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ब्रिटिश राज

रानी गाइदिन्ल्यू: 17 साल की उम्र में हुई थी जेल, आज़ादी के बाद ही मिली रिहाई

By निशा डागर

रानी गाइदिन्ल्यू, एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में ब्रिटिश सरकार और उनकी नीतियों के विरुद्ध अभियान चलाया था और अपनी क्रांति के लिए 14 साल तक कारावास में भी रहीं।

झलकारी बाई : झाँसी की रानी की परछाई बन, जिसने खदेड़ा था अंग्रेज़ों को!

By निशा डागर

झलकारी बाई का जन्म 22 नवम्बर 1830 को उत्तर प्रदेश के झांसी के पास के भोजला गाँव में एक निर्धन कोली परिवार में हुआ था। बताया जाता है कि रानी लक्ष्मी बाई की ही तरह उनकी बहादुरी के चर्चे भी बचपन से ही होने लगे थे। झलकारी बाई को युद्ध के दौरान ‎4 अप्रैल 1858 को वीरगति को प्राप्त हुई।

केसरी सिंह बारहठ: वह कवि जिसके दोहों ने रोका मेवाड़ के महाराणा को अंग्रेजों के दिल्ली दरबार में जाने से!

By निशा डागर

राजस्थान के चारण घराने से ताल्लुक रखने वाले केसरी सिंह बारहठ प्रसिद्ध राजस्थानी कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म  21 नवम्बर, 1872 को शाहपुरा रियासत के देवपुरा गाँव में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया। 14 अगस्त 1941 को उनका निधन हुआ।

टीपू सुल्तान: 'मैसूर का शेर', जिसने रखी थी भारत में 'रॉकेट टेक्नोलॉजी' की नींव!

By निशा डागर

'मैसूर का शेर' कहे जाने वाले टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवम्बर 1782 को हुआ था। उन्होंने अंग्रेजों को कई बार बुरी तरह हराया। उन्हें 'मिसाइल मैन' भी कहा जाता है। आधुनिक रॉकेट का प्रोटोटाइप टीपू के पिता हैदर अली ने बनाया था, जिसे बाद में टीपू ने और आगे बढाया।

करतार सिंह 'सराभा': वह भारतीय क्रांतिकारी, जिसे ब्रिटिश मानते थे 'अंग्रेजी राज के लिए सबसे बड़ा खतरा'!

By निशा डागर

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी करतार सिंह का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के सराभा गांव में 24 मई, 1896 को हुआ था। उन्होंने अमेरिका में रहते हुए भारतीय स्वतंत्रता के लिए ग़दर पार्टी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। लाहौर षडयंत्र के लिए उन्हें 16 नवम्बर 1915 को फांसी दी गयी।

वह अमरिकी, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और भारत के किसानों को सेब उगाना सिखाया!

By निशा डागर

अमेरिका की जाने-माने परिवार का बेटा और स्टॉक्स एंड पैरिश मशीन कंपनी का वारिस होते हुए भी सैम्युल इवान्स स्टॉक्स जूनियर ने अपना  में कोढ़ से पीड़ित मरीजों की सेवा करते हुए बिताया।उन्होंने अंग्रेज़ों के विरुद्ध भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। ये कहानी है सैम्युल स्टॉक्स जूनियर की सत्यानंद स्टॉक्स बनने की।