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26/11 में खोया बेटे-बहू को; तब से लड़ रही हैं मुंबई को सुरक्षित बनाने की जंग!

इस मुहीम की शुरुआत एक आरटीआई आवेदन से की गयी जिसमें यह सवाल किया गया था कि 'अधिकतम शहरों में सुरक्षा व्यवस्था मे कमी क्यों है?'

26/11 : जन्मदिन पर खोया था पिता को; उनकी याद में आज संवार रहें हैं आदिवासी बालिकाओं का जीवन!

By निशा डागर

मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमले के दस साल बाद, आज द बेटर इंडिया उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि देता है जो उस दिन बहादुरी से लड़े और वो लोग जिनकी लड़ाई आज भी जारी है। चीफ टिकेट इंस्पेक्टर एस.के शर्मा की मौत के बाद उनके बेटे और उनकी पत्नी ने उनके नाम से आदिवासी लडकियों को शिक्षा देने के लिए एक संस्था शुरू की है।

26/11 : अँधेरे और ज़हरीली गैस के बीच ताज होटल में आतंकवादियों का सामना करते रहें विश्वास नांगरे और उनकी टीम!

By निशा डागर

मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमले के दस साल बाद, आज द बेटर इंडिया उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि देता है जो उस दिन बहादुरी से लड़े और वो लोग जिनकी लड़ाई आज भी जारी है। आईपीएस विश्वास नांगरे पाटिल हमले के समय ताज होटल पहुंचने वाले पहले अफसर थे। इंडियन नेवी के आने तक वे आतंकवादियों से लड़ते रहे।

26/11 : इस रेलवे एनाउंसर की एक घोषणा ने बचायी थीं सैकड़ों जिंदगियां!

By निशा डागर

मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमले के दस साल बाद, आज द बेटर इंडिया उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि देता है जो उस दिन बहादुरी से लड़े और वो लोग जिनकी लड़ाई आज भी जारी है। मुंबई रेलवे एनाउंसर विष्णु दत्ताराम जेंदे ने उस दिन खतरे को भांपते हुए घोषणा कर लोगों को स्टेशन से बाहर जाने के लिए कहकर अनगिनत लोगों की जान बचायी थी।

26/11 : 10 साल की इस बच्ची ने कसाब के ख़िलाफ़ गवाही देकर पहुँचाया था उसे फाँसी के फंदे तक!

By निशा डागर

मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमले के दस साल बाद, आज द बेटर इंडिया उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि देता है जो उस दिन बहादुरी से लड़े और वो लोग जिनकी लड़ाई आज भी जारी है। मुंबई की देविका रोत्वानी को उस हमले में पैर में गोली लगी। मात्र 10 साल की उम्र में उन्होंने अजमल कसब के खिलाफ गवाही दी थी।

नगरोटा : आर्मी अफसरों की पत्नियों की बहादुरी से एक बड़ा हादसा टला!

By मानबी कटोच

जम्मू के नगरोटा आर्मी बेस पर हुआ हमला और भी भयावह हो सकता था यदि दो सेना के दो अफसरों की पत्नियों ने हिम्मत न दिखाई होती।