“जब आप प्रकृति को करीब से देखते हैं, तब आप खुद से मिलते हैं।” ये मानना है, मध्य प्रदेश के बैतूल के रहनेवाले डॉ. प्रमोद मालवीय (Pramod Malviya) और उनकी पत्नी अंजली मालवीय का। प्रमोद पेशे से एक मेडिकल स्पेशलिस्ट हैं और अंजली एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट। दोनों ही बागवानी (Gardening) के बेहद शौकीन हैं। इनके घर में आपको लीची, सीताफल, चीकू, अनार के साथ गन्ने तक उगते दिख जाएंगे। इतना ही नहीं, मालवीय दंपति ने घर में दालचीनी, तेजपत्ता, लौंग जैसे मसाले भी लगाए हैं। तो आइए आपको बताते हैं, उनकी बागवानी का तरीका और कुछ कमाल के टिप्स।
कम जगह के कारण छत को बनाया गार्डन
अंजली ने द बेटर इंडिया को बताया, “हम घर के एंट्रेंस से लेकर भीतर तक ग्रीनरी चाहते थे। लेकिन बाहर हमारे पास इतनी जगह नहीं थी। इसलिए हमने कार खड़ी करने वाले पोर्च को गार्डन में बदल दिया। हमने पोर्च में ढेर सारी मिट्टी डलवाकर पौधे लगा दिए। इसके बाद हमने छत पर पहले वॉटर प्रूफिंग करवाई और फिर पूरी छत के साइज़ की प्लास्टिक लगा कर मिट्टी डलवा दी। इस तरह छत पर भी अच्छी खासी हरियाली हो गई।”
छत पर गन्ने से लेकर शकरकंद तक, तालाब भी
मालवीय दंपति ने अपनी छत पर गन्ने से लेकर शकरकंद तक की बुवाई की है। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि उन्होंने अपनी छत पर ही एक बहुत ही छोटा सा तालाब भी बनाया है, जिसमें कमल के फूल खिलते हैं। तालाब में मच्छर न आएं, इसलिए उन्होंने इसमें गैंबुज़िया फिश डाली हुई है, जो मच्छरों के लार्वा को खा जाती हैं।
इसके बारे में अंजली ने बताया, “कमल के फूल लगाने के लिए हमने कमल के कंद और बीज का प्रयोग किया। तालाब तैयार करने के लिए हमने तालाब की मिट्टी ही यूज़ की। उस मिट्टी को लाकर अपने तालाब के पानी में डाला और इसमें बीज और कंद डाले। अब इसमें अच्छे-खासे फूल आ जाते हैं, जो देखने में तो सुंदर लगते ही हैं। साथ ही दिवाली पर हमें कमल के फूल खरीदने नहीं पड़ते, घर में ही आसानी से मिल जाते हैं। बस समय-समय पर इसमें खाद के तौर पर सिर्फ गोबर डालती रहती हूँ।”
पूरी प्लानिंग कर लगाए पेड़-पौधे
प्रमोद ने बताया, “हम चाहते थे कि हमारे घर के सामने का जो हिस्सा हो, वह फूलों से भरा रहे। इसलिए हमने इसमें अलग-अलग मौसम में खिलने वाले कई पौधे लगाए। इसमें हर मौसम में कोई न कोई फूल खिलता ही रहता है। हमारे घर से गुज़रने वाले लोग अक्सर हमें कहते हैं कि यहां से निकलने पर बिल्कुल फ्रेशनेस आ जाती है। दरअसल, आप अगर हमारे घर में आएंगे, तो पहले रातरानी के गुच्छे आपके सिर से लगकर आपका स्वागत करेंगे। फिर और आगे बढ़ने पर मोगरे और चमेली के फूल मिलेंगे। ऐसे ही कई सारे खुशबू वाले फूल हमने अपने घर के सामने वाले हिस्से पर लगाए हैं। ताकि घर में आनेवालों की थकान अंदर तक आते-आते बिल्कुल खत्म हो जाए।”
उन्होंने कहा कि अक्सर लोग पौधों की कटिंग कभी भी कर देते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। पौधों की कटिंग के लिए सही समय तब होता है, जब उसका ब्लुमींग टाइम ना हो। जब तक पौधों में फूल आ रहे हों, उनकी कटिंग नहीं करनी चाहिए।
किचन गार्डनिंग भी कर रहे हैं
