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भगवत रावत

पचास : साइकिल : प्रेम : शराब : कविता

By मनीष गुप्ता

पचपन-साठ के आसपास विधवा/ विदुर हुए लोगों की शादी आज 2019 में भी दुर्लभ है. अब जब बच्चों का घर बस चुका है, या बसने वाला है अकेले माँ या बाप की शादी की बात एक पाप की तरह लगती है. माँ के लिए रोया जाता है कि हाय कैसे रहेगी अब बेचारी लेकिन उनका भी नया घर बसे यह नहीं सोचा जाता.