हम जिन फलों व सब्जियां को ताज़ा समझकर खाते हैं, क्या वे सही मायनों में हमारे लिए पोषक हैं? शायद नहीं, लेकिन हम इन्हीं फलों व सब्जियों को सेहतमंद समझकर खाते आ रहे हैं। क्योंकि हमारे पास इतना समय ही नहीं है कि हम यह पता लगाएं कि सब्जियां और फल आ कहां से रहे हैं और उगाए कैसे जा रहे हैं? खेत से हमारे घर तक आते-आते इन सब्जियों के कई पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं और ये ताज़े भी नहीं रहते।
अब आप कहेंगे, हम खुद ही सब्जियां तो उगा नहीं सकते, क्योंकि हमारे पास न तो इतना समय है और ना ही जगह। लेकिन आज हम आपको जिनके बारे में बताने जा रहे हैं, उन्होंने तक़रीबन चार साल से अपने उपयोग के लिए सब्जियां घर पर उगाना शुरू किया है। हम बात कर रहे हैं, सूरत के दंपति, डॉ. केयूरी और परेश शाह की।
ऐसा नहीं है कि उनके पास बहुत समय था। उन्होंने अपने व्यस्त रूटीन से समय निकाला और आज वह 30 से अधिक प्रकार की सब्जियां और 10 से ज्यादा फल के साथ काली मिर्च, इलाइची, हल्दी, लहसुन जैसे हर्ब भी उगा रहे हैं।
डॉ. केयूरी एक पीडियाट्रिशियन हैं और उनके पति डॉ. परेश एक सर्जन हैं। वह हर दिन सुबह काम पर जाने से पहले पौधों की देखभाल करते हैं और उनके साथ समय बिताते हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए डॉ. केयूरी बताती हैं, "इन पौधों की वजह से घर की छत पर एक सुंदर इकोसिस्टम बन गया है। कई पक्षी, तितलियाँ और मधुमक्खियां यहां आने लगी हैं। इस बगीचे से हमें सिर्फ ताज़ी सब्जियां ही नहीं मिलतीं, बल्कि प्रकृति के पास होने का एहसास भी मिलता है, जो शहर में मिलना बहुत मुश्किल होता है।"
छत पर करते हैं मल्टीलेयर फार्मिंग
इस डॉ. दंपति के घर में ही इनका क्लीनिक भी है। पहले फ्लोर पर इनका घर है और ऊपर तक़रीबन 400 वर्ग फ़ीट की छत पर वे बागवानी करते हैं। चूँकि उनके घर पर नीचे धूप ठीक से नहीं आती है। इसलिए उन्होंने छत पर बागवानी करना शुरू किया। छत पर बागवानी करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है।
छत पर वज़न ज्यादा न बढ़ जाए, इसलिए उन्होने क्यारियां बनवाईं और इसमें तक़रीबन एक फुट मिट्टी डालकर पौधे लगाना शुरू किया। डॉ. केयूरी बताती हैं, "हमें बागवानी का इतना शौक था कि हम हमेशा से कुछ-कुछ पौधे लगाते रहते थे। तक़रीबन चार साल पहले जब हमें लगा कि छत पर सब्जियां भी लग सकती हैं, तो हमने टेरेस गार्डनिंग का कोर्स किया। ताकि सही जानकारी और बेहतर तरीके के साथ बागवानी कर सकें।"
उन्होंने मल्टीलेयर में पौधे लगाए हैं। सबसे पहले ज़मीन के नीचे लगने वाले हल्दी, गाजर, आलू, मूली, बीट आदि के पौधे हैं। फिर जमीन को ढंकने वाली पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, धनिया, पुदीना, मेथी और सरसों आदि लगे हैं। वहीं तीसरी लेयर में थोड़े बड़े पौधे जैसे टमाटर, शिमला मिर्च, बैंगन, भिंडी, मिर्च अदि लगे हैं। छत पर कई बेल भी हैं, जिसमें लौकी, तुरई जैसी सब्जियां उगी हैं। आखरी लेयर में सिंगापुर चेरी, अनार, सीताफल, चीकू आदि कई फलों के पेड़ लगाए गए हैं।
सही बागवानी तकनीक का इस्तेमाल
चूँकि इन दोनों को ही पौधों से लगाव है, इसलिए यह हमेशा नए प्रयोग करते रहते हैं। साथ ही ज्यादा से ज्यादा पौधे की जानकारी भी लेते रहते हैं, ताकि उत्पादकता अच्छी हो। डॉ. केयूरी बताती हैं, "हमने क्यारियों में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मकई और ज्वार के पौध लगाए हैं। यह पौधे, दूसरे पौधों को कीट से बचाने में मदद करते हैं। इसके अलावा बेसिल और तुलसी जैसे तेज़ खुशबू वाले पौधे भी कीट से रक्षा करते हैं।"
छत पर पौधों को इस तरह से रखा गया है कि एक पौधा दूसरे पौधे को बढ़ने में सहायता करे। वह कहती हैं कि इसे कम्पैनियन प्लांटिंग कहते है। जैसे मूली और मेथी, तुरई के साथ हल्दी के पौधों को लगाने से उत्पादकता अच्छी होती है। इस तरह कम्पैनियन प्लांट की एक पूरी लिस्ट है, जिसके अनुसार छत पर पौधे लगाए गए हैं। इनके छत पर सोलर पैनल भी लगे हैं। उन्होंने सोलर पैनल के नीचे ऐसे पौधे रखे हैं जिसमें कम सूर्य के प्रकाश की जरूरत होती है।
घर पर बनता है ऑर्गेनिक कम्पोस्ट
चूँकि उन्होंने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर, इस तरह से ताज़ी सब्जियां उगाना शुरू किया था। इसलिए वह बागवानी में कसी तरह के केमिकल या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करते। वह अपने रसोई से निकले कचरे से बेहतरीन खाद घर पर ही तैयार करते हैं। डॉ. केयूरी बताती हैं, "कम्पोस्ट बनाना बेहद आसान है और इससे पर्यावरण को भी दूषित होने से बचाया जा सकता है। अब हमारे घर से कुछ भी बायोवेस्ट बाहर नहीं जाता, बल्कि ये मेरे पौधों के लिए भोजन बन जाता है।"
पिछले साल ही उन्होंने अपने छत की वॉटर प्रूफिंग भी कराई है। वह समय-समय पर नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। डॉ. केयूरी बताती हैं, "हमने अभी छत पर काली मिर्च और इलाइची के पौधे भी लगाए हैं। पौधों का विकास अच्छा हो रहा है और हमें उम्मीद है जल्द ही इसमें फूल भी निकल जाएंगे।"
बागवानी के इनके शौक़ की वजह से आज ये ताज़े फल-सब्जियां खा पा रहे हैं। आप भी अपनी जगह और समय के अनुसार कुछ न कुछ उगाने का प्रयास जरूर करें। डॉ. केयूरी का कहना है, "एक बार आप अपने घर में उगी सब्जियां खाने लगेंगे, तो फिर आपको बाजार के फल-सब्जियों का स्वाद पसंद ही नहीं आएगा।"
संपादन- अर्चना दुबे
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