए वह मुंबई की ही एक संस्था के साथ अपने ऑफिस से मिले खाली समय में सहयोगी की तरह काम करते हैं।
पैशन फ्रूट से नेचुरल पॉलिनेशन में मदद

सालों से गार्डनिंग करते आ रहे चेतन ने साल 2015 में अपने टेरेस गार्डन में ज्यादा धूप से बचाव के लिए एक शेड बनाने का सोचा। उस दौरान सामान्य टीन की शीट के बजाय, उन्होंने एक प्राकृतिक शेड बनाने का फैसला किया, जिसके लिए उन्हें कुछ लता वाले पौधे चुनने थे, जिससे उनके घर की छत पर लताओं से शेड बन जाए। कई पौधों के बारे में रिसर्च करने के बाद, उन्हें पैशन फ्रूट के बारे में पता चला।
चेतन कहते हैं, “रिसर्च के बाद पता चला कि ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका जैसे देशों में इस फल को ज्यादा उगाया जाता है। इन देशों का तापमान हमारे देश से अलग नहीं है, इसलिए मुझे यकीन था कि यह हमारे देश में भी आराम से उगाया जा सकता है। इसी सोच के साथ मैंने अमेज़न से पैशन फ्रूट के बीज खरीदे और इसे उगाना शुरू किया।”
पैशन फ्रूट के पौधे बिल्कुल अंगूर की तरह ही लताओं में उगते हैं और आराम से गर्म वातावरण में भी अच्छे से बढ़ते हैं। धीरे-धीरे चेतन को इस सेहतमंद फल के कई और फायदों का पता चला। चेतन बताते हैं कि पैशन फ्रूट की शेडिंग करने से छत का तापमान प्राकृतिक रूप से कम हो गया। साथ ही इसके पत्ते डस्ट फ़िल्टर का काम भी करते हैं और वातावरण की धूल आदि को अवशोषित कर लेते हैं। इसके अलावा, ये ऑक्सीज़न के काफी अच्छे स्रोत भी होते हैं।
लेकिन इन सबके अलावा, इसकी जो सबसे अच्छी बात उन्हें लगी वह यह थी कि पैशन फ्रूट के फूल पर कई तरह की तितलियां और मधुमक्खियां आने लगीं।
कैसे शुरू किया मधुमक्खी पालन?
चेतन कहते हैं, “आमतौर पर भारत में गर्मी और सर्दी में ही सभी फलों के पेड़ों पर फूल आते हैं, जबकि पैशन फ्रूट के फूल कृष्ण कमल मॉनसून में आते हैं। इससे ये मधुमक्खियों और तितलियों को मानसून में भी अपना काम करने का मौक़ा देते हैं और पॉलिनेशन में मदद मिलती है।”गार्डन में मधुमक्खियों और तितलियों के आने से उनके गार्डन में नेचुरल पॉलिनेशन काफी अच्छा हो गया। जिसके बाद उन्होंने मधुमक्खी पालन में भी हाथ आजमाया।
चेतन के गार्डन में लगे एक नारियल के पेड़ से पहले बिल्कुल कम फल आते थे, जबकि गार्डन में मधुमक्खी पालन के कारण नारियल सहित कई फलों का प्रोडक्शन बढ़ गया। उन्होंने अर्बन बी कीपिंग करने के ख्याल से मुंबई की ही एक संस्था ‘अंडर द मेंगो ट्री सोसाइटी’ से सम्पर्क किया। साल 2017 में उन्होंने अपने घर में पहला बी बॉक्स लगाया और मधुमक्खी पालन शुरू किया। उन्होंने भारतीय नस्ल की Apis cerana का एक बॉक्स अपने घर में रखा।
हालांकि शुरुआत में अंडर द मेंगो ट्री सोसाइटी उन्हें शहर में मधुमक्खी पालन की अनुमति नहीं दे रही थी। क्योंकि पहले भी शहर के कई गार्डन में उन्होंने ऐसे प्रयास किए थे, जो सफल नहीं हुए थे । लेकिन चेतन का पैशन फ्रूट मॉडल उन्हें इतना पसंद आया कि आख़िरकार वे उन्हें बी बॉक्स देने के लिए सहमत हो गए।
गुजरात के मधुमक्खी पालक किसानों ने शुरू किया पैशन फ्रूट उगाना

साल 2018 में, चेतन के मॉडल के साथ अंडर द मेंगो ट्री सोसाइटी ने दक्षिण गुजरात के वलसाड जिले के एक गांव तुतरखेड़ में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पैशन फ्रूट उगाने काम शुरू किया। उन्होंने देश के अलग-अलग हॉर्टिकल्चर सोसाइटीज़ से सम्पर्क करके पैशन फ्रूट के पौधे मंगवाए।
चेतन कहते हैं, “इस प्रोजेक्ट में पैशन फ्रूट से जुड़ी जानकारियां मैं देता हूँ, जबकि बी कीपिंग के लिए संस्था मदद करती है। हमने कोरोना के पहले अपने पहले प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी और अभी हम गुजरात के पांच और किसानों की भी पैशन फ्रूट उगाने में मदद कर रहे हैं।”
चूंकि हमारे देश में पैशन फ्रूट ज्यादा लोकप्रिय नहीं है, इसलिए किसानों से पैशन फ्रूट चेतन ही खरीद लेते हैं। वहीं किसानों को शहद बेचने में संस्था मदद करती है।
चेतन कहते हैं कि यह फल भले ज्यादा लोकप्रिय नहीं है, लेकिन इसके कई फायदे हैं। पैशन फ्रूट में विटामिन-ए और सी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो काफी महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट्स हैं। सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह कि ये पौधे, मधुमक्खियों की संख्या बढ़ाने और प्राकृतिक पॉलिनेशन में मदद करते हैं। जिससे किसी भी गार्डन या खेत में एक अच्छा ईको-सिस्टम तैयार किया जा सकता है।
गांव के किसानों को पैशन फ्रूट के उत्पादन से आय का एक नया जरिया भी मिला है। आने वाले समय में चेतन, अंडर द मेंगो ट्री सोसाइटी’ के साथ मिलकर कई और गावों में भी इस मॉडल को शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।
चेतन अपने सोशल मीडिया अकाउंट के ज़रिए भी लोगों के बीच मधुमक्खी पालन और पैशन फ्रूट से जुड़ी जानकारियां शेयर करते रहते हैं। आप चेतन के इस प्रोजेक्ट के बारे में ज्यादा जानने के लिए उन्हें यहां सम्पर्क कर सकते हैं।
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संपादन -अर्चना दुबे
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