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माहवारी

बिहार का पहला खुला शौच-मुक्त गाँव अब है बेफ़िक्र-माहवारी गाँव भी; शिक्षकों ने बदली तस्वीर!

बिहार में केवल 15-25 साल की केवल 31 प्रतिशत महिलाएं ही सुरक्षित रूप से अपने माहवारी का प्रबंधन करती है। ऐसे में इस तरह के सकारात्मक पहल हमें एक नए भविष्य की उम्मीद दिलाते हैं, जहाँ किशोरियों को भी बिना किसी भेद-भाव के अपने अधिकार मिले और वे लड़कों के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चल सकें!

काथीखेड़ा से लॉस एंजिलस तक, भारत की 'पैड वीमेन' पर बनी फ़िल्म ने जीता ऑस्कर अवॉर्ड!

By निशा डागर

ऑस्कर अवॉर्ड्स की बेस्ट डॉक्युमेंट्री (शोर्ट सब्जेक्ट) कैटेगरी के लिए 'पीरियड. एंड ऑफ़ सेंटेंस' डॉक्युमेंट्री को नामित किया गया है। 'माहवारी' के विषय पर बनी इस डॉक्युमेंट्री की पृष्ठभूमि भारत के उत्तर-प्रदेश में हापुड़ जिले का एक छोटे-सा गाँव काथीखेड़ा है।

भारतीय रेलवे का सराहनीय कदम, पीरियड्स के दौरान की महिला यात्री की मदद!

By निशा डागर

बीते सोमवार को होसपेट पैसेंजर ट्रेन से एक यात्री, विशाल खानापूरे ने भारतीय रेलवे को ट्वीट किया कि उसकी एक दोस्त को पीरियड्स के चलते पैड्स और दर्द की दवा की जरूरत है। इस पर रेलवे अधिकारियों ने तुरंत उनकी मदद करते हुए लड़की के लिए जरूरी चीजें उपलब्ध करवायीं।

पुणे: आदिवासी महिलाओं को पुराने कपड़ों से पैड बनाने की ट्रेनिंग दे रहा है यह युवक!

By निशा डागर

महाराष्ट्र के पुणे में 'समाजबंध' नामक एक एनजीओ ने पीरियड्स के दौरान महिलाओं की सुरक्षा व स्वच्छता की दिशा में एक पहल की है। यह संगठन पुराने कपड़ों से सैनिटरी नैपकिन बनाता है और उन्हें आसपास के गांवों में आदिवासी महिलाओं को बाँट देता है। इस संगठन के फाउंडर हैं सचिन आशा सुभाष।

पाँच सितारा होटल की नौकरी छोड़ झारखंड में माहवारी के प्रति महिलाओं को सजग कर रहे है 'मंगरु पैडमैन'

By निशा डागर

झारखण्ड में 'मंगरु पैडमैन' के नाम से प्रसिद्द मंगेश झा इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, रांची के साथ जुड़कर भारत सरकार के प्रोजेक्ट 'उन्नत भारत' पर काम कर रहें हैं। उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ़ होटल मैनेजमेंट, भुवनेश्वर से ग्रेजुएशन किया है। उनका उद्देश्य भारतीय गांवों को आदर्श गांव बनाना है।

उत्तर प्रदेश के खौराही गांव का मुखिया, जो गांव की लड़कियों के लिए बना पैडमैन!

By निशा डागर

अपने गांव की लड़कियों को माहवारी के चलते पढ़ाई बीच में छोड़ते देख, उत्तर प्रदेश के खौराही गांव के मुखिया हरि प्रसाद ने यूनिसेफ के प्रोजेक्ट गरिमा के तहत सभी लड़कियों की कॉउंसलिंग की और उन्हें सैनेटरी पद भी उपलब्ध कराये।