उत्तर प्रदेश में जौनपुर के रहनेवाले, 62 वर्षीय रामचंद्र दूबे पहले ऑटो चलाया करते थे, लेकिन पिछले चार सालों से वह किसानों से मशरूम खरीदकर उनसे खाने की चीज़ें बनाते हैं और लाखों का मुनाफा हैं।
जमशेदपुर के राजेश कुमार, पिछले लॉकडाउन से पहले अपनी नौकरी छोड़कर घर लौट आये थे। उन्होंने घर में ही मशरूम की खेती शुरू की, जिससे आज वह हर महीने अच्छी कमाई कर रहे हैं।
ओडिशा में बारगढ़ जिले के गोड़भगा में रहने वाली जयंती प्रधान एक प्रगतिशील महिला किसान हैं। जानिए कैसे, दूसरे किसानों के खेत से मिली बेकार पराली से उन्होंने अपने मशरूम की खेती को आगे बढ़ाया।
दूरदर्शन के एक कार्यक्रम से प्रेरित होकर, संजीव सिंह ने 1992 में मशरूम उगाना शुरू किया था और आज वह सैकड़ों टन मशरूम उगा रहे हैं, जिसके लिए उन्हें ‘पंजाब का मशरूम किंग' का ख़िताब मिल चुका है।
पंजाब के अमृतसर जिला के धरदेव गाँव के रहने वाले मंदीप को मशरूम खेती के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए साल 2017 में आईसीएआर द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
बिहार के औरंगाबाद जिला के नवीनगर में रहने वाले राजेश सिंह ने कृषि आधारित उद्योग में करीब 14 वर्षों तक काम करने के बाद उन्होंने तय किया कि क्यों न खुद का कुछ शुरू किया जाए और इसी सोच के साथ उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी, तब उनका वेतन प्रति माह 1 लाख रुपए से भी अधिक था।
आज उत्तराखंड में खेती-किसानी के क्षेत्र में दिव्या का एक जाना-माना नाम है। लोग उन्हें ‘मशरूम गर्ल’ के नाम से जानते हैं। खेती कार्यों में उनके उल्लेखनीय योगदानों के लिए साल 2016 में उन्हें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।