अंजली का कहना है, “हमने अपनी छत पर ही सौ से ज्यादा फल, मसाले, साग-सब्जी की क्यारियां तैयार की हैं। किचन के लिए हमें बाहर से बहुत कम ही चीज़ें खरीदनी पड़ती हैं। पहले सोसाइटी में पक्षी नज़र ही नहीं आते थे। लेकिन अब बहुत से पक्षी यहां आते हैं। उन्होंने कहा, “ छत पर हरियाली देखकर ढेर सारे पक्षी आने लगे हैं। हमारे घर में चिड़ियों के घोसले भी हैं। कई बार तो बिल्ली और कुत्ते भी यहां बच्चे दे देते हैं। हमारे घर के बच्चे और स्टाफ के बच्चे उनका पूरा ख्याल रखते हैं।”
अंजली ने कहा कि वह किसी भी पौधे के लिए किसी खास तरह की मिट्टी का प्रयोग नहीं करती हैं। उन्होंने ज्यादातर पौधे ग्रो बैग में, सामान्य मिट्टी डालकर लगाए हैं। बस सही मात्रा में पानी देते रहना ज़रूरी है। उन्होंने बताया, “हम खाद के लिए रसायन का इस्तेमाल नहीं करते, सिर्फ गोबर और कोकोपीट का ही इस्तेमाल करते हैं। हाँ, अगर कभी पौधों में कीड़े लग जाते हैं, तो बस थोड़े से डिटर्जेंट पाउडर को नीम ऑयल में मिक्स करके स्प्रे कर देती हूँ।”
गार्डनिंग की वजह से घर का तापमान हुआ कम
अंजली ने बताया कि पेड़-पौधों की वजह से घर में हरियाली बनी रहती है और यही वजह है कि गर्मी के मौसम में एसी की भी जरूरत नहीं पड़ती है। उन्होंने कहा, “बाहर कितनी भी गर्मी हो, घर का तापमान कभी भी 24 डिग्री से ज्यादा नहीं होता है। वहीं सुबह-सुबह ढेर सारे पक्षियों की आवाज़ से बच्चे भी जल्दी जग जाते हैं और उनके लिए दाना-पानी रखते हैं। इससे घर का माहौल बहुत पॉजिटिव बना रहता है।”
इस दंपति का कहना है कि खाली समय में कंप्यूटर, टीवी, मोबाइल आदि के साथ समय बिताने से अच्छा है कि पेड़-पौधों के साथ समय बिताया जाए। प्रमोद कहते हैं, “शरीर में विटामिन V-12 की कमी से डिप्रेशन और एंजाइटी होती है। V-12 जानवरों के लिवर में पाया जाता है। जो लोग नॉनवेज नहीं खाते, उनके लिए बेस्ट है कि वे मिट्टी पर नंगे पांव चलें। क्योंकि मिट्टी में V-12 होता है और नंगे पांव चलने से स्ट्रेस रिलीज़ होता है।”
गार्डनिंग कोई रॉकेट साइंस नहीं
अंजली ने कहा, “पेड़-पौधे लगाना और उनका ध्यान रखना कोई मुश्किल काम नहीं है। पहले मुझे भी गार्डनिंग बिल्कुल नहीं आती थी। प्रमोद को गार्डनिंग का ज्यादा शौक़ था। पहले मुझसे कुछ न कुछ गलती हो जाया करती थी, लेकिन धीरे-धीरे सबकुछ समझ में आने लगा। गार्डनिंग करने के लिए धैर्य की जरूरत है।”
अंत में प्रमोद और अंजली कहते हैं, “विकास के नाम पर सबसे अधिक पेड़-पौधों का नुकसान हुआ है। निर्माण के नाम पर पेड़ को काटा जाता है। ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि हम खुद आगे आकर वृक्षारोपण करें, बागवानी करें। दरअसल, हम हर चीज़ के लिए सरकार पर निर्भर नहीं रह सकते। हम सब अपने-अपने घरों को सुंदर दिखाने के लिए ही पेड़-पौधे लगाएं। खुद के लिए फल-फूल लगाएं, तब भी पर्यावरण के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। ऐसे छोटे-छोटे प्रयास बड़ा बदलाव लाते हैं। पौधे लगाएं और उन्हें थोड़ा प्यार दें, उनके साथ समय बिताएं, बदले में वे आपको बहुत कुछ देंगे।”
Stay Happy, Go Green, Love Nature!
संपादन- जी एन झा
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