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ताज़े फलों के लिए नहीं जाते बाजार, छत पर हैं अमरुद, अनार से लेकर जामुन, चीकू तक के पेड़

terrace vegetable farming

“मुझे बागवानी का शौक विरासत में मिला है। मेरे पिताजी बागवानी करते थे, फिर बड़े भाई को भी मैंने बागवानी करते हुए देखा है। मैं भी पिछले कई सालों से छत पर सब्जी की खेती कर रहा हूँ। साल 2015 में बैंक की नौकरी से रिटायर होने के बाद मेरा पूरा समय बगीचे में ही बीतता है,” यह कहना है बिहार में पटना के रहने वाले मनोरंजन सहाय का।

अपनी छत को उन्होंने खूबसूरत बगीचे का रूप दिया हुआ है। अलग-अलग तरह की किस्मों के सैकड़ों पेड़-पौधे उनके बगीचे की शान हैं। फल-फूल, मौसमी सब्जियां, औषधीय पौधों के साथ-साथ कुछ बोनसाई भी उनके बगीचे में लगे हुए हैं। 

64 वर्षीय मनोरंजन ने द बेटर इंडिया को बताया, “बैंक मैनेजर पद से रिटायर होने के बाद अपना पूरा समय बागवानी को देता हूँ। बागवानी की शुरुआत मैंने 1990 में की थी। शुरुआत में मैंने छत पर गमले में पीपल, बरगद, पाकर, नीम जैसे पौधों को लगाया और फिर इनकी छंटाई करता रहा। आज भी मेरे बगीचे में ये सभी पौधे हैं और इनकी लम्बाई एक-डेढ़ फ़ीट से ज्यादा नहीं है। इसके बाद मैंने बांस के छोटे पौधे की किस्में लगाई। फिर फूलों के बहुत से पेड़-पौधे लगाए। मुझे हमेशा से कुछ अलग तरह के पेड़-पौधे लगाने का शौक रहा है।” 

Manoranjan Sahay and his garden

मनोरंजन की छत पर आज ब्रह्मकमल और कल्पवृक्ष जैसे पेड़ भी हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने अलग-अलग जगहों से पौधे मंगवाए हैं और फिर अपनी छत पर लगाए हैं। 

500 से भी ज्यादा पेड़-पौधे लगाए 

मनोरंजन की छत पर अनार, जामुन, चीकू, अमरुद, नींबू, अंगूर, बादाम, अखरोट जैसे पेड़ हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने फलों में भी कुछ अलग-अलग लगाने की कोशिश की है। जैसे चीकू की उनके पास दो किस्में हैं। “इसी तरह मेरे पास नींबू की तीन-चार किस्म हैं। इनकी खुशबू और स्वाद बहुत ही अच्छा होता है। मेरे पास अमरुद की दो अलग-अलग किस्में हैं, काला और लाल अमरुद। इसी तरह अंगूर की भी दो किस्में हैं,” उन्होंने कहा। 

बादाम और अखरोट को छोड़कर, वह अपने अन्य सभी फलों के पेड़ों से फल ले रहे हैं। छत के अलावा उन्होंने अपने कैंपस में आम, अमला, अमरुद के पेड़ लगाए हैं। “फलों के बाद मैंने साग-सब्जियों पर भी फोकस किया। लेकिन मैं सिर्फ वही सब्जियां लगाता हूँ जो हम घर में खाते हैं। जैसे बैंगन, बीन्स, टमाटर, दो-तीन तरह की मिर्च। मैं हर मौसम की सब्जियां अपनी छत पर उगा लेता हूँ,” उन्होंने कहा। 

Growing Fruits on Terrace

उनके बगीचे में करी पत्ता, पुदीना, अपराजिता, गिलोय जैसे औषधीय पौधे भी हैं। वह कहते हैं, “मैंने बहुत से पौधे कटिंग से लगाए हैं तो काफी पौधे नर्सरी से भी खरीदे हैं। मैं इलाहाबाद से कई पौधे लेकर आया हूँ और ये हमारे घर में अच्छे से विकसित हो रहे हैं।” पेड़-पौधों के लिए खाद वह खुद ही अपने घर के गीले कचरे से बनाते हैं। इसके अलावा, वह सभी पौधों के लिए पॉटिंग मिक्स भी खुद ही तैयार करते हैं। 

बागवानी के टिप्स 

मनोरंजन आगे बताते हैं कि अगर कोई पहली बार बागवानी कर रहा है तो उन्हें सभी पौधों के लिए एक सामान्य पॉटिंग मिक्स तैयार करना चाहिए। जैसे आप सामान्य मिट्टी, कोकोपीट, गोबर की खाद, बालू, और वर्मीकम्पोस्ट मिला लें। गमलों का चयन भी सही तरीके से करें। गमले के तले में नीचे छेद होना चाहिए ताकि पानी ठहरे नहीं। क्योंकि जब पानी गमले में ठहरने लगता है तो पौधे की जड़ें गल जाती हैं। 

“अक्सर लोगों को शिकायत होती है कि नर्सरी से लाए पौधे कुछ दिन ही रहते हैं और फिर खराब होने लगते हैं। इसकी बड़ी वजह है कि लोग कुछ चीजों को अनदेखा करते हैं। जैसे जब आप पौधे लेकर आते हैं तो आपको नीचे से इनकी मिट्टी को हटाकर फिर इन्हें गमले में लगाना चाहिए। क्योंकि नर्सरी वाले अक्सर पौधों को तैयार करते समय इनके चारों और गंगा की लाल मिट्टी लगाते हैं। यह मिट्टी सूखने के बाद बहुत कड़ी हो जाती है और इसके कारण जड़ें नहीं फैलती हैं। इसलिए हमेशा नर्सरी से पौधे लाने के बाद नीचे से मिट्टी हटा लें और फिर गमले में लगाएं,” उन्होंने कहा। 

इसके अलावा, वह अपने पौधों पर एप्सोम साल्ट और फिटकरी को पानी में मिलाकर स्प्रे करते हैं। वह कहते हैं, “वैसे तो हर एक पौधे को अलग-अलग तरह के पोषण की जरूरत होती है। जब आप बागवानी करते हैं, तो धीरे-धीरे आपको यह बात समझ में आने लगती है। मैं सबको बागवानी करने की सलाह देता हूँ, क्योंकि इससे न सिर्फ आपके आसपास का वातावरण शुद्ध रहता है। बल्कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा रहता है। मैं खुद अपना पूरा समय पेड़-पौधों के बीच बिताता हूँ और एकदम स्वस्थ हूँ,” उन्होंने अंत में कहा। 

अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!

संपादन- जी एन झा

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